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प्रामाणिकता और शुद्धता का विज्ञान

कई सारे लोगो का यह मानना है कि जायदाद मे से ही सुख मिलेगा, परंतु कितने ही धनवान लोगो का जीवन अशांति से भरा हुआ होता है और वे सदैव ही अत्यंत तनाव मे रह रहे होते है | दूसरी और कितने ही लोग एैसे भी है जिन्हें काफी कम वेतन मिलने के पश्चात भी आश्चर्यजनक सुख व शांति से भरपूर जीवन व्यतीत करते है | ऐसी विसंगत का क्या कारण है ? यह कैसे संभव है ?

परम पूज्य दादाश्री कहते थे कि जब भी कोई पूछे कि “मुझे सुख चहिए – तो मै उससे कहता कि “प्रमाणिकता और नैतिकता से जीवन जिओ” | प्रमाणिकता वह धर्म का ऊँचे में ऊँचा प्रकार है, क्यों कि ये भगवान के सिध्धांत अनुसार है | यदि आप प्योर व्यक्ति हो और प्रामाणिकता से जीवन जीते हो, तो आपको अपने कर्मो का अच्छा फल मिलेगा | अगर आप भीतर से प्योर हो तो आपका जीवन सरलता से व्यतीत होगा और यदि आप भीतर से अप्रमाणिक होंगे, तो आपके जीवन में ऐसा प्रतिबिंब पड़ेगा (बुरे परिणाम आऐगे) | यह कुदरत का नियम है |

परंतु इस काल में, अगर हम प्रामाणिक और नैतिक जीवन जिएगें तो लोग हमारा लाभ उठायेगें | सही है ना ! जब हमारे आस–पास उपस्थित प्रत्येक व्यक्ति छल करना चाहती हो तब हम प्रमाणिक व शुध्ध रहे, यह कैसे संभव है ? जब आप परम पूज्य दादाश्री द्वारा प्रकट किया हुआ प्रमाणिकता और प्योरिटी के पीछे का विज्ञान पढ़ेंगे तब आप यह प्रश्नों के उत्तर जानकर आश्चर्य चकित रह जाएगे |

Top Questions & Answers

  1. Q. पैसो का सिध्धांत क्या है? अनीति का पैसा खर्च करने का क्या परिणाम आता है? और आप किस तरह प्रामाणिकता से ज्यादा पैसे कमा सकते हो?

    A. जब तक कभी टेढ़ा धंधा शुरू नहीं हो, तब तक लक्ष्मी जी नहीं जाती। टेढ़ा रास्ता, वह लक्ष्मी जाने का... Read More

  2. Q. चोरी और भ्रष्टाचार से पैसा कमाने का क्या परिणाम आता है?

    A. प्रश्नकर्ता: लक्ष्मी क्यों कम हो जाती है? दादाश्री: चोरियों से। जहाँ मन-वचन-काया से चोरी नहीं... Read More

  3. Q. किस लिए हमे प्रामाणिकता से पैसा कमाना चाहिए? क्या नीति का धन मन की शांति दिला सकता है?

    A. कुदरत क्या कहती है? उसने कितने रुपये खर्च किए वह हमारे यहाँ देखा नहीं जाता। यहाँ तो, वेदनीय कर्म... Read More

  4. Q. क्या लोगो के साथ सीधा रहना यह हमारी मूर्खता है? स्वार्थी लोगो के साथ किस तरह व्यव्हार करना चाहिए?

    A. टेढ़ों के साथ टेढ़े होने पर... प्रश्नकर्ता: दुनिया टेढ़ी है, किंतु यदि हम अपने स्वभाव के अनुसार... Read More

  5. Q. हमारा अनितिवाला व्यव्हार होते हुए भी हम किस तरह से निति से व्यवसाय कर सकते है? अप्रामाणिक होते हुए भी हम किस प्रकार प्रामाणिक बन सकते है?

    A. व्यवसाय में अणहक्क का कुछ भी नहीं घुसना चाहिए और जिस दिन बिना हक़ का लोगे, उस दिन से व्यवसाय में... Read More

  6. Q. प्योरिटी (शुद्धता) और मुक्ति यह दोनो वैज्ञानिक रूप से एक दूसरे के साथ किस तरह जुड़े हुए है? क्या प्योरिटी का अंतिम परिणाम मोक्ष है?

    A. विज्ञान द्वारा मुक्ति प्रश्नकर्ता: मोक्ष में जाने की भावना है, परन्तु उस रास्ते में खामी है तो... Read More

  7. Q. शुद्ध चित्त किस तरह कर्मो का शुद्धिकरण करता है? क्या प्रामाणिकता के परिणाम स्वरूप संसार व्यव्हार शुद्ध हो सकता है?

    A. चित्त शुद्धिकरण ही है अध्यात्मसिद्धि! प्रश्नकर्ता: कर्म की शुद्धि किस तरह होती है? दादाश्री: कर्म... Read More

  8. Q. किस तरह चित शुध्ध होता है, जिससे सत् चित आनंद स्वरूप बन सके?

    A. शुद्ध चिद्रूप प्रश्नकर्ता: चित्त की शुद्धि किस तरह होती है? दादाश्री: यह चित्त की शुद्धि ही कर... Read More

  9. Q. बोले हुऐ शब्दो कि क्या असर होती है? वाणी या भाषण में किस तरह प्योरिटी आएगी और वचनबल किस तरह प्राप्त किया जा सकता है?

    A. मधुरी वाणी के, कारणों का ऐसे करें सेवन प्रश्नकर्ता: कई बार ऐसा नहीं होता कि हमें सामनेवाले का व्यू... Read More

  10. Q. शुद्ध लक्ष्मी कि क्या निशानी है? अशुद्ध और भ्रष्टाचार से मिले हुए पैसो का क्या परिणाम होता है?

    A. हमेशा ही, यदि लक्ष्मी निर्मल होगी तो सब अच्छा रहेगा, मन अच्छा रहेगा। यह लक्ष्मी अनिष्ट आई है उससे... Read More

  11. Q. कोई व्यक्ति प्योर किस प्रकार बन सकता है?

    A. प्रश्नकर्ता: शुद्धता लाने के लिए क्या करना चाहिए? दादाश्री: करने जाओगे तो कर्म बाँधोगे। ‘यहाँ पर’... Read More

  12. Q. प्योरिटी में से उत्पन्न हुए शील है? ओरा की शक्तियों के क्या गुण है?

    A. शीलवान का चारित्रबल शील का प्रभाव ऐसा है कि जगत् में कोई उनका नाम नहीं ले। लुटेरों के बीच रहता हो,... Read More

  13. Q. शुद्धात्मा ये क्या है? यह आत्मा से किस प्रकार अलग है? शुद्धात्मा की जागृति में रहकर प्योरिटी कि ओर किस तरह बढ़ सकते है?

    A. शुद्धता बरते इसलिए, शुद्धात्मा कहो प्रश्नकर्ता: आपने शुद्धात्मा किसलिए कहा? सिर्फ आत्मा ही क्यों... Read More

  14. Q. शीलवान किसे कहते है? शीलवान ओंर चरित्रवान कि वाणी के लक्षण क्या होते है?

    A. वचलबल शीलवान का इस जगत् के सभी ज्ञान शुष्कज्ञान हैं। शुष्कज्ञानवाले कोई शीलवान पुरुष हो यानी... Read More

Spiritual Quotes

  1. प्रामाणिकता और पारस्पारिक ‘ओब्लाइजिंग नेचर’। बस, इतना ही ज़रूरी है। पारस्पारिक उपकार करना, इतना ही मनुष्य जीवन की बड़ी उपलब्धि है! इस संसार में दो प्रकार के लोगों को चिंता मिटती है, एक ज्ञानी पुरुष को और दूसरे परोपकारी को।  
  2. सभी लोग लुट रहे हों, परन्तु यदि कोई ऐसा पवित्र मनुष्य हो, तो उसे कोई लूट नहीं सकेगा। लूटनेवाले भी लूट नहीं सकेंगे। इतना अधिक सेफसाइडवाला जगत् है यह!
  3. ‘ऑनेस्टी इज़ द बेस्ट पॉलिसी एन्ड डिसऑनेस्टी इस द वस्र्ट फूलिशनेस।’
  4. खुद के हिसाब की फटी साड़ी अच्छी, खुद की प्रामाणिकता की खिचड़ी अच्छी, ऐसा भगवान ने कहा है। अप्रमाणिकता से प्राप्त करे, वह तो गलत ही है न?
  5. नीतिमय पैसे लाए तो उसमें हर्ज नहीं है, लेकिन अनीति के पैसे लाए तो समझो अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मारी और अर्थी उठेगी तब पैसे यहीं पड़े रहेंगे। वे कुदरत की जब्ती में जाते हैं और उसने यहाँ पर जो गुत्थियाँ उलझाईं, वे उसे फिर भुगतनी पड़ेगी।
  6. यदि एक आदमी कहे, ‘मुझे धर्म नहीं चाहिए। भौतिक सुख चाहिए’ तो उसे मैं कहूँगा, ‘प्रामाणिक रहना, नीति का पालन करना।’ मंदिर जाने को नहीं कहूँगा। दूसरों को तू देता है, वह देवधर्म है। लेकिन दूसरों का, अणहक्क नहीं लेता, यह मानवधर्म है। अर्थात् प्रामाणिकता यह सबसे बड़ा धर्म है।
  7. ‘डिसऑनेस्टी इज़ द बेस्ट फूलीशनेस!!!’ ऑनेस्ट नहीं हो सकता, तो क्या मैं समुद्र में कूद जाऊँ? मेरे ‘दादाजी’ सिखाते हैं कि अगर डिसऑनेस्ट हो जाओ तो उसका प्रतिक्रमण करना। तेरा अगला जन्म उज्जवल हो जाएगा। डिसऑनेस्टी को डिसऑनेस्टी समझ और उसका पश्चाताप कर। इतना निश्चित है कि पश्चाताप करनेवाला व्यक्ति ऑनेस्ट है।
  8. पर वह तो हमारे रुपये खोटे हों तो वे उलटे रास्ते जाएँगे। जितना धन खोटा उतना गलत रास्ते जाता है और अच्छा धन हो, उतना अच्छे रास्ते जाता है।
  9. जहाँ हो प्योरिटी हार्ट की, एकता लगे सभी के संग
  10. यदि एक ही मनुष्य प्योर हो तो कितने ही मनुष्यों का कम हो जाए ! अत: खुद की प्योरिटी चाहिए |
  11. चोरी करने से चित्त अशुद्ध हो जाता है, लेकिन फिर पश्चाताप करने से वही चित्त शुद्ध हो जाता है। पश्चाताप नहीं करने की वजह से इन्हीं लोगों में चित्त की अशुद्धि रह गई है।
  12. व्यवहार शुद्धि के लिए ऐसा व्यवहार रखें कि सामनेवाले को दुःख न हो, उसे व्यवहार शुद्धि कहते हैं। बिल्कुल भी दुःख न हो। अगर हमें (दुःख) हो जाए तो सहन कर लेना चाहिए, लेकिन सामनेवाले को तो दुःख होना ही नहीं चाहिए।
  13. स्वरूप में रमणता वह चारित्र है। शुद्ध दशा से अभेदता लगती है। आत्मवत् सर्वभूतेषु लगता है, वह निरा शुद्ध है।
  14. जब तक शुद्धता उत्पन्न नहीं होती, तब तक मोक्ष नहीं हो सकता। शुद्धता के लिए ‘मैं कौन हूँ’ का भान होना चाहिए।
  15. जिसका अंदर जितना शुद्ध हो, उतने बाहर के संयोग सीधे! जितना भीतर मैला, उतने बाहर के संयोग बिगड़े। 

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