अक्रम विज्ञान, एक ऐसा आध्यात्मिक विज्ञान है जो व्यवहार में उपयोगी है और मोक्ष प्राप्ति के लिए एक ‘शार्टकट’ रास्ता है।
अधिक पढ़ें“यदि खुद के स्वरूप को पहचान लिया तो फिर वह, खुद ही परमात्मा है |”
~ परम पूज्य दादा भगवान
दादा भगवान फाउन्डेशन प्रचार करता हैं, अक्रम विज्ञान के आध्यात्मिक विज्ञान का – आत्मसाक्षात्कार के विज्ञान का। जो परम पूज्य दादा भगवान द्वारा बताया गया है।
अधिक पढ़ेंअहमदाबाद से २० की.मी. की दूरी पर सीमंधर सिटी, एक आध्यात्मिक प्रगति की जगह है| जो "एक स्वच्छ, हरा और पवित्र शहर" जाना जाता है|
अधिक पढ़ेंअक्रम विज्ञानी, परम पूज्य दादा भगवान, द्वारा प्रेरित एक अनोखा निष्पक्षपाति त्रिमंदिर।
हमेशा ही, यदि लक्ष्मी निर्मल होगी तो सब अच्छा रहेगा, मन अच्छा रहेगा। यह लक्ष्मी अनिष्ट आई है उससे क्लेश होता है। हमने बचपन में तय किया था कि जहाँ तक हो सके तब तक खोटी लक्ष्मी पैठने ही नहीं देनी है। इसलिए आज छियासठ साल हुए, लेकिन फिर भी खोटी लक्ष्मी पैठने ही नहीं दी। इसी कारण तो घर में कभी क्लेश उत्पन्न हुआ ही नहीं। घर में तय किया था कि इतने पैसों से घर चलाना। व्यवसाय में लाखों की कमाई हो, लेकिन यह ‘पटेल’ सर्विस करने जाते तो तनख्वाह क्या मिलती? ज़्यादा से ज़्यादा छ: सौ-सात सौ रुपये मिलते। व्यवसाय, यह तो पुण्य का खेल है। अत: जितने नौकरी में मिलते उतने पैसे ही घर में खर्च कर सकते हैं, शेष तो व्यवसाय में ही रहने देने चाहिए। इन्कमटैक्सवाले का पत्र आने पर हम कहें कि, वह रकम थी वह भर दो। कब कौन सा अटैक आएगा (मुसीबत) उसका कोई ठिकाना नहीं। और यदि वह पैसे खर्च कर दें तो वहाँ इन्कमटैक्सवाले का अटैक आएगा तो हमें यहाँ वह दूसरा (हार्ट) ‘अटैक’ आ जाएगा। सब जगह अटैक घुस गए हैं न? इसे जीवन कैसे कहा जाए? आपको क्या लगता है। भूल महसूस होती है या नहीं? हमें वह भूल सुधारनी है।
लक्ष्मी सहज भाव से प्राप्त हो रही हो तो होने देना। लेकिन उस पर आधार मत रखना। आधार रखकर ‘चैन’ से बैठे लेकिन कब आधार खिसक जाए, यह कह नहीं सकते। अत: सँभलकर चलना ताकि अशाता (दु:ख परिणाम) वेदनीय में हिल न जाएँ।
प्रशनकर्ता: सुगंधीवाली लक्ष्मी कैसी होती है?
दादाश्री: वह लक्ष्मी हमें ज़रा सी भी चिंता नहीं करवाती। घर में सिर्फ सौ रुपये हों, फिर भी हमें ज़रा सी भी चिंता नहीं करवाए। कोई यदि कहे कि कल से शक्कर पर कंट्रोल आनेवाला है, फिर भी मन में चिंता नहीं होगी। चिंता नहीं, हाय-हाय नहीं। वर्तन कैसा खुशबूदार, वाणी कैसी खुशबूदार, और उसे पैसे कमाने का विचार ही नहीं आता ऐसा पुण्यानुबंधी पुण्य होता है। पुण्यानुबंधी पुण्यशाली लक्ष्मी होगी तो उसे पैसे पैदा करने के विचार ही नहीं आएँगे। यह तो सब पापानुबंधी पुण्य की लक्ष्मी है। इसे तो लक्ष्मी भी नहीं कह सकते! निरे पाप के ही विचार आते रहें, ‘कैसे इकट्ठा करें, कैसे इकट्ठा करें’ यही पाप है। कहते हैं कि पहले के ज़माने में सेठों के यहाँ ऐसी पुण्यानुबंधी पुण्य की लक्ष्मी हुआ करती थी! वह लक्ष्मी जमा होती थी, जमा करनी नहीं पड़ती थी। जब कि इन लोगों को तो जमा करनी पड़ती है। वह लक्ष्मी तो सहज भाव से आया करती थी। खुद ऐसा कहे कि, ‘हे प्रभु! यह राजलक्ष्मी मुझे स्वप्न में भी नहीं हो’ फिर भी वह आती ही रहती थी। वे क्या कहते थे कि आत्मलक्ष्मी हो लेकिन यह राजलक्ष्मी हमें स्वप्न में भी नहीं हो। फिर भी वह आती रहती थी, वह पुण्यानुबंधी पुण्य।
A. जब तक कभी टेढ़ा धंधा शुरू नहीं हो, तब तक लक्ष्मी जी नहीं जाती। टेढ़ा रास्ता, वह लक्ष्मी जाने का निमित्त है! यह काला धन कैसा कहलाता है, वह समझाऊँ। यदि बाढ़...Read More
Q. चोरी और भ्रष्टाचार से पैसा कमाने का क्या परिणाम आता है?
A. प्रश्नकर्ता: लक्ष्मी क्यों कम हो जाती है? दादाश्री: चोरियों से। जहाँ मन-वचन-काया से चोरी नहीं होती, वहाँ लक्ष्मीजी कृपा करती है। लक्ष्मी का अंतराय चोरी से...Read More
Q. किस लिए हमे प्रामाणिकता से पैसा कमाना चाहिए? क्या नीति का धन मन की शांति दिला सकता है?
A. कुदरत क्या कहती है? उसने कितने रुपये खर्च किए वह हमारे यहाँ देखा नहीं जाता। यहाँ तो, वेदनीय कर्म क्या भुगता? शाता (सुख परिणाम) या अशाता, उतना ही हमारे यहाँ...Read More
Q. क्या लोगो के साथ सीधा रहना यह हमारी मूर्खता है? स्वार्थी लोगो के साथ किस तरह व्यव्हार करना चाहिए?
A. टेढ़ों के साथ टेढ़े होने पर... प्रश्नकर्ता: दुनिया टेढ़ी है, किंतु यदि हम अपने स्वभाव के अनुसार सरलता का बरताव करें तो मूर्खों में गिने जाते हैं, तो हम...Read More
A. व्यवसाय में अणहक्क का कुछ भी नहीं घुसना चाहिए और जिस दिन बिना हक़ का लोगे, उस दिन से व्यवसाय में बरकत नहीं रहेगी। भगवान हाथ डालते ही नहीं। व्यवसाय में तो...Read More
A. विज्ञान द्वारा मुक्ति प्रश्नकर्ता: मोक्ष में जाने की भावना है, परन्तु उस रास्ते में खामी है तो क्या करना चाहिए? दादाश्री: किस चीज़ की खामी...Read More
A. चित्त शुद्धिकरण ही है अध्यात्मसिद्धि! प्रश्नकर्ता: कर्म की शुद्धि किस तरह होती है? दादाश्री: कर्म की शुद्धि, वह चित्त की शुद्धि करने से हो जाती है। चित्त...Read More
Q. किस तरह चित शुध्ध होता है, जिससे सत् चित आनंद स्वरूप बन सके?
A. शुद्ध चिद्रूप प्रश्नकर्ता: चित्त की शुद्धि किस तरह होती है? दादाश्री: यह चित्त की शुद्धि ही कर रहे हो न? चित्त का अर्थ लोग अपनी-अपनी भाषा में समझते हैं,...Read More
A. मधुरी वाणी के, कारणों का ऐसे करें सेवन प्रश्नकर्ता: कई बार ऐसा नहीं होता कि हमें सामनेवाले का व्यू पोइन्ट ही गलत दिख रहा हो, इसलिए फिर अपनी वाणी...Read More
Q. कोई व्यक्ति प्योर किस प्रकार बन सकता है?
A. प्रश्नकर्ता: शुद्धता लाने के लिए क्या करना चाहिए? दादाश्री: करने जाओगे तो कर्म बाँधोगे। ‘यहाँ पर’ कहना कि हमें यह चाहिए। करने से कर्म बँधते हैं। जो-जो...Read More
Q. प्योरिटी में से उत्पन्न हुए शील है? ओरा की शक्तियों के क्या गुण है?
A. शीलवान का चारित्रबल शील का प्रभाव ऐसा है कि जगत् में कोई उनका नाम नहीं ले। लुटेरों के बीच रहता हो, सभी उँगलियों में सोने की अँगूठियाँ पहनी हों। यहाँ पूरे...Read More
A. शुद्धता बरते इसलिए, शुद्धात्मा कहो प्रश्नकर्ता: आपने शुद्धात्मा किसलिए कहा? सिर्फ आत्मा ही क्यों नहीं कहा? आत्मा भी चेतन तो है ही न? दादाश्री: शुद्धात्मा...Read More
Q. शीलवान किसे कहते है? शीलवान ओंर चरित्रवान कि वाणी के लक्षण क्या होते है?
A. वचलबल शीलवान का इस जगत् के सभी ज्ञान शुष्कज्ञान हैं। शुष्कज्ञानवाले कोई शीलवान पुरुष हो यानी शास्त्रों से ऊपर होता है तो भी उनका वचनबल रहता हैं, शीलवान...Read More
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