धर्म क्या है ?
धर्म हमारे गतिविधियों पर आधारित नहीं है| वह हमारे भीतर के भावों पर आधारित है| व्यवहार जो दूसरों को दुःख पहुँचाए वह अधर्म है|
'इतना धर्म और धार्मिक क्रियाओं करने के बावजूद भी वह व्यवहार में क्यों नज़र नहीं आता?' क्या यह बात आपको परेशान नहीं करती? इसके पीछे कारण क्या है?
पूज्य दादाश्री ने इन सभी प्रश्नों और उलझनों के पीछे का रहस्य बताया है। उनका कहना है कि हमारा वर्तन पिछले जन्म के कॉज़िज का परिणाम है। आज जो हो रहा है, वह इफेक्ट है। 'भाव' का अर्थ है, अत्यंत सूक्ष्म स्तर पर हुए भाव जिनका किसीको पता नहीं चलता। ये भाव 'कारण' है। परिणाम को कोई बदल नहीं सकता। यदि कारण बदलेंगे तभी परिणाम बदलेगा।
पूज्य दादाश्री ने सभी धार्मिक ग्रंथों का निचोड़ हमें नौ कलमों के रूप में दिया है। ये नौ कलमें अपने भावों को मूल से बदलने की चाबियाँ है। शास्त्रों का गहन अध्ययन भी भावों में इस प्रकार के परिवर्तन नहीं ला सकता।
हज़ारों लोगों को नौ कलमों द्वारा बहुत फायदा हुआ है। इन नौ कलमों को पढ़कर नए आंतरिक भाव पूर्णरूप से बदल जाते हैं और जीवन में शांति का अनुभव होता है। इससे जीवन की सारी नकारात्मकता खत्म हो जाती है। यह सभी धर्मों का सार है।
इनसे मोक्ष का रास्ता और आध्यात्मिक विकास बहुत आसान हो जाएगा।
Q. यदि कोई गलत है फिर भी उसके अहंकार को मैं चोट क्यों नहीं पहुँचाऊँ?
A. प्रश्नकर्ता : काम-धंधे में सामनेवाले का अहम् नहीं दुभे ऐसा हमेशा नहीं रह पाता, किसी न किसी के अहम्... Read More
Q. वाणी को कैसे सुधारे? दुःखदाई शब्द बोलने से कैसे बचें?
A. दादाश्री : कठोर भाषा नहीं बोलनी चाहिए। किसी के साथ कठोर भाषा निकल गई और उसे बुरा लगा तो हमें उसको... Read More
Q. भोजन के प्रलोभन और लुब्धता में से छूटने के लिए क्या करें? आध्यात्मिक रूप से संतुलित भोजन क्या है?
A. दादाश्री : भोजन लेते समय आपको अमुक सब्ज़ी, जैसे कि टमाटर की ही रुचि हो, जिसकी आपको फिर से याद आती... Read More
Q. अभाव और तिरस्कार करने से कैसे बचें?
A. प्रश्नकर्ता : ४. हे दादा भगवान ! मुझे, किसी भी देहधारी जीवात्मा के प्रति किंचित्मात्र भी अभाव,... Read More
Q. विषय विकार में से कैसे मुक्त हों?
A. ६. ‘हे दादा भगवान ! मुझे, किसी भी देहधारी जीवात्मा के प्रति स्त्री, पुरुष या नपुंसक, कोई भी... Read More
Q. किसी भी धर्म के प्रमाण को क्यों नहीं दुभाना चाहिए?
A. प्रश्नकर्ता: २. हे दादा भगवान ! मुझे, किसी भी धर्म का किंचित्मात्र भी प्रमाण न दुभे, न दुभाया जाए... Read More
Q. किसी को आत्मज्ञान के रास्ते पर किस तरह लाएँ?
A. दादाश्री: आपका शब्द ऐसा निकले कि सामनेवाले का काम हो जाए। प्रश्नकर्ता: आप पौद्गलिक या ‘रीयल’... Read More
Q. अपने अध्यात्मिक विकास को किस तरह बढ़ाएँ?
A. ऐसा है न, इस काल के हिसाब से लोगों में इतनी शक्ति नहीं है। जितनी शक्ति है उतना ही दिया है। इतनी... Read More
Q. सभी धर्मो का सार : नौ कलमें
A. एक भाई से मैंने कहा कि, ‘इन नौ कलमों में सब समा गया है। इसमें कुछ भी बाकी नहीं रखा है। आप ये नौ... Read More
Q. सांसारिक बंधनों से मुक्ति कैसे प्राप्त की जा सकती है?
A. प्रश्नकर्ता: ये जो नौ कलमें दी हैं वह विचार, वाणी और वर्तन की शुद्धता के लिए ही दी हैं... Read More
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