आराधना किसे कहते हैं? जिनकी आराधना की, कभी भी उनकी विराधना न हो, चाहे जीवन-मरण का प्रश्न हो! आराधना यानी आराधना।
परम पूज्य दादा भगवानधर्म की विराधना अर्थात् किसी जीव को किंचित्मात्र भी दु:ख देने का भाव होना।
परम पूज्य दादा भगवानशास्त्र ज्ञान से सम्यक् दर्शन नहीं हो सकता। सम्यक् दर्शन अनुभव ज्ञान से होता है!
परम पूज्य दादा भगवानहक़ के वैभव भोगना ऊध्र्वगति है। अणहक्क (अवैध) के वैभव भोगना अधोगति है।
परम पूज्य दादा भगवानबस इतना ही नहीं कि शील में ब्रह्मचर्य का समावेश हो जाता है, परंतु उससे किसी को किंचित्मात्र भी दु:ख नहीं होता, उसे देखते ही आनंद हो जाता है!
परम पूज्य दादा भगवानजिसकी वाणी से किसी को किंचित्मात्र भी दु:ख नहीं होता, जिसके वर्तन से किसी को किंचित्मात्र भी दु:ख नहीं होता, जिसके मन में खराब भाव नहीं आते, वह शीलवान है!
परम पूज्य दादा भगवानजब हमें यथार्थ रूप से ऐसा समझ में आ जाएगा कि शुद्धात्मा में ही सुख है, तब विषय में सुख नहीं रहेगा।
परम पूज्य दादा भगवानआत्मा ही ब्रह्मचर्य है। जिसे आत्म सुख की प्राप्ति हो जाती है, उसे अब्रह्मचर्य के विचार ही नहीं आते!
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