आध्यात्मिक आर्टिकल्स

प्रार्थना क्या है? हम प्रार्थना के द्वारा खुद को कैसे सशक्त करते हैं?

बचपन से ही, हमने बहुत सी प्रार्थनाएँ बोली, गाई और सुनी हैं। समय के साथ, हमने प्रार्थना में विश्वास विकसित किया है। आइए आज हम यह समझ हासिल करके इस विश्वास को दृढ़ करें कि - 'प्रार्थना का अर्थ क्या है? प्रार्थना के क्या लाभ हैं? हमें भगवान से कैसे प्रार्थना करनी चाहिए? हमें किससे प्रार्थना करनी चाहिए? हमें क्या प्रार्थना करनी चाहिए? यह समझ हमें एक बेहतर जीवन की ओर ले जाएगी और हमारी आध्यात्मिक...

जब आप अकेले हो और अकेलेपन महसूस कर रहे हों तो क्या करें

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है जो विभिन्न समाज में रहते हुए विकसित हुआ है। सामाजिक संबंध आपसी विकास और संतोष का आधार बनते हैं। हालाँकि, बहुत से लोग हैं जो अकेले रहते हैं और अभी भी खुश हैं। उन्हें देखकर हमारे मन में एक सवाल उठ सकता है, ''क्या उन्हें अकेलापन महसूस नहीं होता?'' अकेलापन या अकेला रहना वह अकेला होना नहीं है; इसका मतलब है कि आप अकेला महसूस कर रहे हैं। जब आप भीड़ के बीच होते हैं तब भी यह...

आध्यात्मिकता और धर्म के बीच में क्या अंतर है?

अध्यात्म और धर्म एक नहीं हैं। दोनों के बीच बहुत बड़ा अंतर है। तो आइए जानते हैं, अध्यात्म और धर्म में क्या अंतर है! शांति और सुख की खोज व्यक्ति धर्म से करता है। प्रत्येक धर्म अपने मार्ग अनुसार ज्ञान प्रदान करता है कि क्या अच्छा है और क्या बुरा। धर्म एक श्रद्धा और मान्यता है। यह हमें बुरी चीजों को छोड़कर अच्छी चीजों को अपनाना सिखाता है, क्योंकि कुदरत का नियम ऐसा है कि जब कोई बुरे कर्म करता है,...

जीवन में जब मैं निराशाजनक महसूस कर रहा हूं तो खुद को कैसे प्रोत्साहित करू?

"मैं निराश महसूस करता हूं" हम में से कई लोगों के लिए सबसे अधिक अनुभवों में से एक है। यह सच है कि जीवन में कई बार ऐसा भी होता है जब सब कुछ नीरस लगने लगता है। जब कोई असफलता, नामंजूरी और अस्वीकृति का सामना करता है, तो नेगेटिव दृष्टिकोण आ जाता है। एक नेगेटिव दृष्टिकोण स्वयं, लोगों और स्थितियों के प्रति और भी अधिक नेगेटिविटी को आकर्षित करता है। यह तब होता है जब आप जीवन में निराशा महसूस करने लगते हैं...

पाएँ निराशा (डिप्रेशन) से छुटकारा वैज्ञानिक तरीके से

क्या आपने कभी यह अनुभव किया है कि किसी भी परिस्थिति को नकारात्मक दृष्टि से देखने से डिप्रेशन शुरू होता है? ऐसी स्थिति में हम समझते हैं कि सबकुछ हमारे ख़िलाफ हो रहा है और यही नकारात्मक दृष्टिकोण की वजह से नकारात्मक विचारों की श्रृखंला शुरू होती है। निम्नलिखित कथनों पर विचारणा करें: “तुम में बिल्कुल अक्कल नहीं है!” “तुम किसी काम के नहीं हो।” “तुम एक असफल इंसान हो।” “वह तुमसे हर तरह से बेहतर...

कर्म की सही परिभाषा

‘कर्म’ शब्द का उपयोग अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग तरीके से किया जाता है। अगर आप यह पेज पढ़ रहे हैं, तो यह संभव है कि आप उन हजारों लोगों में से एक होंगे जो इस शब्द, ‘कर्म’ का मर्म जानने के प्रयत्न में हैं। इसे पढ़कर आप यह जान सकते हैं कि हमारे जीवन में किस तरह से हमारे इरादे, हमारी इच्छाएँ और हमारी भावनाएँ, हमारे आचरण को और हमारी क्रियाओं को प्रभावित करते हैं और कैसे इन सब का सम्बन्ध “कर्म” से...

खुद को पहचानें और अनुभव करें!

अपने सच्चे स्वरुप को जानने के लिए कि ‘मैं कौन हूँ’, क्या सचमुच हमें ध्यान, कठोर तप या संसार त्याग करने की ज़रूरत है? जिस सुख का खज़ाना हमारे भीतर ही है, उसे जानने के लिए क्यों हम कोई त्याग करें? हमें तो बस अपने आप को पहचानना है। आज तक लाखों लोगों ने इस परम सत्य को जानने के लिए अपना सब कुछ त्याग दिया। लेकिन क्या वास्तव में इसकी ज़रूरत है? इतने वर्षों में अनेक बार ज्ञानियों ने, साधुओं ने इस सवाल को...

सफलता और विफलता

मनुष्य जीवन चाहे वह सामान्य हो या असामन्य, हमेशा सफलता और असफलता के कई उदाहरणों से भरा होता है| हालांकि, हमारी बुद्धि लगातार हमें बताती है कि सफलता अच्छी है और असफलता बुरी है| इसका कारण यह है कि हम मानते हैं कि सफलता और असफलता हमारी क्षमताओं का एक मूल्यांकन है| जब तक क्षमताएं तेज नहीं हो जातीं तब तक वह उनको सँवारने में मदद करती है| लेकिन वास्तव में क्या होता है, असफलता की स्थिति में, उसे अनुभव...

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