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प्रतिक्रमण : पछतावे सहित माफ़ी माँगना

हम में से कई लोग धार्मिक क्रियाएँ करते हैं, हम कठिन तप, व्रत, मेडिटेशन और ऐसी अन्य तपस्याएँ करते हैं, इसके बावजूद भी क्यों हमारे मन-वचन-काया से व्यवहार में गलतियाँ होती ही रहती है और हमें आंतरिक शांति नहीं मिलता?

हमें जब अपनी गलतियों का एहसास हो तो हमें क्या करना चाहिए और उनसे कैसे मुक्त हुआ जा सकता है? प्रतिक्रमण किस प्रकार से करें? अपने पापों का प्रायश्चित किस तरह करें? फिर ऐसा न हो इसलिए क्या करें?

किसी ऐसे व्यक्ति के लिए जिसने बहुत बुरे कर्म किए हैं, क्या अच्छे कर्म करना सँभव है? क्या इन प्रश्नों के कोई जवाब है कि जिनसे अनंत काल से लोग त्रस्त हैं?

विश्व भर में कई लोग आंतरिक शांति का अनुभव कर रहे हैं। ज्ञानीपुरुष दादा भगवान द्वारा दिए गए भाव प्रतिक्रमण द्वारा घृणा और द्वेष को जड़ मूल से खत्म कर रहे हैं।

आप खुद यह अनुभव करके आश्चर्य चकित रह जाएँगे कि किस प्रकार प्रतिक्रमण से दुश्मनी और बदला लेने की भावना आपके जीवन में से खत्म हो जाती है।

प्रतिक्रमण कैसे करे?

प्रतिक्रमण कैसे करते हैं? हमारे द्वारा जिस व्यक्ति को दुःख हुआ है, उस व्यक्ति के शुद्धात्मा को प्रार्थना कर के क्षमा मांगते हैं|

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Top Questions & Answers

  1. Q. प्रतिक्रमण क्या है?

    A. दादाश्री : प्रतिक्रमण का अर्थ क्या यह आप जानते हैं? प्रश्नकर्ता : नहीं। दादाश्री : आप जैसा जानते... Read More

  2. Q. प्रतिक्रमण कैसे करें?

    A. प्रश्नकर्ता: प्रतिक्रमण विधि क्या है ? दादाश्री: उदाहरण के तौर पर अगर आप से किसी चंदूलाल को दुःख... Read More

  3. Q. मृत व्यक्ति से माफ़ी कैसे माँगें?

    A. प्रश्नकर्ता: मृत व्यक्ति से किस तरह माफ़ी माँगनी चाहिए ? दादाश्री: हालांकि उनकी मृत्यु हो चुकी... Read More

  4. Q. क्या हम किसी को अनजाने में दुःख पहुँचाएँ तो वह गुनाह है?

    A. प्रश्नकर्ता: अनजाने में किसी जीव की हिंसा हो जाए तो क्या करें? दादाश्री: अनजाने में हिंसा हो जाए... Read More

  5. Q. अपने दोषों के लिए माफ़ी कैसे माँगे?

    A. अपने आप हो जाये वह अतिक्रमण और प्रतिक्रमण तो सिखना पड़े। किसी को मारना हो तो सिखने नहीं जाना पड़ता,... Read More

  6. Q. झूठ बोलना कैसे रोकें? उसके लिए माफ़ी कैसे माँगे?

    A. प्रश्नकर्ता : हम झूठ बोलें हो तो वह भी कर्म बाँधना ही कहलाएगा न? दादाश्री : अवश्य ही! लेकिन झूठ... Read More

  7. Q. व्यसनों से छूटने के लिए क्या करें?

    A. प्रश्नकर्ता : मुझे सिगरेट पीने की बुरी आदत पड़ गई है। दादाश्री : तो उसके बारे में 'तू' ऐसा रखना,... Read More

  8. Q. नकारात्मक विचारों को रोकने के लिए क्या करें?

    A. प्रश्नकर्ता : प्रतिक्रमण कर्मफल के करने हैं या सूक्ष्म के करने हैं? दादाश्री : सूक्ष्म के होते... Read More

  9. Q. वास्तविक प्रतिक्रमण आत्मज्ञान प्राप्ति के बाद में ही शुरू होते हैं!

    A. प्रश्नकर्ता: प्रतिक्रमण शुद्ध माना जाता है? सच्चा प्रतिक्रमण किस प्रकार से है? दादाश्री: समकित... Read More

  10. Q. अति आवश्यक धार्मिक सिद्धांत

    A. मोक्षमार्ग में क्रियाकांड या ऐसा कुछ नहीं होता है। सिर्फ संसारमार्ग में क्रियाकांड होते हैं।... Read More

  11. Q. बैर भाव को कैसे दूर करें?

    A. प्रश्नकर्ता : हम प्रतिक्रमण न करें तो फिर किसी समय सामनेवाले के साथ चुकता करने जाना पड़ेगा... Read More

  12. Q. मिच्छामि दुक्कडम् क्या है?

    A. मिच्छामी दुक्कड़म अर्धमागधी भाषा (भगवान महावीर के समय में बोली जाने वाली भाषा) का एक शब्द है।... Read More

Spiritual Quotes

  1. आत्मज्ञान, वह मोक्षमार्ग है। आत्मज्ञान प्राप्ति के बाद के प्रतिक्रमण मोक्षमार्ग देंगे, बाद में सभी साधनाएँ मोक्षमार्ग देंगी।
  2. आलोचना, प्रतिक्रमण और प्रत्याख्यान। वही हमारा यह मोक्षमार्ग है। उसमें क्रियाकांड और ऐसा सब नहीं होता न! आलोचना, प्रतिक्रमण, प्रत्याख्यान वही यह मोक्षमार्ग। कितने ही अवतारों से हमारी यह लाइन (मार्ग), कितने ही अवतारों से आलोचना- प्रतिक्रमण-प्रत्याख्यान करते करते यहाँ तक पहुँचे हैं।
  3. इंसान से दोष होना स्वाभाविक है। उससे विमुक्त होने का रास्ता क्या है? सिर्फ ‘ज्ञानीपुरुष’ ही वह दिखाते हैं, ‘प्रतिक्रमण’!
  4. हर एक बाबत में, ‘दादा, मुझे शक्ति दीजिए’, ऐसे शक्ति माँगकर ले ही लेना। प्रतिक्रमण करना चूक जाओ तो, ‘प्रतिक्रमण पद्धति अनुसार करने की मुझे शक्ति दीजिए। सारी शक्तियाँ माँग लेना।
  5. प्रतिक्रमण से उसका बैर कम हो जाएगा। एक बार में प्याज़ की एक परत जाएगी, दूसरी परत, जितनी परतें होंगी उतनी जाएँगी।
  6. मन की उतनी परेशानी नहीं, वाणी की परेशानी है। क्योंकि मन तो गुप्त प्रकार से चलता है, लेकिन वाणी तो सामनेवाले की छाती में घाव करती है। इसलिए ‘इस वाणी से जिन-जिन लोगों को दुःख हुआ हो उन सभी की क्षमा चाहता हूँ’, इस तरह प्रतिक्रमण कर सकते हो।
  7. ज्ञानी पुरुष के पास ढ़ँक कर रखा माने खत्म हो गया। लोग खुल्ला करने के लिए तो प्रतिक्रमण करते है। वह भाई सब लेकर आया था न? तब उलटे खुला कर दे ज्ञानी के पास! तो वहाँ कोई ढ़ँकेगा तो क्या होगा?!!! दोष ढ़ँकने पर वे डबल (दो गुने) होंगे।     
  8. यह ‘अक्रम विज्ञान’ है। विज्ञान यानी तुरंत फल देनेवाला। जिसमें॒करना है, ऐसा नहीं हो, वह ‘विज्ञान’ है और करना है ऐसा हो, वह ‘ज्ञान’ है!
  9. ‘प्रतिक्रमण’ करने से क्या होता है? हमने जो दखल की हुई हैं, उनका जब ‘रीएक्शन’ आए, तब हमें फिर से दखल करने का मन नहीं होता!
  10. ‘अतिक्रमण’ होना स्वाभाविक है। ‘प्रतिक्रमण’ करना हमारा ‘पुरुषार्थ’ है।
  11. जब घर के लोग निर्दोष दिखाई दें और खुद के ही दोष दिखाई दें, तब सच्चे ‘प्रतिक्रमण’ होते हैं।
  12. यदि तुरंत ही नकद् ‘प्रतिक्रमण’ हो जाए, तो वह भगवान पद में आ सकता है!
  13. जगत् किस आधार पर टिका है? ‘अप्रतिक्रमण’ दोष से!
  14. स्मृति में नहीं लाना है फिर भी आता है, वह इसलिए कि ‘प्रतिक्रमण’ बाकी है।
  15. जो याद आता है वह प्रतिक्रमण करवाने के लिए याद आता है।
  16. जो याद आए, उसके लिए प्रतिक्रमण करना चाहिए और जिसकी इच्छा होती है, उसके लिए प्रत्याख्यान करना चाहिए।
  17. जो इंसान, कोई भी क्रिया करने के बाद पछतावा करता है, वह एक दिन शुद्ध हो ही जाएगा, यह तय है।
  18. ‘प्रतिक्रमण’ तो आप बहुत करना, जो लोग आपके आसपास हैं, जिन्हें आपने परेशान किया हो, रोज़ एक-एक घंटे उनके ‘प्रतिक्रमण’ करना।
  19. जिनके ‘आलोचना-प्रतिक्रमण-प्रत्याख्यान’ सही हैं, उसे आत्मा प्राप्त हुए बगैर रहेगा ही नहीं।
  20. घर्षण होने के बाद अगर प्रतिक्रमण कर लें तो घर्षण मिट जाता है। नया घर्षण करें तो आई हुई शक्ति वापस चली जाती है।
  21. जगत् के लोग माफी माँग लेते हैं लेकिन उससे कहीं ‘प्रतिक्रमण’ नहीं हो जाता। वह तो रास्ते में ‘सॉरी,’ ‘थेन्क यू’ कहने जैसा है, उसका कोई महत्व नहीं है। महत्व ‘आलोचना-प्रतिक्रमण-प्रत्याख्यान’ का है।
  22. इंसान से दोष होना स्वाभाविक है। उससे विमुक्त होने का रास्ता क्या है? सिर्फ ‘ज्ञानीपुरुष’ ही वह दिखाते हैं, ‘प्रतिक्रमण’!
  23. यदि बाघ के ‘प्रतिक्रमण’ करें तो बाघ भी हमारे कहे अनुसार काम करेगा। ‘बाघ’ और ‘मनुष्य’ में कोई फर्क नहीं है। फर्क आपके स्पंदनों का है! इसलिए उस पर असर होता है।
  24. जगत् किस आधार पर खड़ा है? अतिक्रमण दोष से। क्रमण में हर्ज नहीं है लेकिन अतिक्रमण हो जाए तो, उसका ‘प्रतिक्रमण’ करना पड़ेगा।
  25. आपका बहुत ही बड़ा दोष हो लेकिन यदि उसके लिए आप बहुत पछतावा करो, ‘हार्टिली’ पस्तावा करो, तो वह चला ही जाएगा। लेकिन लोग ‘हार्टिली’ नहीं करते हैं न? ऊपर-ऊपर से ही बोलते हैं कि मेरा दोष है!

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