Auspicious Trimantra
This video features the auspicious Trimantra being sung at a satsang program in Germany.
अनादि काल से हरेक धर्म के मुख्य पुरुष जब हाज़िर होते हैं, जैसे कि महावीर भगवान, कृष्ण भगवान, राम भगवान, तब लोगों को सभी धर्म के मत मतांतरों में से बाहर निकालकर आत्म धर्म में स्थिर करते हैं। और कालकर्म से मुख्य पुरुष की गेरहाज़िरी होने की वजह से दुनिया में धीरे धीरे मतभेद हो जाते हैं। धर्म में वाडा-सम्प्रदाय बन जाते हैं। उसके फलस्वरूप सुख-शांति खत्म होती जाती है।
धर्म में मेरे-तेरे के झगड़े होते हैं। उन्हें दूर करने के लिए आत्मज्ञानी परम पूज्य दादाश्री ने निष्पक्षपाती त्रिमंत्र दिया है। यदि इस त्रिमंत्र का मूल अर्थ समझें तो यह किसी व्यक्ति को या सम्प्रदाय को या पंथ को लागू नहीं पड़ता। आत्मज्ञानी से लेकर ठेठ केवलज्ञानी और निर्वाण प्राप्त करके मोक्ष गति को प्राप्त हुए ऐसे उच्च जागृत आत्माओं को ही नमस्कार लिखा है और जिन्हें नमस्कार करने से संसार के विघ्न दूर होते हैं। तकलीफ़ों में शांति रहती है और मोक्ष के ध्येय के प्रति लक्ष्य बँधता है।
परम पूज्य दादा भगवान समझाते हैं कि यह त्रिमंत्र सच्ची समझ के साथ बोलने वाले को ऊपर चढ़ाता है। रोज़ सुबह-शाम पाँच-पाँच बार उपयोग पूर्वक बोलना। सांसारिक कार्य शांतिपूर्वक होंगे। और जब बहुत तकलीफ़ हो तब घंटे तक बोलना।


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Q. "जय सच्चिदानंद" का अर्थ क्या है?
A. यह त्रिमंत्र है उसमें पहले जैनों का मंत्र है, बाद में वासुदेव का और शिव का मंत्र है। और यानी... Read More


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