अक्रम विज्ञान, एक ऐसा आध्यात्मिक विज्ञान है जो व्यवहार में उपयोगी है और मोक्ष प्राप्ति के लिए एक ‘शार्टकट’ रास्ता है।
अधिक पढ़ें“यदि खुद के स्वरूप को पहचान लिया तो फिर वह, खुद ही परमात्मा है |”
~ परम पूज्य दादा भगवान
दादा भगवान फाउन्डेशन प्रचार करता हैं, अक्रम विज्ञान के आध्यात्मिक विज्ञान का – आत्मसाक्षात्कार के विज्ञान का। जो परम पूज्य दादा भगवान द्वारा बताया गया है।
अधिक पढ़ेंअहमदाबाद से २० की.मी. की दूरी पर सीमंधर सिटी, एक आध्यात्मिक प्रगति की जगह है| जो "एक स्वच्छ, हरा और पवित्र शहर" जाना जाता है|
अधिक पढ़ेंअक्रम विज्ञानी, परम पूज्य दादा भगवान, द्वारा प्रेरित एक अनोखा निष्पक्षपाति त्रिमंदिर।
ऐसा कहा जाता है कि इस काल में ज्ञानी पुरुष नहीं हो सकते, लेकिन ऐसा नहीं है। जो शास्त्रों में निपुण हैं, वे ज्ञानी नहीं हैं। ज्ञानीपुरुष वे हैं, जिनका खुद का आत्मा जागृत हो चुका है और जो अपनी अध्यात्मिक शक्ति द्वारा औरों को भी आत्मज्ञान की प्राप्ति करवा सकते हैं। सिर्फ ज्ञानीपुरुष ही, कि जो सभी सांसारिक बंधनों से मुक्त हो चुके हैं, औरों को मुक्त करवा सकते हैं। शास्त्रों के अध्ययन द्वारा आत्मज्ञान या मोक्ष प्राप्त करना संभव नहीं है। भले ही वे शास्त्र-ज्ञानी के शब्दों को लेकर बनाए गए हों। प्रत्यक्ष ज्ञानी से ही आत्मज्ञान प्राप्त हो सकता है। ऐसे ही ज्ञानीपुरुष कुछ ही समय पहले हम सबके बीच थे। उनका नाम है परम पूज्य अंबालाल मूलजीभाई पटेल। जो दादाश्री और दादा भगवान").
परम पूज्य दादाश्री कहते थे कि ज्ञानीपुरुष और गुरु में बहुत अधिक फ़र्क है! गुरु वे हैं, जिन्हें खुद को अभी तक आत्मज्ञान नहीं हुआ है, लेकिन वे शुभ कर्म करते हैं और खुद मोक्ष के मार्ग पर आगे बढ़ रहे हैं। वे लोगों को एक बेहतर सांसारिक जीवन प्राप्ति करने में मदद कर सकते हैं। लेकिन मोक्ष सिर्फ ज्ञानीपुरुष से ही प्राप्त हो सकता है, जो आत्मज्ञान सहित होते हैं!
ज्ञानीपुरुष के कुछ गुण नीचे बताए गए हैं, जो कि आप को परम पूज्य दादाश्री, पूज्य नीरुमा और पूज्य दीपकभाई में मिलेंगे।
ज्ञानीपुरुष आत्मा और अनात्मा के गुणधर्म जानते हैं, इसलिए वे दोनों को अलग कर सकते हैं।
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