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आत्यंतिक मोक्ष कैसे हो सकता है?

प्रश्नकर्ता : इस ज्ञान के बाद हमें जो अनुभव होता है, उसमें कुछ प्रेम, प्रेम, प्रेम छलकता है, वह क्या है?

दादाश्री : वह प्रशस्त राग है। जिस राग से संसार के राग सारे छूट जाते हैं। ऐसा राग उत्पन्न हो तब संसार में जो भी दूसरे राग सभी जगह लगे हुए हों, वे सब वापिस आ जाते हैं। इसे प्रशस्त राग कहा  है भगवान ने। प्रशस्त राग, वह प्रत्यक्ष मोक्ष का कारण है। वह राग बांधता नहीं है। क्योंकि उस राग में संसारी हेतु नहीं है। उपकारी के प्रति राग उत्पन्न होता है, वह प्रशस्त राग। वह सभी रागों को छुड़वाता है।

इन 'दादा' का निदिध्यासन करें न तो उनमें जो गुण हैं न, वे उत्पन्न होते हैं अपने में। दूसरा यह कि जगत् की किसी भी वस्तु की स्पृहा नहीं करनी। भौतिक चीज़ की स्पृहा नहीं करनी है। आत्मसुख की ही वांछना, दूसरी किसी चीज़ की वांछना ही नहीं और कोई हमें गालियाँ दे गया हो, उसके साथ भी प्रेम! इतना हो कि काम हो गया फिर।

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