अक्रम विज्ञान, एक ऐसा आध्यात्मिक विज्ञान है जो व्यवहार में उपयोगी है और मोक्ष प्राप्ति के लिए एक ‘शार्टकट’ रास्ता है।
अधिक पढ़ें21 मार्च |
दादा भगवान फाउन्डेशन प्रचार करता हैं, अक्रम विज्ञान के आध्यात्मिक विज्ञान का – आत्मसाक्षात्कार के विज्ञान का। जो परम पूज्य दादा भगवान द्वारा बताया गया है।
अधिक पढ़ेंअहमदाबाद से २० की.मी. की दूरी पर सीमंधर सिटी, एक आध्यात्मिक प्रगति की जगह है| जो "एक स्वच्छ, हरा और पवित्र शहर" जाना जाता है|
अधिक पढ़ेंअक्रम विज्ञानी, परम पूज्य दादा भगवान, द्वारा प्रेरित एक अनोखा निष्पक्षपाति त्रिमंदिर।
पूज्य दीपकभाई देसाई का जन्म, ९ मई १९५३ को गुजरात के मोरबी शहर में हुआ था। एक बार उनके बड़े भाई साहब ने उनसे कहा कि 'ज्ञानीपुरुष अंबालाल मूलजी भाई द्वारा दिया गया ज्ञान, अक्रम विज्ञान उन्हें पढ़ाई में मदद करेगा'। उस समय पूज्य दीपकभाई बोम्बे के वी.जे.टी.आई कॉलेज़ में इन्जीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे थे। इस मृदुभाषी, विनयी और अंतर्मुखी युवक को सांसारिक जीवन अर्थहीन और भार स्वरुप लगता था। उन्हें पता ही नहीं था कि ज्ञानीपुरुष से उनकी भेंट उनके जीवन की दिशा ही बदल देगा, जिसकी वे कल्पना भी नहीं कर सकते थे।
६ मार्च १९७१ को पूज्य दीपकभाई ने परम पूज्य दादाश्री से आत्मज्ञान प्राप्त किया। उस समय वे १७ साल के थे। आत्मज्ञान प्राप्ति के बाद में उन्हें अक्रम विज्ञान को और अधिक गहराई से सीखने और समझने की लगन लग गई।
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