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सास के साथ होनेवाले टकराव को कैसे टालें?

एक-एक कर्म से मुक्ति होनी चाहिए। सास परेशान करे, तब हर एक समय कर्म से मुक्ति मिलनी चाहिए। तो उसके लिए हमें क्या करना चाहिए? सास को निर्दोष देखना चाहिए कि सास का तो क्या दोष? मेरे कर्म का उदय, इसलिए वे मिली हैं। वे तो बेचारी निमित्त हैं। तो उस कर्म से मुक्ति हुई और यदि सास का दोष देखा, तो कर्म बढ़े। फिर उसे तो कोई क्या करे? भगवान क्या करें?

हमें, हमारा कर्म बँधे नहीं उस तरह रहना चाहिए, इस दुनिया से दूर रहना चाहिए। ये कर्म बाँधे थे, इसलिए तो ये मिले हैं। ये हमारे घर में कौन इकट्ठे हुए हैं? कर्म के हिसाब बँधे थे, वे ही सब इकट्ठे हुए हैं और फिर हमें बाँधकर मारते भी हैं। हमने नक्की किया हो कि मुझे उसके साथ बोलना नहीं है, तो भी सामनेवाला मुँह में उँगलियाँ डालकर बार-बार बुलवाता है। अरे! उँगलियाँ डालकर क्यों बुलवाता है? इसका नाम बैर! सारे पूर्व के बैर! किसी जगह देखा हुआ है क्या?

प्रश्नकर्ता : सब जगह वही दिखता है न!

दादाश्री : इसलिए कहता हूँ न कि खिसक जाओ और मेरे पास आओ। यह मैंने जो पाया है, मैं वह आपको दे दूँ, आपका काम हो जाएगा और छुटकारा हो जाएगा। बा़की, छुटकारा होनेवाला नहीं है।

हम किसीका दोष नहीं निकालते, पर नोंध(नोट) करते हैं कि देखो यह दुनिया क्या है? हर तरह से यह दुनिया मैंने देखी हुई है, बहुत तरह से देखी हुई है। कोई दोषित दिखता है, वह अभी तक अपनी भूल है। कभी न कभी तो, निर्दोष देखना पड़ेगा न? हमारे हिसाब से ही है यह सब। इतना थोड़े में समझ जाओ न, तो भी सब बहुत काम आएगा।

मुझे जगत् निर्दोष दिखता है। आपको ऐसी दृष्टि आएगी, तब यह पज़ल सॉल्व हो जाएगा। मैं आपको ऐसा उजाला दूँगा और इतने पाप धो डालूँगा कि जिससे आपका उजाला रहे और आपको निर्दोष दिखता जाए। और साथ-साथ पाँच आज्ञा दूँगा। उन पाँच आज्ञा में रहोगे तो वह जो दिया हुआ ज्ञान है, उसे ज़रा भी फ्रेक्चर नहीं होने देंगे

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