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टकराव होने के परिणाम क्या है?

यदि हमें टकराव से होने वाले परिणामों की जानकारी है तो हम उससे होने वाले नुकसान को समझ जाएंगे और शुरू से ही किसी के भी साथ टकराव में आने से बचेंगे।

टकराव से नुकसान:

  • टकराव होने से आपका पूरा दिन बर्बाद हो जाता है।
  • जब आप किसी के साथ टकराते हो, तब समाधान आपके सामने ही होता है पर आप उसे देख नहीं पाते । समाधान सामने होते हुए भी अगर हम उसे नहीं देख पाते हैं तो हमारे अंदर क्रोध, मान, माया और लोभ उत्पन्न हो जाते हैं और ये गलतफ़हमी, मतभेद, बहस, अयोग्य व्यवहारऔर निराशा को बढ़ाते है।
  • घर्षण से हमारी शक्तियां क्षीण होती है।    
  • जब आपका किसी के साथ टकराव होता है, तब अभिप्राय में भिन्नता के कारण उस व्यक्ति के साथ भेदभाव होना उत्पन्न हो जाता है। 
  • लोग आपसे दूर रहने लगेंगे और आपको सनकी / पागल कहेंगे। 
  • अपने परिवार और मित्रों से टकराव होने पर, आपका एक दूसरे के प्रति प्रेम कम हो जायेगा। 
  • टकराव से केवल आप को ही दुःख नही होता बल्कि सामने वाला भी दुखी होता है। जिस प्रकार से किसी कार दुर्घटना होने पर दोनों व्यक्तियों को ही नहीं बल्कि उनकी कारों को भी नुकसान पहुंचता है।
  • सामने वाला व्यक्ति भी चिड़चिड़ा हो जायेगा और वह हमे चोट पहुंचाए बगैर (बिना) नही रहेगा।
  • न केवल आपका मन और बुद्धि बल्कि पूरा अंतःकरण भीतर से प्रभावित हो जाएगा और इसका असर  शरीर  पर भी होगा। टकराव के कारण बहुत सारी कठिनाईयाँ भी उत्पन्न हो जाएँगी।
  • यदि आप अपना काम निकालने के लिए किसी के साथ टकराते हैं और उसे दुःख देते हैं तो आपको भी निश्चित रूप से उसी क्षण दुःख होगा।
  • यदि आप किसी के साथ टकराते हैं, तब आप अपनी कॉमनसेन्स (सूझबूझ) खो देते हैं ।
  • जिस व्यक्ति में भगवान (शुद्धात्मा) वास रहते है, उसे आप दुःख पहुंचा रहे हो। जीवित व्यक्तियों के साथ टकराना एक भयंकर अपराध है क्योंकि उनमें ईश्वर बसते हैं।

    avoid clashes

  • यदि सामने वाला गलती करे तो, उसका कोई महत्व नहीं है: लेकिन यदि टकराव हुआ तो उसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। जहाँ टकराव होता हैं ,वहाँ ईश्वर नहीं रहते।
  • यदि हम किसी के साथ हिंसक व क्रूरता भरा टकराव करते हैं तो इससे हम अगले जन्म में मनुष्य जन्म को खोकर पशु जाति में जन्म लेने के बीज बोते हैं। वहाँ जीवन आसान नही है।  पशु जीवन दुःख और दर्द से भरा हुआ है। यह बात अच्छी तरह से समझ कर हमे टकराव से बचना चाहिए चाहिए। नही तो, हम अपने वर्तमान जीवन के साथ साथ अपने अगले जीवन को भी बर्बाद कर रहे हैं। जो व्यक्ति अपने इस वर्तमान जीवन को बिगाड़ता है, वह निश्चित ही अपने अगले जन्म को भी बिगाड़ रहा है। यदि यह जन्म सुधरता है, तो अगला जन्म भी सुधरेगा ही। यदि हमारा यह जीवन समस्या रहित है तो हमें समझ जाना चाहिए कि हमारा अगला जन्म भी समस्या रहित ही होगा। यदि आप इस जीवन में समस्या पैदा करते हो, तो निश्चित ही अगले जन्म में वह आपका पीछा नहीं छोड़ेगी।
  • यहां तक ​​कि किसी भी जीवित व्यकित के लिए एक भी नकारात्मक (नेगेटिव) विचार आना बहुत हानिकारक है;  इससे नए कर्मों का बंधन होता है जिससे जीवन में और भी ज़्यादा दुःख आते हैं।  
  • यदि आप किसी के भी साथ एडजस्ट नही हो पाते हैं तो इसमें आप अपना मानसिक संतुलन खो सकते हैं। किसी को बार बार सताना मानसिक संतुलन बिगड़ने का कारण है। 
  • टकराव टालिए, टकराव ही सांसारिक जीवन का और उसके चलते रहने का आधार है। भगवान ने कहा है कि यह आधार बैर से ही बना हुआ है। हर एक व्यक्ति (जीव मात्र), टकराव के कारण बैर रखता है। अगर बात ज़्यादा बढ़ी तो बैर हुए बगैर नही रहता है। इसके फलस्वरूप अगले जन्म में हमे दुःख भुगतना पड़ता है
  • घर्षण में आने से हमें बहुत अंतरायों का सामना करना पड़ता है, जिससे हमे मोक्ष मिलने मे समय लग जाता है।

टकराव टालने के लाभ :

  • जब आप किसी के साथ टकराव टालते हैं तब आप यह ध्यान में रख रहे होते हैं कि सामने वाले व्यक्ति का मन नहीं दुखाना है। ऐसा करने से आपके अपने बहुत सारे क्रोध, मान, माया और लोभ भी नष्ट हो जाते हैं। इसके परिणामस्वरूप आप अपने आपको सुधार रहे हो।
  • आप मानसिक शांति का अनुभव करेंगे।
  • टकराव टालने से आपका जीवन सहज रूप से व्यतीत होता है।
  • आप लंबे समय तक अच्छे संबंध बनाए रखने में सक्षम होंगे।
  • यदि आप दूसरों के साथ टकराव में आने से बचते हैं, तो आप दूसरों को खुश (प्रसन्न) रख रहे हैं, इस प्रकार कुदरत आपके पक्ष में होगी आपके जीवन और भविष्य निर्माण की प्रगति में सहयोग देगी।
  • यहां तक कि अगर आप एक दिन के लिए भी टकराव से बचते हैं तो आपमें जबरदस्त शक्तियां उत्पन्न होती है। शक्ति का अर्थ यह है कि बाहर कुछ भी परिणाम आए, अच्छा या बुरा, वह हमें भीतर (अंदर) स्पर्श नहीं करेगा। यह शक्तियां ऐसी होती है कि कि यह क्रोध- मान-माया -लोभ किसी को भी उत्पन्न नही होने देंगी। चाहे सामने वाला किसी भी प्रकार का टकराव क्यों ना उत्पन्न करे फिर भी इस शक्तियों के कारण आप टकराव टालने में सक्षम (समर्थ) होंगे।
  • यदि आप टकराव में कोई प्रतिक्रिया नही व्यक्त करते हैं तो आप अध्यात्म की उच्च स्थिति  को प्राप्त  कर सकते हैं और साथ ही आप अपने संसार व्यवहार मे भी प्रगति करते हैं।
  • टकराव की अनुपस्थिति में आप स्थिर, विचारशील, शांतिमय और बहुत सूझबूझ वाले होंगे। यदि कोई आपके साथ टकराव करने का प्रयास  करता है लेकिन फिर भी अगर आप उसके साथ नही टकराते, तो आप में सूझ उत्पन्न होती है। और जैसे जैसे आप टकराव से बचने के निश्चय का पालन करते हैं वैसे वैसे आपमें सूझ बढ़ती जाती है।

यदि आप इतना समझ लेते हैं कि ‘किसी के साथ टकराव में नही आना है’ तब आप अपनी शक्तियों का संरक्षण करते हैं , जिससे आपमें शक्तियाँ दिन प्रतिदिन बढ़ती जाती हैं। इस प्रकार आप को सामने से आने वाले घर्षण से किसी भी तरह का नुकसान नही होगा। अगर व्यक्ति यह दृढ़ निश्चय कर ले तो इसके परिणाम स्वरूप व्यक्ति में सहजता,आंतरिक तथा ज्ञान युक्त दृष्टिकोण उत्पन्न हो जाएगा, जो व्यक्ति के आगे का मार्ग प्रशस्त करेगा।

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