आप प्रतिदिन अपने जीवन में अवश्य ही बहुत सारे टकरावों का सामना करते होंगे।, उदाहरण के तौर पर
और यही कारण हो सकता है कि आप, क्लेश रहित जीवन कैसे जियें, इसी समस्या के समाधान की खोज में यहाँ पर आए हैं।
दूसरे के दृष्टिकोण व मान्यता को अस्वीकार करने से टकराव उत्पन्न होता है और आगे चलकर यही टकराव हमारे रिश्तों में क्लेश का कारण बनते हैं।
"टकराव टालो " यदि आपने परम पूज्य दादा भगवान के इस वाक्य को अपने जीवन मे पूरी तरह से उतार लिया (आत्मसात कर लिया) तो आपका काम हो जाएगा! बस आवश्यकता है ईमानदारी और निश्चय की। आपके भीतर अनंत शक्तियां हैं जो सभी प्रकार के टकराव का समाधान ला सकती हैं , चाहे वे कितने भी गंभीर क्यों न हों।
आपका दृढ़ निश्चय और यह वचन बल आपके सभी कार्यों को पूर्ण करेगा। यह दृढ़ निश्चय करें “चाहे विरोधी कितना भी दृढ़ क्यों ना हो मैं किसी भी कीमत पर उससे नहीं टकराऊंगा।”
जब लोग ट्रैफ़िक के नियमों का पालन करते हैं तब सड़क पर ट्रैफ़िक के चलने में कोई कठिनाई नहीं आती,है न? इसी तरह, यदि आप प्रतिदिन प्रकृति के नियमों का पालन सही तरह से करते रहे, तब आप टकराव को रोक पाते है व् टकराव मुक्त जीवन व्यतीत कर पाते हैं। लेकिन समस्या तब आती है जब आप जीवन के नियमों को सीमित दृष्टि से देखते हैं। टकराव तब उत्पन्न होते हैं जब आप अपने नियमों और समझ का ही अनुसरण करते हैं और टकराव टालने के तरीकों को नहीं जानते हैं।
मान लो, आप रेलगाड़ी से उतरे और आपने अपना सामान उतारने के लिए किसी को मदद के लिए ढूँढा। कुछ कुली आपके सामने भागते हुए आते है और आप उनमे से एक को अपना सामान उठाने को कहते हो। वह आपका सामान बाहर तक ढो कर ले तो जाता है लेकिन उसे पैसे देते समय, आपका उसके साथ झगड़ा हो जाता है, "तु तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझसे इतने पैसे मांगने की? " लोगों को हर समय एक दूसरे से टकराने की आदत होती है। ऐसी बातों में विवाद में नहीं पड़ना चाहिए। अगर वह २५० रुपये मांगता है, तो आप आराम से समझौता करने का प्रयत्न करें।
"सुनो भाई, वास्तव में तो यह काम १०० रुपये का ही है लेकिन तुम २०० रुपये ले लो!" आपको कुछ पैसे देकर मामले को शांत करें या सुलझाए। यह टकराने की जगह नहीं है। यदि आपके सामने कमज़ोर है तो हो सकता है वह जाने दे और उसे अपनी कमज़ोरी के कारण दुःख हो लेकिन वह अंदर ही अंदर आपके प्रति द्वेष बांध लेगा। यह द्वेष प्रतिशोध के बीज को परिणाम देने वाले फल के रूप में परिवर्तित कर सकता है जो अगले जन्म में परिणाम देगा। प्रत्येक मनुष्य, वास्तव में प्रत्येक जीव से वैर बांधने में सक्षम है।
वहीं दूसरी ओर जब कोई आपके पास आए और कठोर व् कटु शब्दों का प्रयोग करने लगे तो आपको सतर्क हो जाना है और उस व्यक्ति के साथ टकराव में आने से भी बचना है। आपको अंदर अप्रसन्नता महसूस होगी जो हो सकता है आपको परेशान करे। इसलिए आपको समझ जाना चाहिए कि यह व्यक्ति आपके मन को प्रभावित कर रहा है और यह समझकर आपको उसके रास्ते से हट जाना चाहिए। यह टकराव स्पंदन के रूप में है। इसलिए टकराव टालो।
भले ही कोई व्यक्ति बहुत बात करे या अपशब्द बोले, उसके शब्द हमारे भीतर संघर्ष को उत्पन्न नहीं करने चाहिए। इस सिद्धांत का पालन करना ही आपका धर्म है। शब्द इस शर्त के साथ नहीं आते कि वो टकराव करेंगे। जिन शब्दों से आप परेशान होते हैं उन शब्दों को आपको एक तरफ़ कर देना चाहिए और उन्हें भूल जाना चाहिए। जो ऐसा कर सकता है ,वही मनुष्य कहलाने के योग्य है।
और अपने अहंकार को शांत करने के लिए अपने शब्दों से किसी को दुःख पहुँचाना सबसे बड़ा अपराध है। कभी ऐसा मत करना ।
जैसे-जैसे आपकी समझ बढ़ेगी, आप टकराव टालने में सक्षम रहेंगे।
जब आप टकरावों का इस गहराई से विश्लेषण करोगे, तब आपको समझ में आएगा कि ऐसा क्यों हो रहा है। उसके बाद फ़िर अगर आप अपने आप को दोबारा इस तरह की परिस्थिति में पाएंगे तब आपको अच्छी तरह से पता होगा कि टकराव टालने के लिए मुझे क्या नहीं करना चाहिए। इसके पश्चात भी हमारा दृढ़ निश्चय होना चाहिए कि हमे टकराव में नहीं पड़ना है और आप उसे कर भी पाएंगे। हो सकता है आप पहली बार में सफ़ल न हों लेकिन भविष्य में आप इसका परिणाम अवश्य देखेंगे।
मान लीजिए की आपका एक व्यक्ति से बार -बार टकराव हो रहा है। तब आपको किसी भी कीमत में उस व्यक्ति के बारे में नकारात्मक बात करने से बचना है। यदि आप उनके बारे में नकारात्मक बातें करते हैं, तो उनकी अनुपस्थिति में भी नकारात्मक स्पंदन उन तक पहुंच जाते हैं और यह परिस्थिति को और खराब कर देगा।
यदि दूसरा व्यक्ति अपनी बात पर अड़ा है,और आप उनसे बहुत चिढ़ जाते हैं, अगर आप उस बात को नजरअंदाज नहीं करेंगे तो यही परिस्थितियां आपको बार बार परेशान करती रहेगी। इसका रास्ता यह है कि उस व्यक्ति के लिए प्रार्थना करें। आप प्रार्थना करें कि, 'उन्हें सही समझ और सही दृष्टि मिले और वे नकारात्मकता में न फंसें।' ऐसा करने से आपके सकारात्मक स्पंदन उन तक पहुंचेंगे, जिसके कारण स्थिति स्थिर हो जाएगी। आपकी नकारात्मक बुद्धि भी धीरे-धीरे खत्म होने लगेगी और उस व्यक्ति के प्रति आपके आशय खराब नहीं होंगे। इससे अंत में आपको ही फायदा होगा।
यदि आप अपने आप को किसी ऐसी स्थिति में पाते हैं जहाँ आप पहले से ही टकराव में आ चुके हैं, तो आप प्रतिक्रमण करके क्षमा मांगे। भविष्य में टकराव से बचने के लिए यह अंतिम समाधान या कुंजी है। आप प्रतिक्रमण करने की विस्तृत समझ, प्रतिक्रमण कैसे करें और यह टकराव टालने में कैसे मदद करेगा, इसकी जानकारी यहाँ प्राप्त कर सकते हैं।
सभ्य व शिष्ट व्यक्ति झगडे में नहीं पड़ते। वे हमेशा ही बिना चिड़चिड़ाहट के चैन की नींद सो पाते हैं। वह असभ्य लोग होते हैं जो हर समय बहस और झगड़ा करते रहते हैं।
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