आत्महत्या
किसी व्यक्ति को आत्महत्या कभी नहीं करनी चाहिए| बल्कि, उस व्यक्ति को ज्ञानी पुरुष से आशीर्वाद लेकर एक नए और सही मार्ग पर जीवन जीना चाहिए|
अक्रम विज्ञान, एक ऐसा आध्यात्मिक विज्ञान है जो व्यवहार में उपयोगी है और मोक्ष प्राप्ति के लिए एक ‘शार्टकट’ रास्ता है।
अधिक पढ़ें“यदि खुद के स्वरूप को पहचान लिया तो फिर वह, खुद ही परमात्मा है |”
~ परम पूज्य दादा भगवान
दादा भगवान फाउन्डेशन प्रचार करता हैं, अक्रम विज्ञान के आध्यात्मिक विज्ञान का – आत्मसाक्षात्कार के विज्ञान का। जो परम पूज्य दादा भगवान द्वारा बताया गया है।
अधिक पढ़ेंअहमदाबाद से २० की.मी. की दूरी पर सीमंधर सिटी, एक आध्यात्मिक प्रगति की जगह है| जो "एक स्वच्छ, हरा और पवित्र शहर" जाना जाता है|
अधिक पढ़ेंअक्रम विज्ञानी, परम पूज्य दादा भगवान, द्वारा प्रेरित एक अनोखा निष्पक्षपाति त्रिमंदिर।
क्या कारण हैं जो व्यक्ति को अत्याधिक निरूत्साहित कर देते हैं कि वे आत्महत्या करना चाहते हैं? हम उस व्यक्ति की किस प्रकार से सहायता कर सकते हैं जो डिप्रेशन से गुज़र रहा हो? आध्यात्मिक ज्ञान व्यक्ति की सहायता कैसे कर सकता है जो डिप्रेशन से गुज़र रहा हो?
वे व्यक्ति जो डिप्रेशन से त्रस्त हैं, केवल अंधकार में ही नहीं डूबे रहते, वे अनेक प्रकार के आंतरिक कोलाहलों का सामना करते हैं जो उन्हें शारीरिक रूप से नुकसान पहुँचाते हैं। इसे उद्वेग कहते हैं। उद्वेग तब शुरू होता है जब प्रत्येक चीज़ की अति हो जाती है, जब चीज़ें सीमाओं से परे हो जाती हैं। जब व्यक्ति स्वयं को या अन्य व्यक्ति को नुकसान पहुँचाता है, यह सब इसलिए होता है क्योंकि वह उद्वेग को अनुभव कर रहा होता है।
जब व्यक्ति डिप्रेशन का शिकार हो रहा हो, वह अपना अंदरुनी प्रकाश खो चुका होता है। उसका आत्मज्ञान उसके उद्देश्य के साथ लुप्त हो चुका होता है। वे विश्वास करना शुरू कर देते हैं कि प्रकाश कभी दोबारा वापस नहीं आएगा। लेकिन एक आशा है और यह आशा उस सुंदर ज्ञान में है जिसे परम पूज्य दादाश्री ने इस संसार को उपहार में दिया है।
परम पूज्य दादाश्री का आध्यात्मिक विज्ञान इतना दैवीय है कि यह केवल उस व्यक्ति को, जो डिप्रेशन से गुज़र रहा हो, सांत्वना ही नहीं देता बल्कि सारी समस्याओं का निवारण करता है।
अज्ञानता सभी कष्टों की मूल जड है। इसलिए संपूर्ण सत्य के उपयुक्त ज्ञान से, व्यक्ति जो डिप्रेशन से गुज़र रहा है, वह और उसके पारिवारिक सदस्य अपने अंदर आंतरिक प्रकाश को पुनःप्रज्जवलित करने के योग्य बन जाएँगे तथा अपने कष्टों से पूर्णतयाः मुक्त हो सकते हैं।
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