अक्रम विज्ञान, एक ऐसा आध्यात्मिक विज्ञान है जो व्यवहार में उपयोगी है और मोक्ष प्राप्ति के लिए एक ‘शार्टकट’ रास्ता है।
अधिक पढ़ें“यदि खुद के स्वरूप को पहचान लिया तो फिर वह, खुद ही परमात्मा है |”
~ परम पूज्य दादा भगवान
दादा भगवान फाउन्डेशन प्रचार करता हैं, अक्रम विज्ञान के आध्यात्मिक विज्ञान का – आत्मसाक्षात्कार के विज्ञान का। जो परम पूज्य दादा भगवान द्वारा बताया गया है।
अधिक पढ़ेंअहमदाबाद से २० की.मी. की दूरी पर सीमंधर सिटी, एक आध्यात्मिक प्रगति की जगह है| जो "एक स्वच्छ, हरा और पवित्र शहर" जाना जाता है|
अधिक पढ़ेंअक्रम विज्ञानी, परम पूज्य दादा भगवान, द्वारा प्रेरित एक अनोखा निष्पक्षपाति त्रिमंदिर।
प्रश्नकर्ता: लक्ष्मी क्यों कम हो जाती है?
दादाश्री: चोरियों से। जहाँ मन-वचन-काया से चोरी नहीं होती, वहाँ लक्ष्मीजी कृपा करती है। लक्ष्मी का अंतराय चोरी से है। ट्रिक (चालाकी) और लक्ष्मी में बैर है। स्थूल चोरी बंद होती है, तब जाकर ऊँची ज्ञाति में जन्म होता है। लेकिन सूक्ष्म चोरी अर्थात् ट्रिक करें, तो वह तो हार्ड (भारी) रौद्रध्यान है और उसका फल नर्कगति है। कपड़ा खींचकर नापते हैं, वह हार्ड रौद्रध्यान है। ट्रिकें तो होनी ही नहीं चाहिए। ट्रिकें करना किसे कहते हैं? ‘बहुत चोखा माल है’ कहकर मिलावटवाला माल देकर खुश होता है। और अगर हम कहें कि, ऐसा तो किया जाता होगा भला? तब वह कहेगा कि, ‘वह तो ऐसा ही करना पड़ता है।’ लेकिन ईमानदारी की इच्छावाले को क्या कहना चाहिए कि ‘मेरी इच्छा तो अच्छा माल देने की है, लेकिन यह माल ऐसा है, वह ले जाओ।’ इतना कह दिया तो भी ज़िम्मेदारी अपनी नहीं रहेगी!
अर्थात् ये सभी लोग कब तक ईमानदार हैं? कि जब तक कालेबाज़ार का अधिकार उन्हें प्राप्त नहीं हुआ।
Reference: Book Name: पैसो का व्यव्हार (Page #19 - Paragraph #5 & #6, Page #20 - Paragraph #1 to #3)
अपने पाप में कोई हिस्सेदारी नहीं करता। आप बेटे से पूछो कि, ‘भाई, हम ये चोरियाँ कर-करके धन कमाते हैं।’। तब वह कहेगा, ‘आपको कमाना हो तो कमाइए, हमें ऐसा नहीं चाहिए।’ पत्नी भी कहेगी, ‘सारी ज़िंदगी उल्टे-सीधे किए हैं, अब छोड़ दीजिए न।’ फिर भी ये मूर्ख नहीं छोड़ेगा।
जब से किसी को देना सीखा तभी से सद्बुद्धि उत्पन्न हुई। अनंत जन्मों से देना सीखा ही नहीं। जूठन देना भी उसे पसंद नहीं है, ऐसा है मनुष्य का स्वभाव! ग्रहण करने की ही उसे आदत है! जब जानवर में था, तब भी ग्रहण करने की ही आदत, देने का नहीं! वह जब से देना सीखता है, तभी से मोक्ष की ओर मुड़ता है।
चेक आया तभी से समझो न, कि इसे भुनाऊँगा तो पैसे आएँगे! यह तो (पुण्य का) चेक लेकर आए थे और वह आज भुनाया आपने! भुनाया उसमें क्या मेहनत की आपने? इस पर लोग कहते हैं, ‘मैं इतना कमाया, मैंने मेहनत की!’ अरे! एक चेक भुनाया उसे क्या मेहनत करना कहेंगे? वह भी फिर, जितने का चेक होगा, उतना ही प्राप्त होगा। उससे ज़्यादा नहीं मिलेगा न? यह आपको समझे में आया?
Reference: Book Name: पैसो का व्यव्हार (Page #61 - Paragraph #3 to #5)
गैरकानूनी पैसे का प्रभाव आपके घर के लिये हानिकारक है । अधिक जानने के लिए यहाँ क्लिक करें ।
A. जब तक कभी टेढ़ा धंधा शुरू नहीं हो, तब तक लक्ष्मी जी नहीं जाती। टेढ़ा रास्ता, वह लक्ष्मी जाने का निमित्त है! यह काला धन कैसा कहलाता है, वह समझाऊँ। यदि बाढ़...Read More
Q. किस लिए हमे प्रामाणिकता से पैसा कमाना चाहिए? क्या नीति का धन मन की शांति दिला सकता है?
A. कुदरत क्या कहती है? उसने कितने रुपये खर्च किए वह हमारे यहाँ देखा नहीं जाता। यहाँ तो, वेदनीय कर्म क्या भुगता? शाता (सुख परिणाम) या अशाता, उतना ही हमारे यहाँ...Read More
Q. क्या लोगो के साथ सीधा रहना यह हमारी मूर्खता है? स्वार्थी लोगो के साथ किस तरह व्यव्हार करना चाहिए?
A. टेढ़ों के साथ टेढ़े होने पर... प्रश्नकर्ता: दुनिया टेढ़ी है, किंतु यदि हम अपने स्वभाव के अनुसार सरलता का बरताव करें तो मूर्खों में गिने जाते हैं, तो हम...Read More
A. व्यवसाय में अणहक्क का कुछ भी नहीं घुसना चाहिए और जिस दिन बिना हक़ का लोगे, उस दिन से व्यवसाय में बरकत नहीं रहेगी। भगवान हाथ डालते ही नहीं। व्यवसाय में तो...Read More
A. विज्ञान द्वारा मुक्ति प्रश्नकर्ता: मोक्ष में जाने की भावना है, परन्तु उस रास्ते में खामी है तो क्या करना चाहिए? दादाश्री: किस चीज़ की खामी...Read More
A. चित्त शुद्धिकरण ही है अध्यात्मसिद्धि! प्रश्नकर्ता: कर्म की शुद्धि किस तरह होती है? दादाश्री: कर्म की शुद्धि, वह चित्त की शुद्धि करने से हो जाती है। चित्त...Read More
Q. किस तरह चित शुध्ध होता है, जिससे सत् चित आनंद स्वरूप बन सके?
A. शुद्ध चिद्रूप प्रश्नकर्ता: चित्त की शुद्धि किस तरह होती है? दादाश्री: यह चित्त की शुद्धि ही कर रहे हो न? चित्त का अर्थ लोग अपनी-अपनी भाषा में समझते हैं,...Read More
A. मधुरी वाणी के, कारणों का ऐसे करें सेवन प्रश्नकर्ता: कई बार ऐसा नहीं होता कि हमें सामनेवाले का व्यू पोइन्ट ही गलत दिख रहा हो, इसलिए फिर अपनी वाणी...Read More
Q. पैसा लक्ष्मी कि क्या निशानी है? अशुद्ध और भ्रष्टाचार से मिले हुए पैसो का क्या परिणाम होता है?
A. हमेशा ही, यदि लक्ष्मी निर्मल होगी तो सब अच्छा रहेगा, मन अच्छा रहेगा। यह लक्ष्मी अनिष्ट आई है उससे क्लेश होता है। हमने बचपन में तय किया था कि जहाँ तक हो सके...Read More
Q. कोई व्यक्ति प्योर किस प्रकार बन सकता है?
A. प्रश्नकर्ता: शुद्धता लाने के लिए क्या करना चाहिए? दादाश्री: करने जाओगे तो कर्म बाँधोगे। ‘यहाँ पर’ कहना कि हमें यह चाहिए। करने से कर्म बँधते हैं। जो-जो...Read More
Q. प्योरिटी में से उत्पन्न हुए शील है? ओरा की शक्तियों के क्या गुण है?
A. शीलवान का चारित्रबल शील का प्रभाव ऐसा है कि जगत् में कोई उनका नाम नहीं ले। लुटेरों के बीच रहता हो, सभी उँगलियों में सोने की अँगूठियाँ पहनी हों। यहाँ पूरे...Read More
A. शुद्धता बरते इसलिए, शुद्धात्मा कहो प्रश्नकर्ता: आपने शुद्धात्मा किसलिए कहा? सिर्फ आत्मा ही क्यों नहीं कहा? आत्मा भी चेतन तो है ही न? दादाश्री: शुद्धात्मा...Read More
Q. शीलवान किसे कहते है? शीलवान ओंर चरित्रवान कि वाणी के लक्षण क्या होते है?
A. वचलबल शीलवान का इस जगत् के सभी ज्ञान शुष्कज्ञान हैं। शुष्कज्ञानवाले कोई शीलवान पुरुष हो यानी शास्त्रों से ऊपर होता है तो भी उनका वचनबल रहता हैं, शीलवान...Read More
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