अक्रम विज्ञान, एक ऐसा आध्यात्मिक विज्ञान है जो व्यवहार में उपयोगी है और मोक्ष प्राप्ति के लिए एक ‘शार्टकट’ रास्ता है।
अधिक पढ़ें17 फरवरी |
16 फरवरी | to | 17 फरवरी |
दादा भगवान फाउन्डेशन प्रचार करता हैं, अक्रम विज्ञान के आध्यात्मिक विज्ञान का – आत्मसाक्षात्कार के विज्ञान का। जो परम पूज्य दादा भगवान द्वारा बताया गया है।
अधिक पढ़ेंअहमदाबाद से २० की.मी. की दूरी पर सीमंधर सिटी, एक आध्यात्मिक प्रगति की जगह है| जो "एक स्वच्छ, हरा और पवित्र शहर" जाना जाता है|
अधिक पढ़ेंअक्रम विज्ञानी, परम पूज्य दादा भगवान, द्वारा प्रेरित एक अनोखा निष्पक्षपाति त्रिमंदिर।
अधिक पढ़ेंहजारों वर्ष पहले लिखी गयी भगवद् गीता का विश्लेषण व अभ्यास प्रत्येक विद्वान द्वारा अलग-अलग प्रकार से किया गया है। और इस काल में जब उम्र में मात्र... Read More
हम बचपन से ही भगवान और देव-देवियों की प्रार्थना करते आ रहे हैं, उनकी भक्ति करते आ रहे हैं और इसी तरह अलग-अलग तरीके से भगवान एवं धर्म से जुड़े हुए हैं।... Read More
कर्म क्या है ? क्या अच्छें कर्म करने से गलत कर्मों का असर खत्म हो जाता है ? भले लोगों को दुःख क्यों उठाने पड़ते हैं ? कर्म बंधन कब और कैसे रूकता है... Read More
इस जीवन में ज़िंदगी जीने के अलावा भी बहुत कुछ है। यों ही जीवन जीने के अलावा भी इसमें बहुत कुछ होना चाहिए। जीवन का कोई ऊँचा हेतु होना चाहिए। जीवन का... Read More
प्रेम शब्द का इस हद तक दुरुपयोग हुआ है कि हरएक कदम पर इसके अर्थ को लेकर प्रश्न खड़े होते है। यदि यह सच्चा प्यार है तो, यह ऐसा कैसे हो सकता है? सिर्फ... Read More
मन को केंद्रित करने की किसी भी प्रकार की क्रिया मनो–योग(ध्यान) कहलाती है। लेकिन यदि यह दिमाग में बिना कोई लक्ष्य रखे किया जाए तो इसका कोई लाभ नहीं... Read More
क्या आपने कभी सोचा है, वाणी कैसे बोली जाती है? जब आप सितार का एक तार छेड़ते हैं, तो वह कितने प्रकार की आवाज पैदा करता है? कईं। इसी प्रकार से जब आपको... Read More
मृत्यु क्या है? मृत्यु के समय क्या होता है? मृत्यु के पश्चात क्या होता है? मृत्यु के अनुभव के बारे में कोई किस प्रकार बता सकता है? मृत व्यक्ति अपना... Read More
ब्रह्मचर्य क्या है? ब्रह्मचर्य क्यों महत्वपूर्ण है? विषय विकार के आकर्षण से किस प्रकार मुक्त हुआ जा सकता है? यह पुस्तक ज्ञानीपुरुष दादाश्री के... Read More
हम में से कई लोग धार्मिक क्रियाएँ करते हैं, हम कठिन तप, व्रत, मेडिटेशन और ऐसी अन्य तपस्याएँ करते हैं, इसके बावजूद भी क्यों हमारे मन-वचन-काया से... Read More
"दूसरों के दोष देखने से कर्म बँधन होता है और खुद के दोष देखने से कर्मों से मुक्ति मिलती है।" यह कर्म का सिद्धांत है। अपने खुद के स्वरूप की अज्ञानता... Read More
'इतना धर्म और धार्मिक क्रियाओं करने के बावजूद भी वह व्यवहार में क्यों नज़र नहीं आता?' क्या यह बात आपको परेशान नहीं करती? इसके पीछे कारण क्या... Read More
अहिंसा अर्थात् ऐसी जागृति रखना कि अपने मन-वचन-काया से किसी भी जीव को किंचित् मात्र भी दुःख न हो। जब यह सिद्धांत आपके निश्चय और जागृति में दृढ हो... Read More
परम पूज्य दादाश्री ने त्रिमंत्र का मूल अर्थ समझाया है। त्रिमंत्र एक ऐसा मंत्र या प्रार्थना है जिसमें सभी परेशानियों और जीवन के विघ्नों को कम करने की... Read More
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