अक्रम विज्ञान, एक ऐसा आध्यात्मिक विज्ञान है जो व्यवहार में उपयोगी है और मोक्ष प्राप्ति के लिए एक ‘शार्टकट’ रास्ता है।
अधिक पढ़ें21 मार्च |
दादा भगवान फाउन्डेशन प्रचार करता हैं, अक्रम विज्ञान के आध्यात्मिक विज्ञान का – आत्मसाक्षात्कार के विज्ञान का। जो परम पूज्य दादा भगवान द्वारा बताया गया है।
अधिक पढ़ेंअहमदाबाद से २० की.मी. की दूरी पर सीमंधर सिटी, एक आध्यात्मिक प्रगति की जगह है| जो "एक स्वच्छ, हरा और पवित्र शहर" जाना जाता है|
अधिक पढ़ेंअक्रम विज्ञानी, परम पूज्य दादा भगवान, द्वारा प्रेरित एक अनोखा निष्पक्षपाति त्रिमंदिर।
मोक्षमार्ग में क्रियाकांड या ऐसा कुछ नहीं होता है। सिर्फ संसारमार्ग में क्रियाकांड होते हैं। संसारमार्ग यानी, जिसे भौतिक सुख चाहिए, अन्य कुछ चाहिए, उसके लिए क्रियाकांड है। मोक्षमार्ग में ऐसा कुछ होता नहीं है। मोक्षमार्ग यानी क्या? आलोचना, प्रतिक्रमण और प्रत्याख्यान। चलाता जा अपनी गाड़ी। वही है हमारा यह मोक्षमार्ग। उसमें क्रियाकांड और ऐसा कुछ नहीं होता न!
आलोचना, प्रतिक्रमण, प्रत्याख्यान वही है यह मोक्षमार्ग। कितने ही जन्मों से हमारी यही लाइन (मार्ग) है। कितने ही जन्मों से आलोचना- प्रतिक्रमण- प्रत्याख्यान करते-करते यहाँ तक पहँुचे हैं।
कषाय नहीं करना और प्रतिक्रमण करना, सिर्फ यही दो धर्म हैं। और पूर्वकर्म के अनुसार (कषाय) हो जाएँ तो उसके प्रतिक्रमण करना। यही धर्म है, बाकी और कोई धर्म जैसी चीज़ नहीं है। जबकि यही दो आइटम इन सभी लोगों ने निकाल दिए हैं!
यदि आपने उनसे उल्टा कहा, तो आपको प्रतिक्रमण करना पडे़गा, लेकिन उन्हें भी आपके प्रतिक्रमण करने पड़ेंगे। उन्हें क्या प्रतिक्रमण करना चाहिए कि ‘मैंने कब भूल की होएगी कि इन्हें मुझे गाली देने का मौका मिला?’ अर्थात् उन्हें अपनी भूल का प्रतिक्रमण करना होगा। उन्हें अपने पूर्व जनम का प्रतिक्रमण करना होगा और आपको अपने इस जन्म का प्रतिक्रमण करना पड़ेगा! ऐसे प्रतिक्रमण रोज़ाना पाँच सौ-पाँच सौ करें, तो मोक्ष में जाए!
यदि इतना ही कर लो न, तो दूसरा कोई धर्म नहीं ढूँढोंगे तो भी हर्ज नहीं है। इतना पालन करो तो बस है, और मैं तुझे गारन्टी देता हूँ, तेरे सिर पर हाथ रख देता हूँ। जा मोक्ष के लिए, अंत तक मैं तुझे सहयोग दूँगा! तेरी तैयारी चाहिए। एक ही शब्द का पालन करेगा, तो बहुत हो गया!
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Q. अपने दोषों के लिए माफ़ी कैसे माँगे?
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Q. झूठ बोलना कैसे रोकें? उसके लिए माफ़ी कैसे माँगे?
A. प्रश्नकर्ता : हम झूठ बोलें हो तो वह भी कर्म बाँधना ही कहलाएगा न? दादाश्री : अवश्य ही! लेकिन झूठ बोलने का भाव करना तो झूठ बोलने से भारी कर्म है। झूठ...Read More
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A. प्रश्नकर्ता : मुझे सिगरेट पीने की बुरी आदत पड़ गई है। दादाश्री : तो उसके बारे में 'तू' ऐसा रखना, कि यह गलत है, बुरी चीज़ है, ऐसा। और यदि कोई कहे कि...Read More
Q. नकारात्मक विचारों को रोकने के लिए क्या करें?
A. प्रश्नकर्ता : प्रतिक्रमण कर्मफल के करने हैं या सूक्ष्म के करने हैं? दादाश्री : सूक्ष्म के होते हैं। प्रश्नकर्ता : विचार के या भाव के? दादाश्री : भाव...Read More
Q. वास्तविक प्रतिक्रमण आत्मज्ञान प्राप्ति के बाद में ही शुरू होते हैं!
A. प्रश्नकर्ता: प्रतिक्रमण शुद्ध माना जाता है? सच्चा प्रतिक्रमण किस प्रकार से है? दादाश्री: समकित होने के पश्चात् सच्चा प्रतिक्रमण होता है। सम्यकत्व् होने के...Read More
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