अक्रम विज्ञान, एक ऐसा आध्यात्मिक विज्ञान है जो व्यवहार में उपयोगी है और मोक्ष प्राप्ति के लिए एक ‘शार्टकट’ रास्ता है।
अधिक पढ़ें21 मार्च |
दादा भगवान फाउन्डेशन प्रचार करता हैं, अक्रम विज्ञान के आध्यात्मिक विज्ञान का – आत्मसाक्षात्कार के विज्ञान का। जो परम पूज्य दादा भगवान द्वारा बताया गया है।
अधिक पढ़ेंअहमदाबाद से २० की.मी. की दूरी पर सीमंधर सिटी, एक आध्यात्मिक प्रगति की जगह है| जो "एक स्वच्छ, हरा और पवित्र शहर" जाना जाता है|
अधिक पढ़ेंअक्रम विज्ञानी, परम पूज्य दादा भगवान, द्वारा प्रेरित एक अनोखा निष्पक्षपाति त्रिमंदिर।
इस काल में ऐसे प्रेम के दर्शन हज़ारों को परमात्म प्रेम स्वरूप श्री दादा भगवान में हुए। एक बार जो कोई उनकी अभेदता चखकर गया, वह निरंतर उनके निदिध्यासन या तो उनकी याद में रहता है, संसार की सब जंजालों में जकड़ा हुआ होने के बावजूद भी!
हज़ारों लोगों को पूज्यश्री वर्षों तक एक क्षण भी बिसरते नहीं, वह इस काल का महान आश्चर्य है!! हज़ारों लोग पूज्यश्री के संसर्ग में आए, पर उनकी करुणा, उनका प्रेम हर एक पर बरसता हुआ सबने अनुभव किया। हर एक को ऐसा ही लगता है कि मुझ पर सबसे अधिक कृपा है,राजीपा(गुरजनों की कृपा और प्रसन्नता) है!
और संपूर्ण वीतरागों के प्रेम की तो वर्ल्ड में कोई मिसाल ही न मिले! एक बार वीतराग के, उनकी वीतरागता के दर्शन हो जाएँ, वहाँ खुद सारी ज़िन्दगी समर्पण हो जाए। उस प्रेम को एक क्षण भी भूल न सके!
सामनेवाला व्यक्ति किस प्रकार आत्यंतिक कल्याण को पाए, निरंतर उसी लक्ष्य के कारण यह प्रेम, यह करुणा फलित होती हुई दिखती है। जगत् ने देखा नहीं, सुना नहीं, श्रद्धा में नहीं आया, अनुभव नहीं किया, ऐसा परमात्म प्रेम प्रत्यक्ष में प्राप्त करना हो तो प्रेमस्वरूप प्रत्यक्ष ज्ञानी की ही भजना करनी। बाकी, वह शब्दों में किस तरह समाए?!
Q. सच्चे प्रेम की परिभाषा क्या है?
A. दादाश्री : वोट इज़ द डेफिनेशन ऑफ लव? प्रश्नकर्ता : मुझे पता नहीं। वह समझाइए। दादाश्री : अरे, मैं ही बचपन से प्रेम की परिभाषा ढूंढ रहा था न! मुझे हुआ,...Read More
Q. आकर्षण और प्रेम में क्या अंतर है?
A. प्रश्नकर्ता : तो प्रेम और राग ये दोनों शब्द समझाइए। दादाश्री : राग, वह पौद्गलिक वस्तु है और प्रेम, वह सच्ची वस्तु है। अब प्रेम कैसा होना चाहिए? कि बढ़े...Read More
Q. आकर्षण और खिंचाव के पीछे का विज्ञान क्या है?
A. यह किसके जैसा है? यह लोहचुंबक होता है और यह आलपिन यहाँ पड़ी हो और लोहचुंबक ऐसे-ऐसे करें तो आलपिन ऊँचीनीची होती है या नहीं होती? होती है। लोहचुंबक पास में...Read More
Q. सच्चे प्रेम और भावना(इमोशन) में क्या फर्क है?
A. प्रश्नकर्ता : यह प्रेमस्वरूप जो है, वह भी कहलाता है कि हृदय में से आता है और इमोशनलपन भी हृदय में से ही आता है न? दादाश्री : ना, वह प्रेम नहीं है। प्रेम...Read More
Q. शुद्ध प्रेम का उदभव कैसे होता है?
A. अर्थात् जहाँ प्रेम न दिखे, वहाँ मोक्ष का मार्ग ही नहीं। हमें नहीं आए, बोलना भी नहीं आए, तब भी वह प्रेम रखे, तब ही सच्चा। यानी एक प्रमाणिकता और दूसरा प्रेम...Read More
Q. प्रेम स्वरूप कैसे बन सकते हैं?
A. असल में जगत् जैसा है वैसा वह जाने, फिर अनुभव करे तो उसे प्रेमस्वरूप ही होगा। जगत् 'जैसा है वैसा' क्या है? कि कोई जीव किंचित् मात्र दोषी नहीं, निर्दोष ही है...Read More
Q. शुद्ध प्रेम कैसे उत्पन्न किया जाए? प्रेम स्वरुप कैसे बना जाए?
A. अब जितना भेद जाए, उतना शुद्ध प्रेम उत्पन्न होता है। शुद्ध प्रेम को उत्पन्न होने के लिए क्या जाना चाहिए अपने में से? कोई वस्तु निकल जाए तब वह वस्तु आएगी।...Read More
Q. ईश्वरीय प्रेम क्या है? ऐसा प्रेम कहाँ से प्राप्त होगा?
A. यह प्रेम तो ईश्वरीय प्रेम है। ऐसा सब जगह होता नहीं न! यह तो किसी जगह पर ऐसा हो तो हो जाता है, नहीं तो होता नहीं न! अभी शरीर से मोटा दिखे उस पर भी प्रेम,...Read More
Q. आत्यंतिक मोक्ष कैसे हो सकता है?
A. प्रश्नकर्ता : इस ज्ञान के बाद हमें जो अनुभव होता है, उसमें कुछ प्रेम, प्रेम, प्रेम छलकता है, वह क्या है? दादाश्री : वह प्रशस्त राग है। जिस राग से संसार के...Read More
A. प्रश्नकर्ता: इसमें प्रेम और आसक्ति का भेद ज़रा समझाइये। दादाश्री: जो विकृत प्रेम है, उसीका नाम आसक्ति। इस संसार में हम जिसे प्रेम कहते हैं, वह विकृत प्रेम...Read More
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