• question-circle
  • quote-line-wt

आपसी संबंधों में होनेवाली समस्याएँ : बंद करें दोष निकालना

रिश्तों में प्रोब्लम्स क्यों होते हैं? संबंधों में होते टकरावों को कैसे टालें? घर में खुशी से कैसे रहें? घर में कैसे जीएँ, यह लोगों को पता नहीं है। घर में एक दूसरे की गलती नहीं निकालनी चाहिए। परम पूज्य दादाश्री कहते हैं, "आपको दुनिया नहीं जीतनी है, सिर्फ अपने परिवारवालों को जीतना है"

जब तक आप दूसरों के दोष देखते रहेंगे, तभी तक आपके लिए दुनिया में दुःख रहेंगे। जब पूरे जगत् को आप निर्दोष देखेंगे, तब आप मुक्ति का अनुभव करेंगे "

दूसरों के दोष देखना हम कैसे बंद करें? हम दोष मुक्त दृष्टि कैसे पाएँ? जिसे आत्मज्ञान प्राप्त नहीं हुआ है, उसे खुद के दोष कभी नहीं दिखते, बल्कि उन्हें दूसरों के ही दोष दिखते हैं।

आत्मज्ञान प्राप्त करके आप भी शांति और खुशी का अनुभव कर सकते हैं।

प्रेम

सच्चे प्रेम में कोई अपेक्षाए नही रहती, न ही उसमें एक दूसरे की गलतियाँ दिखती है|

play
previous
next

Top Questions & Answers

  1. Q. आपसी रिश्तों में समस्याएँ क्यों आती है?

    A. प्रश्नकर्ता : मेरे घर में हर तरह की मुश्किलें ही क्यों रहा करती हैं? धंधे में, वाइफ को, घर में सभी... Read More

  2. Q. घर में खुशी से कैसे रहें?

    A. जीवन सारा बिगड़ गया है, ऐसा जीवन नहीं होना चाहिए। जीवन तो प्रेममय होना चाहिए। जहाँ प्रेम हो वहाँ... Read More

  3. Q. हमें दूसरों के दोष क्यों दिखते हैं?

    A. प्रश्नकर्ता : दादा, सामनेवाले के दोष क्यों दिखते हैं? दादाश्री : खुद की भूल के कारण ही सामनेवाला... Read More

  4. Q. आपसी रिश्तों में गलतियाँ देखना कैसे बंद करें?

    A. सामनेवाले का दोष किसी जगह हैं ही नहीं, सामनेवाले का क्या दोष! वे तो यही मानकर बैठे हैं, कि यह... Read More

  5. Q. आपसी रिश्तों में होनेवाले टकराव को कैसे टालें?

    A. प्रश्नकर्ता: हमें क्लेश नहीं करना हो फिर भी सामनेवाला आ कर झगड़ा करे तो हमें क्या करना? दो में से... Read More

  6. Q. बच्चों को सुधारने के लिए क्या हमें उन्हें मारना चाहिए?

    A. इस जगत् में आप किसीको दुःख देंगे, तो उसका प्रतिघोष आप पर पड़े बगैर रहेगा नहीं। स्त्री-पुरुष ने... Read More

  7. Q. सास के साथ होनेवाले टकराव को कैसे टालें?

    A. एक-एक कर्म से मुक्ति होनी चाहिए। सास परेशान करे, तब हर एक समय कर्म से मुक्ति मिलनी चाहिए। तो उसके... Read More

  8. Q. जब अपमान हो, तब कैसा व्यवहार करना चाहिए?

    A. प्रश्नकर्ता : कोई हमें कुछ कह जाए वह भी नैमित्तिक ही है ना? अपना दोष नहीं हो, फिर भी बोले... Read More

  9. Q. क्या हमें पूर्वाग्रह रखना चाहिए?

    A. दोष देखना बंद कर दो न! प्रश्नकर्ता : यदि दोष नहीं देखें तो दुनिया की दृष्टि से हम एक्सेस फूल (अधिक... Read More

  10. Q. ऑफिस में आलसी लोगों के साथ काम करते हुए कैसा व्यवहार रखना चाहिए?

    A. प्रश्नकर्ता : मेरा स्वभाव ऐसा है कि कुछ गलत बर्दाश्त नहीं कर सकता इसलिए गुस्सा आ जाता है। दादाश्री... Read More

Spiritual Quotes

  1. दुःख सब नासमझी का ही है इस जगत् में।
  2. टीका से आपकी ही शक्तियाँ व्यर्थ होती हैं।
  3. भूल कबूल की कि भाई, यह भूल मेरी हो गई है, तब से शक्ति बहुत बढ़ती जाती है।
  4. खुद का दोष दिखे, तब से समकित हुआ कहलाता है।
  5. जागृत हुए, इसलिए सब पता चलता है कि यहाँ भूल होती है, ऐसे भूल होती है। नहीं तो खुद को खुद की एक भी भूल मिले नहीं।
  6. जब तक जगत् दोषित दिखाई देगा तब तक भटकते रहना पड़ेगा और जब जगत् निर्दोष दिखाई देगा तब अपना छुटकारा होगा।
  7. जिसने एक बार नक्की किया हो कि मुझमें जो भूलें रही हों उसे मिटा देनी है, वह परमात्मा हो सकता है!
  8. इस जगत् में भूल निकालें कि ‘सास ऐसे परेशान करती है, ससुर ऐसे परेशान करते हैं।’ तो उसका अंत आए, ऐसा नहीं है। उसके बजाय हम ऐसा बोर्ड लगाए कि ‘कोई अड़चन ही नहीं है’। सामनेवाला अड़चन डालने जाए फिर भी हम ऐसा रख सकते हैं या नहीं कि ‘अड़चन नहीं है’।.
  9. जब प्रेम स्वरूप बनोगे तब लोग आपकी सुनेंगे। ‘प्रेम स्वरूप’ कब हुआ जाता है? कायदे-कानून नहीं खोजोगे तब। जगत् में किसी का भी दोष नहीं देखोगे तब।
  10. जब तक जगत् के दोष निकालता है, तब तक आत्मा का एक अक्षर भी हाथ नहीं आता। निजदोष देखे वही आत्मा।
  11. जब खुद अपने दोष देखेगा, तब दूसरों के दोष देखने की फुरसत नहीं रहेगी।
  12. दृष्टिदोष है, उसी के झगड़े और मतभेद हैं।
  13. जब तक जगत् के दोष निकालता है, तब तक आत्मा का एक अक्षर भी हाथ नहीं आता। निजदोष देखे वही आत्मा।
  14. संसार का दोष नहीं है, संसार तो अच्छा है। आपकी समझ उल्टी है उसमें संसार क्या करे?
  15. दूसरों के दोष दिखाई देते हैं वह खुद अपने ही दोषों के प्रतिस्पंदन हैं, सब से बड़ा दोष अपना ही है! वह पागल अहंकार कहलाता है!
  16. जब दृष्टि सीधी हो जाए तब खुद के ही दोष दिखते हैं, और अगर दृष्टि उल्टी हो तब सामनेवाले के दोष दिखते हैं।
  17. सामने वाले के दोष दिखाई देने से कर्म बंधन होता है और खुद के दोष दिखाई देने पर कर्म छूटते हैं!
  18. मतभेद का अर्थ क्या है? दीवार से टकराना। अपने सिर पर लग जाए तो वह दीवार का दोष है या अपना?
  19. जितने आपसे मतभेद होते हैं उतनी ही आपकी निर्बलता। लोग गलत नहीं हैं। कोई जान-बूझकर करता ही नहीं है। आपको तो माफी माँग लेनी चाहिए कि, ‘मेरी भूल है’।
  20. जिसे खुद के दोष देखने हैं, सामने वाले के दोष नहीं देखने हैं, उस पर इस जगत् में कोई ऊँगली नहीं उठा सकता।
  21. अंतिम प्रकार की जागृति कौन सी है कि इस जगत् में कोई दोषित ही न दिखाई दे!
  22. जब तक जगत् दोषित दिखाई देगा तब तक भटकते रहना पड़ेगा और जब जगत् निर्दोष दिखाई देगा तब अपना छुटकारा होगा।
  23. वीतरागों ने किस आधार पर जगत् को निर्दोष देखा? क्योंकि सभी लोग कर्मों के अधीन हैं।
  24. जिसका दोष नहीं है, उसे दोषित ठहराया जाए तो वह रौद्रध्यान है!

Related Books

×
Share on