आध्यात्मिक विज्ञान

हममें से अधितकतर लोगों की आध्यात्मिक मान्यताएँ अलग-अलग होती हैं जब हम आत्मा से ऊँचा और कुछ अलौकिक खोजने की बात आती है। लेकिन वे सभी मान्यताएँ सच नहीं हैं। क्योंकि आध्यात्मिकता या अध्यात्म एक वैज्ञानिक प्रक्रिया का उपयोग करके आत्मा को जानने का विज्ञान है। आध्यात्मिक विज्ञान ऐसा है कि वह सभी लौकिक मान्यताओं को दूर करके मूल आत्मा की राईट बिलीफ (सही समझ) करवाता है।

आम तौर पर, धर्म और अध्यात्म शब्द का इस्तेमाल अक्सर एक दूसरे के स्थान पर किया जाता है। लेकिन दोनों के बीच में बड़ा अंतर है।

आध्यात्मिकता यानि आत्मा की ओर प्रयाण

जो लोग आध्यात्मिक मार्ग पर हैं वे बाहर से अपने सांसारिक कर्तव्यों और दायित्वों को निभाते हुए दिखेंगे, लेकिन अंदर उनकी एकमात्र इच्छा 'आत्मा को प्राप्त करने' की रहती है। इसलिए, दिन-रात, उनका मन सतत आत्मा की प्राप्ति के साधनों की आराधना में होता है। ये साधनें धार्मिक परंपराओं से बिलकुल अलग हैं। वे हमें आध्यात्मिकता का परिचय करवाते हैं, आध्यात्म में प्रगति करवाते हैं, और अंत में, हमें ऐसे पद तक पहुँचाते हैं जहाँ हम वास्तव में आत्मा को प्राप्त कर सकते हैं।

आध्यात्मिकता के प्राथमिक साधनें ज्ञानी और उनके ज्ञानवाक्य हैं

जिस प्रकार केवल एक प्रकट दीया ही दूसरे दीये को जला सकता है, उसी प्रकार केवल ज्ञानी पुरुष ही दुसरों के आत्मा को प्रकट करवा सकते हैं। इसलिए, हमारे आत्मा को जागृत करने के लिए, प्रत्यक्ष ज्ञानी, की जिनका आत्मा जागृत हो चूका है, उनकी आवश्यकता है!

यदि हमें ऐसे ज्ञानी मिलते हैं, तो हमें उनसे आत्मज्ञान अवश्य प्राप्त कर लेना चाहिए और यथार्थ आध्यात्मिक जीवन जीने के लिए उनकी आज्ञा का पालन करना चाहिए। उनकी वाणी ऐसी होती है कि जिसे अगर हम अपने दैनिक जीवन में अपनाएं तो, सभी उलझनें दूर हो जाती हैं, हमारे अंदर सही समझ प्राप्त होती है होती है, और वह हमें आध्यात्मिकता के मार्ग पर सार्थक परिणाम लाने में मदद करती है।

जिस क्षण से हम आध्यात्मिकता को अपनाते हैं...

  • तनाव और चिंता दूर होते हैं,
  • क्रोध-मान-माया-लोभ जो हैं, वे कम होने लगते हैं,
  • भय और दुःख कम होते हैं और आध्यात्मिक समझ का विकास होने से शांति लगती है, और
  • अंत में आत्मा का शाश्वत आनंद प्राप्त होता है।

जो वास्तव में अध्यात्म की ओर मुड़ता है, वह निश्चित रूप से इन परिणामों को प्राप्त करता है क्योंकि इसका विज्ञान आत्मा की ओर ले जाता है। तो आइए, परम पूज्य दादा भगवान द्वारा दर्शाए गए आध्यत्मिकता के संपूर्ण विज्ञान को समझें।

ધર્મ અને અધ્યાત્મની ભેદરેખા

ધર્મ એટલે અશુભનો ત્યાગ કરવો અને શુભને ગ્રહણ કરવું. અધ્યાત્મ એટલે શુભ - અશુભ બંનેથી પર થઇ અવિનાશી આત્મામાં આવવું. ધર્મ અને અધ્યાત્મ વિષે વિગતમાં જાણવા નિહાળો આ વિડિયો....

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Spiritual Quotes

  1. सामनेवाला उकसाए फिर भी चिढ़े नहीं, वह अध्यात्म विजय कहलाती है।
  2. अध्यात्म जान लेना तो उसे कहते हैं कि जहाँ पर प्रतिदिन क्रोध-मान-माया-लोभ कम ही होते जाएँ, बढ़ें नहीं।
  3. ‘अध्यात्म में प्रवेश हुआ’ कब कहलाता है? ‘मैं इससे (देह से) कुछ अलग हूँ’ जब उसे ऐसा आभास होता है, तभी से अध्यात्म की शुरुआत होती है। और देहाध्यास खत्म हो जाने पर अध्यात्म पूर्ण हो जाता है!
  4. अध्यात्म एक ऐसा मार्ग है जहाँ पर भौतिक सुखों की आशा कम करते-करते आगे बढऩा है! और अंत में वहाँ पर खुद का स्वयं सुख उत्पन्न होता है! खुद का सच्चा सुख, सनातन सुख उत्पन्न होता है!
  5. अहंकार शून्य हो, वही अध्यात्म है।
  6. जो साधन साध्य प्राप्त नहीं करवाता, उसे अध्यात्म कहलाएगा ही नहीं।
  7. चिंता ‘वरीज़’, दु:ख वगैरह अध्यात्म के ‘डेवेलपमेन्ट’ (विकास) में ‘हेल्पिंग’ (सहायक) हैं।

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