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टकराव क्या है? टकराव किस किस प्रकार से होते है ?

टकराव क्या है यह समझने से पहले, हमको नीचे दी गई की परिस्थितियों के बारे में विचार करना है:

  • “मान लो आप रास्ते पर जा रहे है और सामने बिजली का खम्भा है, तो क्या आप बच कर निकलेंगे कि उससे टकराएंगे ? "स्पष्ट है, आप कहेंगे कि “यदि में टकरा गया तो सर पर चोट आएंगी, इसलिए बच कर साइड से निकलूंगा "।
  • सोचो यदि कोई बैल आपकी तरफ आ रहा हो, तो क्या आप उसे रास्ता देकर एक तरफ हो जाएंगे कि जानबूझकर उसका सामना करेंगे ? आप उत्तर देंगे, “यदि मै टकराऊँगा तो घायल हो जाऊँगा , इसलिए मै सहजता से एक तरफ हट जाऊँगा।
  • और यदि कोई साँप या बड़ी शिला आपके रास्ते में आए तो ? आप कहेंगे, " मैं वहां से भी घूम कर जाऊंगा"।

उपरोक्त सभी परिस्थितियों में , “क्यों आपको ही रास्ते से हटना पड़ा ?”

जरूर! आप जवाब देंगे ," अपनी भलाई के लिए, यदि मै टकराता हूँ तो मुझे ही चोट लगेगी।

इसलिए जब आपको लगता है कि आपके बोलने से , करने से व सोचने से समस्या खड़ी होगी , वही टकराव (संघर्ष) है। जब आप जानते हुए भी रास्ते से हटते नहीं , वही संघर्ष है।

राजा भी संकरी गली से जा रहा हो, तो वो भी आवेश में आए हुए बैल को रास्ता देगा। क्या वह बैल को कह सकता है , "मेरे रास्ते से हट जाओ " मै राजा हूँ। इस तरह की अनिवार्य रूप से चोट के घटनाओं में राजाओं का राजा (महाराजा) भी बैल को रास्ता देगा , क्योंकि उसका लक्ष्य बैल के टकराव से घायल होने से बचना है।

इस संसार में कुछ लोग चट्टान, कुछ लोग बैल जैसे, कुछ साँप , तो कुछ लोग खम्बा की तरह और कुछ लोग सीधे साधे इंसान है। उनमे से किसी के साथ भी टकराव नहीं करना है , बल्कि अपना रास्ता ढूंढ़ना है।

हमारा लक्ष्य अंधेरे में टॉर्च की रोशनी की तरह बनना है। प्रकाश सभी जगह जाता है बिना किसी टकराव के , लेकिन एक छड़ी हिलते हुए प्रत्येक चीज में टकराती है।

टकराव होने के प्रकार

टकराव होने के तीन प्रकार है:

  • शारीरिक
  • शाब्दिक (वाणी)
  • मानसिक

शारीरिक टकराव :

शारीरिक क्लेश में अपना काम निकालने के लिए शरीर के द्वारा आक्रमण किये जाते है। जैसे हाथापाई, मारामारी, मुक्का मरना, थप्पड़ मरना इत्यादि।

शाब्दिक (वाणी) टकराव : 

जब आप अपमानजनक शब्दों का प्रयोग करते हैं, बहस करते हैं, दूसरों का अपमान करते हैं, चिल्लाते हैं, नकारात्मक शब्दों का उपयोग कर दूसरों को दुःख पहुंचाते है , शिकायत करते हैं, किसी की गलतियों को बताना, लोगों की पीठ के पीछे निंदा करते हैं और जब आप पर कोई आरोप लगाता है, वह सभी शाब्दिक टकराव (संघर्ष) के प्रकार है।

मानसिक टकराव:

मानसिक टकराव में किसी भी प्रकार की अंतरदाह, बेचैनी, अशांति, अंतरदाह का अनुभव होता है । जब आप किसी और के दृष्टिकोण को समझने से इनकार करते हैं, दूसरों के बारे में बुरा सोचते हैं, वह मानसिक संघर्ष हैं। मानसिक संघर्ष बाहर से दिखाई नहीं देते, लेकिन वे हमारे अंदर होते हैं। जब हम सामने वाले को देखते है और हमारे भीतर उनके लिए नकारात्मक भावनाएं पैदा हो होती हैं, तब मानसिक संघर्ष उत्पन्न होता है। उस व्यक्ति के लिए नकारात्मक अभिप्राय के परिणाम स्वरूप हमारे अंदर उनके लिए नकारात्मक भावनाएँ आती है, परिणामस्वरूप उनके लिए नकारात्मक स्पंदन उत्पन्न होते हैं।

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