अक्रम विज्ञान, एक ऐसा आध्यात्मिक विज्ञान है जो व्यवहार में उपयोगी है और मोक्ष प्राप्ति के लिए एक ‘शार्टकट’ रास्ता है।
अधिक पढ़ें“यदि खुद के स्वरूप को पहचान लिया तो फिर वह, खुद ही परमात्मा है |”
~ परम पूज्य दादा भगवान
दादा भगवान फाउन्डेशन प्रचार करता हैं, अक्रम विज्ञान के आध्यात्मिक विज्ञान का – आत्मसाक्षात्कार के विज्ञान का। जो परम पूज्य दादा भगवान द्वारा बताया गया है।
अधिक पढ़ेंअहमदाबाद से २० की.मी. की दूरी पर सीमंधर सिटी, एक आध्यात्मिक प्रगति की जगह है| जो "एक स्वच्छ, हरा और पवित्र शहर" जाना जाता है|
अधिक पढ़ेंअक्रम विज्ञानी, परम पूज्य दादा भगवान, द्वारा प्रेरित एक अनोखा निष्पक्षपाति त्रिमंदिर।
सारी आत्मशक्ति यदि खत्म होती हो, तो वह घर्षण से। ज़रा भी टकराए तो खत्म। सामनेवाला टकराए, तब हमें संयमपूर्वक रहना चाहिए। टकराव तो होना ही नहीं चाहिए। फिर चाहे यह देह भी जाना हो तो जाए, मगर टकराव में नहीं आना चाहिए। यदि सर्फ घर्षण न हो, तो मनुष्य मोक्ष में चला जाए। किसी ने इतना ही सीख लिया कि 'मुझे घर्षण में नहीं आना है', तो फिर उसे गुरु की या किसी की भी ज़रूरत नहीं है। एक या दो जन्मों में सीधे मोक्ष में जाएगा। 'घर्षण में आना ही नहीं है' ऐसा यदि उसकी श्रद्धा में बैठ गया और निश्चय ही कर लिया, तब से ही वह समकित हो गया! अर्थात् यदि किसीको समकित करना हो तो हम गारन्टी देते हैं कि जाओ, घर्षण नहीं करने का निश्चय कर लो, तभी से समकित हो जाएगा। देह का टकराव हुआ हो और चोट लगी हो तो इलाज करने से ठीक हो जाएगा। लेकिन घर्षण और संघर्षण से मन में जो दा़ग पड़ गए हों, बुद्धि पर दा़ग पड़े हों, उन्हें कौन निकालेगा? हजारों जन्मों तक भी नहीं जाएँगे।
प्रश्नकर्ता : घर्षण और संघर्षण से मन और बुद्धि पर घाव पड़ते हैं?
दादाश्री : अरे! मन-बुद्धि पर तो क्या, पूरे अंतःकरण पर घाव पड़ते रहते हैं और उसका असर शरीर पर भी होता है। घर्षण से तो कितनी सारी मुश्किलें हैं।
Q. हम क्लेश मुक्त जीवन कैसे जी सकते हैं?
A. दादाश्री : हाँ, तो उतना हमें सुधार लेना है! मेरा क्या कहना है कि, किसलिए हम बिगाडें? किसी भी प्रसंग को बिगाड़ना हमें शोभा नहीं देता। ये सारे ट्रैफिक के लॉज़...Read More
A. इस दुनिया में जो कोई भी टकराव होता है, वह आपकी ही भूल है, सामनेवाले की भूल नहीं है! सामनेवाले तो टकरानेवाले हैं ही। 'आप क्यों टकराए?' तब कहें, 'सामनेवाला...Read More
Q. क्या अहंकार का टकराव कैसे दूर हो सकता है?
A. प्रश्नकर्ता : दादाजी, यह अहंकार की बात घर में भी कई बार लागू होती है, संस्था में लागू होती है, दादाजी का काम कर रहे हों, उसमें भी कहीं अहंकार का टकराव हो,...Read More
Q. मेरे ऊपरी अधिकारी मेरे दोष क्यों निकालते हैं?
A. प्रश्नकर्ता: दादा, व्यवहार में व्यू पॉइन्ट के टकराव में, बड़ा छोटे की भूल निकाले, छोटा अपने से छोटे की भूल निकाले, ऐसा क्यों? दादाश्री: वह तो ऐसा है कि...Read More
Q. टकराव टालो- क्या इसका मतलब सहन करना है?
A. प्रश्नकर्ता : दादा, आपने जो टकराव टालने को कहा, इसका अर्थ 'सहन करना' ऐसा होता है न? दादाश्री : टकराव टालना यानी सहन करना नहीं है। सहन करोगे तो कितना...Read More
Q. क्या आकर्षण विकर्षण ही टकराव का कारण है?
A. प्रश्नकर्ता : लेकिन कई बार हमें द्वेष नहीं करना हो, फिर भी द्वेष हो जाता है, उसका क्या कारण है? दादाश्री : किसके साथ? प्रश्नकर्ता : पति के साथ ऐसा हो...Read More
Q. टकराव टालने का दृढ़ निश्चय करें और सुख-शांति से जीएँ
A. 'टकराव टालो' यह एक ही सूत्र यदि जीवन में सीधा उतर गया, उसका संसार तो सुंदर हो ही जाएगा, साथ ही मोक्ष भी सीधे सामने चलकर आएगा। यह निर्विवाद वाक्य है! अक्रम...Read More
Q. किसीके साथ टकराव होना हमारे पिछले जन्म का कर्म है?
A. प्रश्नकर्ता : लेकिन दादाजी, टकराव नहीं हो ऐसा भाव तो निरंतर रहना चाहिए न? दादाश्री : हाँ, रहना चाहिए। यही करना है न! उसका प्रतिक्रमण करना है और उसके प्रति...Read More
Q. प्रतिक्रमण ही टकराव टालने की एक मात्र दवाई है?
A. प्रश्नकर्ता : तब उस टकराव को टालने का उपाय केवल प्रतिक्रमण ही है या कुछ और भी है? दादाश्री : दूसरा कोई हथियार है ही नहीं। ये हमारी नौ कलमें, वे भी...Read More
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