हमें अगर किंचित्मात्र दुःख होता है, वह अपने दिए हुए दुःखों के प्रत्याघात है। इसलिए जैसा अनुकूल आए वैसा करना।
परम पूज्य दादा भगवानजिस कार्य को करते हुए भीतर बिल्कुल भी शंका उत्पन्न नहीं होती, उसका वह काम अवश्य होता ही है।
परम पूज्य दादा भगवानजितना द्वेष जाता है, उतना ही ‘शुद्ध प्रेम’ उत्पन्न होता है। संपूर्ण द्वेष जाने पर संपूर्ण ‘शुद्ध प्रेम’ उत्पन्न होता है। यही रीति है।
परम पूज्य दादा भगवानजब घर के लोग निर्दोष दिखाई दें और खुद के ही दोष दिखाई दें, तब सच्चे ‘प्रतिक्रमण’ होते हैं।
परम पूज्य दादा भगवानयह ‘अक्रम विज्ञान’ है। आप ‘रेसकोर्स’ में से हटे कि तुरंत आपकी पर्सनालिटी पड़ेगी। ‘रेसकोर्स’ में पर्सनालिटी नहीं पड़ती। किसी की भी नहीं पड़ती।
परम पूज्य दादा भगवानजब से किसी भी जीव से किसी भी तरह का लाभ उठाने की इच्छा न रहें, तभी से करुणा उत्पन्न होती है। जब तक पारस्परिक आधार है तब तक करुणा नहीं है। आधार-आधारी नहीं होना चाहिए। खुद किसी का आधार ज़रूर बनता है लेकिन खुद किसी पर आधारित नहीं रहता!
परम पूज्य दादा भगवानकरुणा से ही ‘ज्ञान’ उत्पन्न होता है। जिसमें कारुण्यता का बीज डल गया है उसे ‘ज्ञान’ प्रकट हुए बगैर रहेगा ही नहीं।
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