प्रेम
सच्चे प्रेम में कोई अपेक्षाए नही रहती, न ही उसमें एक दूसरे की गलतियाँ दिखती है|
प्रेम शब्द का इस हद तक दुरुपयोग हुआ है कि हरएक कदम पर इसके अर्थ को लेकर प्रश्न खड़े होते है। यदि यह सच्चा प्यार है तो, यह ऐसा कैसे हो सकता है?
सिर्फ ज्ञानीपुरुष ही जो केवल प्रेम कि जीवंत मूर्ति हैं, हमें प्रेम कि सही परिभाषा बता सकते हैं। सच्चा प्रेम वही है जो कभी बढ़ता या घटता नहीं है। मान देनेवाले के प्रति राग नहीं होता, न ही अपमान करनेवाले के प्रति द्वेष होता है। ऐसे प्रेम से दुनिया निर्दोष दिखाई देती है। यह प्रेम मनुष्य के रूप में भगवान का अनुभव करवाता है।
संसार में सच्चा प्रेम है ही नहीं। सच्चा प्रेम उसी व्यक्ति में हो सकता है जिसने अपने आत्मा को पूर्ण रूप से जान लिया है। प्रेम ही ईश्वर है और ईश्वर ही प्रेम है। पढ़िए और जानिए शुद्ध प्रेम के बारे में.......
Q. सच्चे प्रेम की परिभाषा क्या है?
A. दादाश्री : वोट इज़ द डेफिनेशन ऑफ लव? प्रश्नकर्ता : मुझे पता नहीं। वह समझाइए। दादाश्री : अरे, मैं... Read More
Q. आकर्षण और प्रेम में क्या अंतर है?
A. प्रश्नकर्ता : तो प्रेम और राग ये दोनों शब्द समझाइए। दादाश्री : राग, वह पौद्गलिक वस्तु है और प्रेम,... Read More
Q. आकर्षण और खिंचाव के पीछे का विज्ञान क्या है?
A. यह किसके जैसा है? यह लोहचुंबक होता है और यह आलपिन यहाँ पड़ी हो और लोहचुंबक ऐसे-ऐसे करें तो आलपिन... Read More
Q. सच्चे प्रेम और भावना(इमोशन) में क्या फर्क है?
A. प्रश्नकर्ता : यह प्रेमस्वरूप जो है, वह भी कहलाता है कि हृदय में से आता है और इमोशनलपन भी हृदय में... Read More
A. इस काल में ऐसे प्रेम के दर्शन हज़ारों को परमात्म प्रेम स्वरूप श्री दादा भगवान में हुए। एक बार जो कोई... Read More
Q. शुद्ध प्रेम का उदभव कैसे होता है?
A. अर्थात् जहाँ प्रेम न दिखे, वहाँ मोक्ष का मार्ग ही नहीं। हमें नहीं आए, बोलना भी नहीं आए, तब भी वह... Read More
Q. प्रेम स्वरूप कैसे बन सकते हैं?
A. असल में जगत् जैसा है वैसा वह जाने, फिर अनुभव करे तो उसे प्रेमस्वरूप ही होगा। जगत् 'जैसा है वैसा'... Read More
Q. शुद्ध प्रेम कैसे उत्पन्न किया जाए? प्रेम स्वरुप कैसे बना जाए?
A. अब जितना भेद जाए, उतना शुद्ध प्रेम उत्पन्न होता है। शुद्ध प्रेम को उत्पन्न होने के लिए क्या जाना... Read More
Q. ईश्वरीय प्रेम क्या है? ऐसा प्रेम कहाँ से प्राप्त होगा?
A. यह प्रेम तो ईश्वरीय प्रेम है। ऐसा सब जगह होता नहीं न! यह तो किसी जगह पर ऐसा हो तो हो जाता है, नहीं... Read More
Q. आत्यंतिक मोक्ष कैसे हो सकता है?
A. प्रश्नकर्ता : इस ज्ञान के बाद हमें जो अनुभव होता है, उसमें कुछ प्रेम, प्रेम, प्रेम छलकता है, वह... Read More
A. प्रश्नकर्ता: इसमें प्रेम और आसक्ति का भेद ज़रा समझाइये। दादाश्री: जो विकृत प्रेम है, उसीका नाम... Read More
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