• question-circle
  • quote-line-wt

भगवान की पहचान

हम सभी भगवान की खोज में हैं। और अंत में, आपकी 'भगवान् को जानने की खोज' आपको यहां ले आई है। लेकिन भगवान कहाँ हैं? क्या वह सर्वज्ञ है जो स्वर्ग में रहता है, और इस दुनिया को चलाता है? अगर वह कर्ता है तो वह प्राकृतिक आपदा, बीमारी, गरीबी, कष्ट, अन्याय, हिंसा और दु:खों का अंत क्यों नहीं करता। वह क्यों एक व्यक्ति को फुटपाथ पर और दूसरे को महल में सोने को देता है?

वास्तविकता यह है की, भगवान ने यह दुनिया नहीं बनाई है। तो क्या भगवान है? हाँ, भगवान सभी जीवों में रहते है, फिर भले ही वे आँख से दिखनेवाले ऐसे हों या न दिखनेवाले हों!

तो अब यह प्रश्न उठता है की, 'भगवान कौन है?' और हम 'भगवान को कैसे अनुभव कर सकते हैं?'

कई लोग भगवान को जानने के अपने इन प्रश्नों के साथ परम पूज्य दादाश्री के पास आए और ना सिर्फ उन्हें उत्तर मिले कि 'भगवान कौन है?'और 'भगवान कहाँ है?' बल्कि उन्हें अपने भीतर के भगवान का साक्षात्कार भी हुआ !

भगवान खोजने के लिए और पढ़ें और अनुभव करना शुरू करें…

भगवान का अर्थ

भगवान क्या है? भगवान कौन है? भगवान की पूजा क्यों करते है? भगवान किसे कहते है?

play
previous
next

Top Questions & Answers

  1. Q. भगवान क्या है?

    A. आप भगवान की खोज में है। आप भगवान को जानना चाहते हैं। आप भगवान के कार्य को जानना चाहते हैं। आप भगवान... Read More

  2. Q. भगवान कौन है?

    A. इस दुनिया में, यदि आपने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है, तो लोग आपको इंजीनियर कहते हैं; और यदि आप किसी... Read More

  3. Q. क्या भगवान है? भगवान कहाँ है?

    A. क्या यह स्वर्ग में है? आकाश में? मंदिर में है? हमारे हृदय में? या कहीं और? भगवान के सही पते को न... Read More

  4. Q. भगवान को किसने बनाया? भगवान कहाँ से आए?

    A. जब हम इस खूबसूरत दुनिया को अपने आस-पास देखते हैं, तो हमें अक्सर आश्चर्य होता है कि, 'इस दुनिया को... Read More

  5. Q. क्या भगवान ने एस दुनिया को बनाया है?

    A. तथ्य यह है कि भगवान इस दुनिया के निर्माता बिल्कुल नहीं हैं! अगर हम कहें कि भगवान सृष्टिकर्ता है,... Read More

  6. Q. क्या ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने सामूहिक रूप से सृष्टि का निर्माण किया है?

    A. एक धार्मिक मान्यता है कि: ‘ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने सामूहिक रूप से सृष्टि का निर्माण... Read More

  7. Q. क्या वर्तमान में कोई जीवंत भगवान हाज़िर है? वह कहाँ है? वह हमें कैसे मदद कर सकते है?

    A. हाँ, वह है! लेकिन इससे पहले कि हम यह अद्भुत जीवंत भगवान के बारे में अधिक जानें, हम कुछ और स्पष्टता... Read More

  8. Q. भगवान को प्रार्थना कैसे करें

    A. प्रार्थना एक ऐसा माध्यम है जिसके द्वारा हम भगवान से जुड़ते हैं और उनसे शक्ति प्राप्त कर सकते... Read More

  9. Q. मेरे गलत काम के लिए क्या भगवान मुझे माफ करेंगे या सजा देंगे?

    A. यदि आज कोई व्यक्ति चोरी कर रहा है, तो चोरी करने की उसकी क्रिया दृश्यमान कर्म है। इस कर्म का फल इस... Read More

  10. Q. भगवान, मुझे आपकी जरूरत है आप कहाँ हो? भगवान कृपया मेरी मदद कीजिये!

    A. बचपन से ही हमें सिखाया जाता है कि भगवान दयालु है, वह क्षमाशील है और वह हमसे बेहद प्यार करते है;... Read More

  11. Q. इश्वर के प्रेम को कैसे प्राप्त करें?

    A. भगवान का प्रेम शुद्ध प्रेम है। यह दिव्य प्रेम है और इसीलिए भगवान के प्रेम का प्रताप बहुत अलग... Read More

  12. Q. भगवान पर ध्यान कैसे केन्द्रित करे?

    A. बचपन से ही हमें सिखाया जाता है कि हमें भगवान की पूजा करनी चाहिए। और हम विभिन्न माध्यमों जैसे जप,... Read More

  13. Q. मूर्तिपूजा का महत्व क्या है?

    A. मूर्तिपूजा हमारे जीवन में बहुत महत्त्व का आधार है! मूर्तिपूजा के पीछे कई कारण और जबरदस्त फायदे हैं।... Read More

  14. Q. परमेश्वर के क्या गुण हैं?

    A. ईश्वर वह आत्मा है जो आपके भीतर, हमारे भीतर, हर जीव के भीतर रहते है। देह बाहरी पैकिंग है और जो भीतर... Read More

  15. Q. वास्तव में भगवान का अनुभव करने की कुंजी क्या है?

    A. क्या आप जानते हैं कि भगवान का अनुभव करने का अर्थ है स्वयं का अनुभव करना, क्योंकि भगवान वही हैं जो... Read More

  16. Q. भगवान कैसे बनें?

    A. अगर हमें यह पता हो कि भगवान कैसे होते हैं, तब हम यह जान पाएंगें कि हम भगवान जैसे कैसे बन सकते... Read More

  17. Q. अंबा माता और दुर्गा माता कौन हैं?

    A. देवी अंबिका, जिन्हें दुर्गा माँ और अम्बे माँ के नाम से भी जाना जाता है, देवी में से एक हैं, जिन्हें... Read More

  18. Q. देवी सरस्वती क्या दर्शाती हैं?

    A. माँ सरस्वती ज्ञान कि देवी है! सरस्वती का अर्थ है 'वह जो आत्म-ज्ञान के सार की ओर ले जाती है'। यह... Read More

  19. Q. लक्ष्मीजी कहाँ रहती हैं? उनके क्या कायदे हैं?

    A. लक्ष्मीजी देवी हैं, धन की देवी। धन और दौलत की भूख आज पूरी दुनिया को चला रही है। लेकिन पैसे कमाने... Read More

Spiritual Quotes

  1. गॉड इज इन एवरी क्रीचर व्हेदर विजिबल और इनविजिबल (भगवान सभी जीवों में रहते हैं, फिर भले ही वे आँख से दिखनेवाले ऐसे हों या न दिखनेवाले जीव हों।) आपके और मेरे बीच में दूरबीन (सूक्ष्मदर्शी) से भी दिखाई नहीं दें, ऐसे अनंत जीव हैं।
  2. यदि भगवान ऊपरी हों और यदि वे ही मोक्ष में ले जानेवाले होते, तो जब वे कहें कि उठ यहाँ से, तो आपको तुरंत उठना पडे़गा। वह मोक्ष कैसे कहलाएगा? मोक्ष अर्थात संपूर्ण स्वतंत्रता। कोई ऊपरी नहीं और कोई अन्डरहैन्ड भी नहीं।
  3. यह देह तो पैकिंग (खोखा) है। भीतर बैठे हैं, वे भगवान हैं।
  4. पुरुष तो कौन कहलाये? क्रोध-मान-माया-लोभ आदि निर्बलताएँ जिसमें नहीं होतीं, उन्हें भगवान ने ‘पुरुष’ कहा है।
  5. जिसमें से ‘हुँकार’ (मैं कुछ हूँ) चला गया हो न, उसके बाद वही भगवान! यदि कभी अधिक दर्शन करने योग्य पद हो तो वह सिर्फ यही एक कि जिनका ‘हुँकार’ समाप्त हुआ हो, पोतापणु (मैं हूँ और मेरा है, ऐसा आरोपण, मेरापन) चला गया हो।
  6. यह संसार ‘साइंटिफिक सरकमस्टेन्शियल एविडन्स’ से चल रहा है। जिसे हम ‘व्यवस्थित शक्ति’ कहते हैं, जो सभी को व्यवस्थित ही रखती है!
  7. कर्ता बने, तो भोक्ता बनना पड़ेगा न! भगवान तो ज्ञाता-दृष्टा और परमानंदी हैं। खुद के अपार सुख में ही मगन रहते हैं।
  8. तू ही तेरा ऊपरी,  तेरा रक्षक भी तू ही है और तेरा भक्षक भी तू ही है। यू आर होल एन्ड सोल रिस्पोन्सिबल फोर योरसेल्फ। खुद ही खुद का ऊपरी है। इसमें और कोई बाप भी द़खल नहीं करता है। हमारा बॉस है वह भी अपनी भूल के कारण और अन्डरहैन्ड है वह भी अपनी भूल के कारण ही है।
  9. आपका ऊपरी दुनिया में कोई नहीं। आपके ऊपरी आपके ब्लंडर्स और आपकी मिस्टेक्स हैं। ये दो नहीं हों तो आप परमात्मा ही हैं।
  10. भगवान तो आपका स्वरूप है। आपका कोई ऊपरी है ही नहीं। कोई बाप भी ऊपरी नहीं है।
  11. ऐसा है, जीव मात्र के अंदर भगवान बैठे हुए हैं, चेतनरूप में है
  12. भगवान के यहाँ तो इतना ही है कि, ‘किसी जीव को दुःख नहीं हो, वही हमारी आज्ञा है !’
  13. माता-पिता की सेवा, प्रत्यक्ष है। भगवान कहाँ दिखते हैं ? भगवान दिखाई नहीं देते,  माता-पिता तो दिखाई देते हैं|
  14. यह नास्तिक है वह भगवान में नहीं मानता, धर्म में नहीं मानता परन्तु अंत में नीति में मानता है और नीति तो सबसे बड़ा धर्म है। नैतिकता के बिना धर्म ही नहीं है।
  15. बढे-घटे, वह आसक्ति कहलाती है। जो बढे-घटे नही वह परमात्मप्रेम है। सभी प्रेम के वश रहा करते हैं। 
  16. जो बढे़-घटे नही वह परमात्मप्रेम है।
  17. ‘भुगते उसी की भूल’, यह भगवान की भाषा। और यहाँ तो जिसने चोरी की, उसे लोग गुनहगार मानते हैं।

Related Books

×
Share on