आत्मा का अनुभव
आत्मा का अनुभव किसे कह सकते है? आत्मसाक्षात्कार किसे होता है?
लोग अपनी भाषा में या जिस धर्म का वह पालन करते हैं उसके आधार पर आत्मा को रूह, पवित्र आत्मा, चेतना या महा-चेतना भी कहते हैं। बहुत से लोग उसे वास्तविक आत्मा, अमर आत्मा, शुद्धात्मा या आत्मा भी कहते हैं। फिर भी, आत्मा क्या है? क्या यह पूर्णतया आध्यात्मिक है? क्या यह धार्मिक नहीं है?
सोल यानि आत्मा, आत्मा यानि “सेल्फ”(खुद का स्वरूप)
जिसने आत्मा का अनुभव किया है, उसने आत्मा की सुंदरता का आनंद लिया है। जबकि मन का स्वभाव शांति है, आत्मा का स्वभाव आनंद है! आनंद यानी शाश्वत सुख की अवस्था।
परम पूज्य दादा भगवान कहते हैं, "आत्मा का वास्तविक अर्थ स्वयं (खुद) है, स्वयं का सच्चा स्वरूप। " शाश्वत सुख, आनंद, हमारे भीतर ही है। आपका सच्चा स्वरूप, यानि आत्मा, अनंत सुख का धाम है और फिर भी आप विनाशी चीज़ों में अपना सुख ढूंढ रहे हो!“
मनुष्य जीवन का अंतिम लक्ष्य आत्मा को जागृत करना है
आत्मा प्रत्येक जीवमात्र में होता है। उसका स्वभाव एक समान है, यानि प्रत्येक आत्मा के गुण समान होते हैं। अनंत ज्ञान, अनंत दर्शन, अनंत शक्ति और अनंत सुख आत्मा के मुख्य गुण हैं।
जबकि भौतिक सुख जैसे कि प्रसिद्धि, पैसा और संपत्ति का स्वभाव विनाशी हैं और वे असंतोष करवाता है; आत्मा शाश्वत है और ठीक वैसे ही उसके गुण भी। उदाहरण के लिए, पैसा जीवन में सुख और आराम लाता है, लेकिन वह कभी भी आत्मा की तरह अनंत सुख और आनंद नहीं दे सकता। इसी कारण सभी शास्त्रों, आध्यात्मिक विषयों और आध्यात्मिक साधना का सार एक ही है: अपने आत्मा को जागृत करो!
जो दिखाई नहीं देता, उसे जागृत कैसे करें?
आत्मा को देह के चक्षुओं (नेत्रों) से नहीं देखा जा सकता और ना ही उसका सम्पूर्ण वर्णन शब्दों में किया जा सकता है। यह इतना सूक्ष्म है। इसके साक्षात्कार के लिए, हमें प्रत्यक्ष ज्ञानी की आवश्यकता हैं, जिसे आत्मसाक्षात्कार हो चुका हो। ऐसे गुरु को ज्ञानी कहते हैं, जिनकी कृपा से, आत्मा क्या है यह जानने की हमारी दृष्टि खुलती है।
वह प्रगट ज्ञानी हैं जिनके पास दूसरों की आत्मा जागृत करवाने की सिद्धि होती है। केवल वह ही हमें आत्मसाक्षात्कार (हमारे आत्मा का अनुभव) का अनुभव करवा सकते हैं!!! तो, "शाश्वत सुख का मार्ग आपको शीघ्र ही मिले" की शुभकामनाओं के साथ, प्रस्तुत है वह सब जो आप अपनी आत्मा के बारे में जानना चाहेंगे...
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