अक्रम विज्ञान, एक ऐसा आध्यात्मिक विज्ञान है जो व्यवहार में उपयोगी है और मोक्ष प्राप्ति के लिए एक ‘शार्टकट’ रास्ता है।
अधिक पढ़ें21 मार्च |
दादा भगवान फाउन्डेशन प्रचार करता हैं, अक्रम विज्ञान के आध्यात्मिक विज्ञान का – आत्मसाक्षात्कार के विज्ञान का। जो परम पूज्य दादा भगवान द्वारा बताया गया है।
अधिक पढ़ेंअहमदाबाद से २० की.मी. की दूरी पर सीमंधर सिटी, एक आध्यात्मिक प्रगति की जगह है| जो "एक स्वच्छ, हरा और पवित्र शहर" जाना जाता है|
अधिक पढ़ेंअक्रम विज्ञानी, परम पूज्य दादा भगवान, द्वारा प्रेरित एक अनोखा निष्पक्षपाति त्रिमंदिर।
मूर्ति, वह भी परोक्ष भक्ति
प्रश्नकर्ता: एक संत कहते हैं कि ये जो जड़ वस्तुएँ हैं, मूर्ति-फोटो, उनका अवलंबन नहीं लेना चाहिए। आपकी नज़र के सामने जीवित दिखें, उनका अवलंबन लो।
दादाश्री: वह तो ठीक कहते हैं कि यदि जीवित गुरु अच्छे मिलें तो हमें संतोष होगा। लेकिन गुरु का ठिकाना नहीं पड़े, तब तक मूर्ति के दर्शन करें। मूर्ति तो सीढ़ी है, उसे छोड़ना नहीं। जब तक अमूर्त प्राप्त नहीं हो जाए, तब तक मूर्ति छोड़ना नहीं। मूर्ति हमेशा मूर्त ही देगी। मूर्ति अमूर्त नहीं दे सकती। खुद का जो गुणधर्म हो वही करेगी! क्योंकि मूर्ति, वह परोक्ष भक्ति है। ये गुरु भी परोक्ष भक्ति है, लेकिन गुरु में जल्दी प्रत्यक्ष भक्ति होने का साधन है। जीवित मूर्ति हैं, वे। इसलिए प्रत्यक्ष हों वहाँ पर जाना। भगवान की मूर्ति के भी दर्शन करना, दर्शन करने में हर्ज नहीं है। उसमें अपनी भावना है और पुण्य बँधता है, इसलिए मूर्ति के दर्शन करें, तो चलेगा अपने लिए। लेकिन मूर्ति बोलती नहीं हमारे साथ कुछ भी। कहनेवाला तो चाहिए न कोई? कोई कहनेवाला नहीं चाहिए? वैसे कोई खोज नहीं निकाले?
प्रश्नकर्ता: नहीं।
दादाश्री: तो कब खोजेंगे अब?
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A. सहज प्राकृत शक्ति देवियाँ अंबामाता, दुर्गादेवी, सभी देवियाँ प्रकृति भाव सूचित करती हैं। वे सहजता सूचित करती हैं। प्रकृति सहज हो जाए तो आत्मा सहज हो जाता...Read More
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