प्रश्नकर्ता: प्रतिक्रमण शुद्ध माना जाता है? सच्चा प्रतिक्रमण किस प्रकार से है?
दादाश्री: समकित होने के पश्चात् सच्चा प्रतिक्रमण होता है। सम्यकत्व् होने के बाद, दृष्टि सुलटी होने के बाद, आत्मदृष्टि होने के बाद सच्चा प्रतिक्रमण होता है। लेकिन तब तक प्रतिक्रमण करे और पछतावा करे तो उससे दोष कम हो जाते हैं। आत्मदृष्टि नहीं हुई हो और संसार के लोग, गलत होने के बाद पछतावा करें और प्रतिक्रमण करें तो इससे पाप कम बँधेंगे। समझ में आया न? प्रतिक्रमण-पछतावा करने से कर्म नष्ट हो जाएँगे!
कपड़े पर चाय का दाग़ लगते ही तुरंत उसे धो डालते हो। ऐसा क्यों?
प्रश्नकर्ता: दाग़ निकल जाए इसलिए।
दादाश्री: उसी प्रकार भीतर दाग़ लगने पर तुरंत धो डालना चाहिए। ये लोग तुरंत धो देते हैं। कोई कषाय उत्पन्न हुआ, कुछ हुआ कि तुरंत धो डालें तो सा़फ ही सा़फ, सुंदर ही सुंदर! आप तो बारह महीने में एक दिन करते हो, उस दिन सारे कपड़े डूबो देते हैं!
हमारा प्रतिक्रमण शूट ऑन साइट कहलाता है। अर्थात् आप जो करते हो वह वास्तव में प्रतिक्रमण नहीं कहलाता। क्योंकि आपका एक भी कपड़ा नहीं धुलता और हमारे तो सभी धुलकर स्वच्छ हो गए। प्रतिक्रमण तो वही कहलाता है कि कपड़े धुलकर स्वच्छ हो जाएँ।
कपडे़ रोज़ाना एक-एक करके धोने पड़ते हैं। जबकि जैन क्या करते हैं? बारहवें महीने में बारह महीनों के कपड़े एक साथ धोते हैं! भगवान के वहाँ तो ऐसा नहीं चलता। ये लोग बारह महीने बाद एकबार कपड़े उबालते हैं या नहीं? इन्हें तो एक-एक करके धोना पड़ेगा। पाँच सौ-पाँच सौ कपड़े (दोष) रोज़ाना धुलेंगे तब काम होगा।
जितने दोष दिखेंगे, उतने कम होते जाएँगे। इन्हें रोज़ाना पाँच सौ दोष दिखाई देते हैं। अब दूसरों को नहीं दिखते, उसकी क्या वज़ह है? अभी उतना कच्चा है, क्या दोषरहित हो गया है, जो नहीं दिख रहे?
भगवान ने रोज़ाना (अपने दोषों का) बहीखाता लिखने को कहा था, अभी बारह महीने में एक बार बहीखाता लिखते हैं। जब पर्युषण आता हैं तब। भगवान ने कहा था कि सच्चा व्यापारी हो तो रोज़ाना लिखना और शाम को लेखा-जोखा निकालना। बारहवें महीने में बहीखाता लिखता है, तब फिर क्या याद होगा? उसमें कौन सी रकम याद होगी? भगवान ने कहा था कि सच्चा व्यापारी बनना और रोज़ का बहीखाता रोज़ लिखना और बहीखाते में कुछ गलती हो गई हो, अविनय हुआ हो तो तुरंत ही प्रतिक्रमण करना, उसे मिटा देना।
Book Name: प्रतिक्रमण (Page #13 Paragraph #5,#6,#7 & Page #14)
A. दादाश्री : प्रतिक्रमण का अर्थ क्या यह आप जानते हैं? प्रश्नकर्ता : नहीं। दादाश्री : आप जैसा जानते... Read More
A. प्रश्नकर्ता: प्रतिक्रमण विधि क्या है ? दादाश्री: उदाहरण के तौर पर अगर आप से किसी चंदूलाल को दुःख... Read More
Q. मृत व्यक्ति से माफ़ी कैसे माँगें?
A. प्रश्नकर्ता: मृत व्यक्ति से किस तरह माफ़ी माँगनी चाहिए ? दादाश्री: हालांकि उनकी मृत्यु हो चुकी... Read More
Q. क्या हम किसी को अनजाने में दुःख पहुँचाएँ तो वह गुनाह है?
A. प्रश्नकर्ता: अनजाने में किसी जीव की हिंसा हो जाए तो क्या करें? दादाश्री: अनजाने में हिंसा हो जाए... Read More
Q. अपने दोषों के लिए माफ़ी कैसे माँगे?
A. अपने आप हो जाये वह अतिक्रमण और प्रतिक्रमण तो सिखना पड़े। किसी को मारना हो तो सिखने नहीं जाना पड़ता,... Read More
Q. झूठ बोलना कैसे रोकें? उसके लिए माफ़ी कैसे माँगे?
A. प्रश्नकर्ता : हम झूठ बोलें हो तो वह भी कर्म बाँधना ही कहलाएगा न? दादाश्री : अवश्य ही! लेकिन झूठ... Read More
Q. व्यसनों से छूटने के लिए क्या करें?
A. प्रश्नकर्ता : मुझे सिगरेट पीने की बुरी आदत पड़ गई है। दादाश्री : तो उसके बारे में 'तू' ऐसा रखना,... Read More
Q. नकारात्मक विचारों को रोकने के लिए क्या करें?
A. प्रश्नकर्ता : प्रतिक्रमण कर्मफल के करने हैं या सूक्ष्म के करने हैं? दादाश्री : सूक्ष्म के होते... Read More
Q. अति आवश्यक धार्मिक सिद्धांत
A. मोक्षमार्ग में क्रियाकांड या ऐसा कुछ नहीं होता है। सिर्फ संसारमार्ग में क्रियाकांड होते हैं।... Read More
subscribe your email for our latest news and events