Related Questions

चोरी और भ्रष्टाचार से पैसा कमाने का क्या परिणाम आता है?

प्रश्नकर्ता: लक्ष्मी क्यों कम हो जाती है?

दादाश्री: चोरियों से। जहाँ मन-वचन-काया से चोरी नहीं होती, वहाँ लक्ष्मीजी कृपा करती है। लक्ष्मी का अंतराय चोरी से है। ट्रिक (चालाकी) और लक्ष्मी में बैर है। स्थूल चोरी बंद होती है, तब जाकर ऊँची ज्ञाति में जन्म होता है। लेकिन सूक्ष्म चोरी अर्थात् ट्रिक करें, तो वह तो हार्ड (भारी) रौद्रध्यान है और उसका फल नर्कगति है। कपड़ा खींचकर नापते हैं, वह हार्ड रौद्रध्यान है। ट्रिकें तो होनी ही नहीं चाहिए। ट्रिकें करना किसे कहते हैं? ‘बहुत चोखा माल है’ कहकर मिलावटवाला माल देकर खुश होता है। और अगर हम कहें कि, ऐसा तो किया जाता होगा भला? तब वह कहेगा कि, ‘वह तो ऐसा ही करना पड़ता है।’ लेकिन ईमानदारी की इच्छावाले को क्या कहना चाहिए कि ‘मेरी इच्छा तो अच्छा माल देने की है, लेकिन यह माल ऐसा है, वह ले जाओ।’ इतना कह दिया तो भी ज़िम्मेदारी अपनी नहीं रहेगी!

अर्थात् ये सभी लोग कब तक ईमानदार हैं? कि जब तक कालेबाज़ार का अधिकार उन्हें प्राप्त नहीं हुआ।

Reference: Book Name: पैसो का व्यव्हार (Page #19 - Paragraph #5 & #6, Page #20 - Paragraph #1 to #3)

अपने पाप में कोई हिस्सेदारी नहीं करता। आप बेटे से पूछो कि, ‘भाई, हम ये चोरियाँ कर-करके धन कमाते हैं।’। तब वह कहेगा, ‘आपको कमाना हो तो कमाइए, हमें ऐसा नहीं चाहिए।’ पत्नी भी कहेगी, ‘सारी ज़िंदगी उल्टे-सीधे किए हैं, अब छोड़ दीजिए न।’ फिर भी ये मूर्ख नहीं छोड़ेगा।

जब से किसी को देना सीखा तभी से सद्बुद्धि उत्पन्न हुई। अनंत जन्मों से देना सीखा ही नहीं। जूठन देना भी उसे पसंद नहीं है, ऐसा है मनुष्य का स्वभाव! ग्रहण करने की ही उसे आदत है! जब जानवर में था, तब भी ग्रहण करने की ही आदत, देने का नहीं! वह जब से देना सीखता है, तभी से मोक्ष की ओर मुड़ता है।

चेक आया तभी से समझो न, कि इसे भुनाऊँगा तो पैसे आएँगे! यह तो (पुण्य का) चेक लेकर आए थे और वह आज भुनाया आपने! भुनाया उसमें क्या मेहनत की आपने? इस पर लोग कहते हैं, ‘मैं इतना कमाया, मैंने मेहनत की!’ अरे! एक चेक भुनाया उसे क्या मेहनत करना कहेंगे? वह भी फिर, जितने का चेक होगा, उतना ही प्राप्त होगा। उससे ज़्यादा नहीं मिलेगा न? यह आपको समझे में आया? 

Reference: Book Name: पैसो का व्यव्हार (Page #61 - Paragraph #3 to #5)

Related Questions
  1. पैसो का सिध्धांत क्या है? अनीति का पैसा खर्च करने का क्या परिणाम आता है? और आप किस तरह प्रामाणिकता से ज्यादा पैसे कमा सकते हो?
  2. चोरी और भ्रष्टाचार से पैसा कमाने का क्या परिणाम आता है?
  3. किस लिए हमे प्रामाणिकता से पैसा कमाना चाहिए? क्या नीति का धन मन की शांति दिला सकता है?
  4. क्या लोगो के साथ सीधा रहना यह हमारी मूर्खता है? स्वार्थी लोगो के साथ किस तरह व्यव्हार करना चाहिए?
  5. हमारा अनितिवाला व्यव्हार होते हुए भी हम किस तरह से निति से व्यवसाय कर सकते है? अप्रामाणिक होते हुए भी हम किस प्रकार प्रामाणिक बन सकते है?
  6. प्योरिटी (शुद्धता) और मुक्ति यह दोनो वैज्ञानिक रूप से एक दूसरे के साथ किस तरह जुड़े हुए है? क्या प्योरिटी का अंतिम परिणाम मोक्ष है?
  7. शुद्ध चित किस तरह कर्मो का शुद्धिकरण करता है? क्या प्रामाणिकता के परिणाम स्वरूप संसार व्यव्हार शुद्ध हो सकता है?
  8. किस तरह चित शुध्ध होता है, जिससे सत् चित आनंद स्वरूप बन सके?
  9. बोले हुऐ शब्दो कि क्या असर होती है? वाणी या भाषण में किस तरह प्योरिटी आएगी और वचनबल किस तरह प्राप्त किया जा सकता है?
  10. पैसा लक्ष्मी कि क्या निशानी है? अशुद्ध और भ्रष्टाचार से मिले हुए पैसो का क्या परिणाम होता है?
  11. कोई व्यक्ति प्योर किस प्रकार बन सकता है?
  12. प्योरिटी में से उत्पन्न हुए शील है? ओरा की शक्तियों के क्या गुण है?
  13. शुद्धात्मा ये क्या है? यह आत्मा से किस प्रकार अलग है? शुद्धात्मा की जागृति में रहकर प्योरिटी कि ओर किस तरह बढ़ सकते है?
  14. शीलवान किसे कहते है? शीलवान ओंर चरित्रवान कि वाणी के लक्षण क्या होते है?
×
Share on