अक्रम विज्ञान, एक ऐसा आध्यात्मिक विज्ञान है जो व्यवहार में उपयोगी है और मोक्ष प्राप्ति के लिए एक ‘शार्टकट’ रास्ता है।
अधिक पढ़ें05 जून |
दादा भगवान फाउन्डेशन प्रचार करता हैं, अक्रम विज्ञान के आध्यात्मिक विज्ञान का – आत्मसाक्षात्कार के विज्ञान का। जो परम पूज्य दादा भगवान द्वारा बताया गया है।
अधिक पढ़ेंअहमदाबाद से २० की.मी. की दूरी पर सीमंधर सिटी, एक आध्यात्मिक प्रगति की जगह है| जो "एक स्वच्छ, हरा और पवित्र शहर" जाना जाता है|
अधिक पढ़ेंअक्रम विज्ञानी, परम पूज्य दादा भगवान, द्वारा प्रेरित एक अनोखा निष्पक्षपाति त्रिमंदिर।
प्रश्नकर्ता: शुद्धता लाने के लिए क्या करना चाहिए?
दादाश्री: करने जाओगे तो कर्म बाँधोगे। ‘यहाँ पर’ कहना कि हमें यह चाहिए। करने से कर्म बँधते हैं। जो-जो करोगे, शुभ करोगे तो शुभ के कर्म बाँधोगे, अशुभ करोगे तो अशुभ के बाँधोगे और शुद्ध में तो कुछ है ही नहीं। ‘ज्ञान’ अपने आप ही क्रियाकारी है। खुद को कुछ भी करना नहीं पड़ता।
खुद महावीर जैसा ही आत्मा है, परन्तु भान नहीं हुआ है न? इस ‘अक्रम विज्ञान’ से वह भान होता है। जागृति बहुत बढ़ जाती है। चिंता बंद हो जाती है, मुक्त हुआ जाता है! संपूर्ण जागृति उत्पन्न होती है। यह ‘केवलज्ञान’ विज्ञान है। ऐसा-वैसा नहीं है। इसलिए अपना काम हो जाता है।
प्रश्नकर्ता: आप जितने ज्ञानी हैं, उतना ज्ञान प्राप्त करने के लिए क्या करना चाहिए?
दादाश्री: उनके पास बैठना चाहिए, उनकी कृपा प्राप्त करनी चाहिए। बस, और कुछ नहीं करना है। ‘ज्ञानी’ की कृपा से ही सब होता है। कृपा से ‘केवलज्ञान’ होता है। करने जाओगे, तब तो कर्म बँधेंगे। क्योंकि ‘आप कौन हो?’ वह निश्चित नहीं हुआ है। ‘आप कौन हो?’ वह निश्चित हो जाए तो कर्ता निश्चित हो जाए।
Reference: Book Name: अप्तावाणी 5 (Page #95 - Paragraph #9 & #10, Page #96 - Paragraph #1 to #4)
सापेक्ष व्यवहार
‘व्यवहार क्या है’ इतना ही यदि समझ ले, तब भी मोक्ष हो जाएगा। यह व्यवहार सारा रिलेटिव है और ऑल दीज़ रिलेटिव्स आर टेम्परेरी एडजस्टमेन्ट्स एन्ड रियल इज़ द परमानेन्ट एडजस्टमेन्ट!
नाशवंत वस्तुओं में मेरापन का आरोप करना, वह ‘रोंग बिलीफ़’ है। ‘मैं *चंदूभाई हूँ, इसका पति हूँ’ वे सब ‘रोंग बिलीफ़’ हैं। आप ‘*चंदूभाई’ हो, ऐसा निश्चय से मानते हो? प्रमाण दूँ? ‘*चंदूभाई’ को कोई गाली दे तो असर होता है क्या?
प्रश्नकर्ता: बिल्कुल नहीं।
दादाश्री: जेब काटे तो असर होता है?
प्रश्नकर्ता: थोड़ी देर तक होता है।
दादाश्री: तब तो आप ‘*चंदूभाई’ हो। व्यवहार से ‘*चंदूभाई’ हो तो आपको कुछ भी स्पर्श नहीं करेगा।
प्रश्नकर्ता: यदि ऐसा हो तब तो हममें और दूसरों में फर्क ही क्या? गलत वस्तु को त्यागना ही चाहिए। धीरे-धीरे इतना प्रयत्न करते जाएँ तो फर्क पड़ता जाता है।
दादाश्री: यदि मोक्ष में जाना हो तो गलत-सही के द्वंद्व निकाल देने पड़ेंगे, और यदि शुभ में आना हो तो गलत वस्तु का तिरस्कार करो और अच्छी वस्तु पर राग करो, और शुद्ध में अच्छे-बुरे दोनों के ऊपर राग-द्वेष नहीं। वास्तव में अच्छा-बुरा है ही नहीं। यह तो दृष्टि की मलिनता है, इसलिए यह अच्छा-बुरा दिखता है और दृष्टि की मलिनता, वही मिथ्यात्व है, दृष्टिविष है। हम दृष्टिविष निकाल देते हैं
Reference: Book Excerpt: आप्तवाणी 5 (Page #96 - Paragraph #5 to #8, Page #97 - Paragraph #1 to #4)
अनंत जन्मों से लोगों के साथ जो खटपट हुई है, नौ कलमें बोलने से वे सारे ऋणानुबंध खत्म हो जाते हैं।
वह प्रतिक्रमण है। वह सब से बड़ा प्रतिक्रमण है। सब से बड़ा, जबरदस्त प्रतिक्रमण है। सब से बड़ा प्रतिक्रमण है, ये नौ कलमें ।
प्रश्नकर्ता: ये जो नौ कलमें है, इनमें जैसा कहा है उसी के अनुसार हमारी भावना है, इच्छा है, सबकुछ है अभिप्राय से ही है।
दादाश्री: इन्हें बोलने से अब तक के जो दोष हो गए हैं, वे सारे कमज़ोर पड़ जाएँगे। फिर भी इन दोषों का फल तो मिलेगा ही। जली हुई रस्सी के समान हो जाएँगे। हाथ लगाने से ही खत्म हो जाएँगे।।
*चंदूभाई = जब भी दादाश्री 'चंदूभाई' या फिर किसी व्यक्ति के नाम का प्रयोग करते हैं, तब वाचक, यथार्थ समझ के लिए, अपने नाम को वहाँ पर डाल दें।
Reference: Book Name: पैसो का व्यव्हार (Page #5 - Paragraph #3 & #4, Page #6 - Paragraph #1 & #2)
आप इस आत्मा के अनुभव को प्राप्त कर सकते हैं, मात्र २ घंटे में, आत्मसाक्षात्कार की इस वैज्ञानिक पद्धति के द्वारा| जिसे हम ज्ञानविधि कहते हैं|
A. जब तक कभी टेढ़ा धंधा शुरू नहीं हो, तब तक लक्ष्मी जी नहीं जाती। टेढ़ा रास्ता, वह लक्ष्मी जाने का निमित्त है! यह काला धन कैसा कहलाता है, वह समझाऊँ। यदि बाढ़...Read More
Q. चोरी और भ्रष्टाचार से पैसा कमाने का क्या परिणाम आता है?
A. प्रश्नकर्ता: लक्ष्मी क्यों कम हो जाती है? दादाश्री: चोरियों से। जहाँ मन-वचन-काया से चोरी नहीं होती, वहाँ लक्ष्मीजी कृपा करती है। लक्ष्मी का अंतराय चोरी से...Read More
Q. किस लिए हमे प्रामाणिकता से पैसा कमाना चाहिए? क्या नीति का धन मन की शांति दिला सकता है?
A. कुदरत क्या कहती है? उसने कितने रुपये खर्च किए वह हमारे यहाँ देखा नहीं जाता। यहाँ तो, वेदनीय कर्म क्या भुगता? शाता (सुख परिणाम) या अशाता, उतना ही हमारे यहाँ...Read More
Q. क्या लोगो के साथ सीधा रहना यह हमारी मूर्खता है? स्वार्थी लोगो के साथ किस तरह व्यव्हार करना चाहिए?
A. टेढ़ों के साथ टेढ़े होने पर... प्रश्नकर्ता: दुनिया टेढ़ी है, किंतु यदि हम अपने स्वभाव के अनुसार सरलता का बरताव करें तो मूर्खों में गिने जाते हैं, तो हम...Read More
A. व्यवसाय में अणहक्क का कुछ भी नहीं घुसना चाहिए और जिस दिन बिना हक़ का लोगे, उस दिन से व्यवसाय में बरकत नहीं रहेगी। भगवान हाथ डालते ही नहीं। व्यवसाय में तो...Read More
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Q. किस तरह चित शुध्ध होता है, जिससे सत् चित आनंद स्वरूप बन सके?
A. शुद्ध चिद्रूप प्रश्नकर्ता: चित्त की शुद्धि किस तरह होती है? दादाश्री: यह चित्त की शुद्धि ही कर रहे हो न? चित्त का अर्थ लोग अपनी-अपनी भाषा में समझते हैं,...Read More
A. मधुरी वाणी के, कारणों का ऐसे करें सेवन प्रश्नकर्ता: कई बार ऐसा नहीं होता कि हमें सामनेवाले का व्यू पोइन्ट ही गलत दिख रहा हो, इसलिए फिर अपनी वाणी...Read More
Q. पैसा लक्ष्मी कि क्या निशानी है? अशुद्ध और भ्रष्टाचार से मिले हुए पैसो का क्या परिणाम होता है?
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