अक्रम विज्ञान, एक ऐसा आध्यात्मिक विज्ञान है जो व्यवहार में उपयोगी है और मोक्ष प्राप्ति के लिए एक ‘शार्टकट’ रास्ता है।
अधिक पढ़ें“यदि खुद के स्वरूप को पहचान लिया तो फिर वह, खुद ही परमात्मा है |”
~ परम पूज्य दादा भगवान
दादा भगवान फाउन्डेशन प्रचार करता हैं, अक्रम विज्ञान के आध्यात्मिक विज्ञान का – आत्मसाक्षात्कार के विज्ञान का। जो परम पूज्य दादा भगवान द्वारा बताया गया है।
अधिक पढ़ेंअहमदाबाद से २० की.मी. की दूरी पर सीमंधर सिटी, एक आध्यात्मिक प्रगति की जगह है| जो "एक स्वच्छ, हरा और पवित्र शहर" जाना जाता है|
अधिक पढ़ेंअक्रम विज्ञानी, परम पूज्य दादा भगवान, द्वारा प्रेरित एक अनोखा निष्पक्षपाति त्रिमंदिर।
प्रश्नकर्ता: ये जो नौ कलमें दी हैं वह विचार, वाणी और वर्तन की शुद्धता के लिए ही दी हैं न?
दादाश्री: नहीं, नहीं। अक्रम मार्ग में इसकी ज़रूरत ही नहीं है। ये नौ कलमें तो आपके अनंत अवतार के सबके साथ जो भी हिसाब बँधे हुए हैं, उन हिसाबों में से मुक्त होने के लिए दी हैं। आपके बहीखाते साफ करने के लिए दी हैं।
इसलिए ये नौ कलमें बोलने से (लोगों से बँधे) तार छूट जाएँगे। लोगों के साथ जो तार जुड़े हुए हैं, उस ऋणानुबंध से मोक्ष अटका है। इसलिए इन ऋणानुबंधनों से छूटने के लिए ये नौ कलमें हैं।
इन्हें बोलने से आपके आज तक के जो दोष हुए हैं न, वे सारे ढीले हो जाएँगे। और फिर इसका परिणाम तो आएगा ही। सारे दोष जली हुई रस्सी के समान हो जाते हैं, फिर यों हाथ लगाते ही ढेर हो जाएँगे।
प्रश्नकर्ता: दोषों के प्रतिक्रमण करने के लिए हम नौ कलमें प्रतिदिन बोला करें तो उसमें से शक्ति मिलेगी क्या?
दादाश्री: आप नौ कलमें बोलें, वह अलग है और इन दोषों का प्रतिक्रमण करें, वह अलग है। जो दोष होते हैं, उसके प्रतिक्रमण तो रोज़ाना करने चाहिए।
अनंत अवतार से लोगों के साथ राग-द्वेष के जो हिसाब हुए होते हैं, वे सारे ऋणानुबंध इन नौ कलमों को बोलने से छूट जाएँगे। यह प्रतिक्रमण है, बहुत बड़ा प्रतिक्रमण है। इन नौ कलमों में सारे संसार(जगत्) का प्रतिक्रमण आ जाता है। इन्हें अच्छी तरह करना। हम आपको दिखा देते हैं, फिर हम तो हमारे देश (मोक्ष) में चले जाएँगे न!
Q. यदि कोई गलत है फिर भी उसके अहंकार को मैं चोट क्यों नहीं पहुँचाऊँ?
A. प्रश्नकर्ता : काम-धंधे में सामनेवाले का अहम् नहीं दुभे ऐसा हमेशा नहीं रह पाता, किसी न किसी के अहम् को तो ठेस लग ही जाती है। दादाश्री : उसे ‘अहम् दुभाना’...Read More
Q. वाणी को कैसे सुधारे? दुःखदाई शब्द बोलने से कैसे बचें?
A. दादाश्री : कठोर भाषा नहीं बोलनी चाहिए। किसी के साथ कठोर भाषा निकल गई और उसे बुरा लगा तो हमें उसको रूबरू कहना चाहिए कि 'भैया, मुझ से भूल हो गई, मा़फी माँगता...Read More
Q. भोजन के प्रलोभन और लुब्धता में से छूटने के लिए क्या करें? आध्यात्मिक रूप से संतुलित भोजन क्या है?
A. दादाश्री : भोजन लेते समय आपको अमुक सब्ज़ी, जैसे कि टमाटर की ही रुचि हो, जिसकी आपको फिर से याद आती रहे, तो वह लुब्धता कहलाती है। टमाटर खाने में हर्ज नहीं है...Read More
Q. अभाव और तिरस्कार करने से कैसे बचें?
A. प्रश्नकर्ता : ४. हे दादा भगवान ! मुझे, किसी भी देहधारी जीवात्मा के प्रति किंचित्मात्र भी अभाव, तिरस्कार कभी भी न किया जाए, न करवाया जाए या कर्ता के प्रति...Read More
Q. विषय विकार में से कैसे मुक्त हों?
A. ६. ‘हे दादा भगवान ! मुझे, किसी भी देहधारी जीवात्मा के प्रति स्त्री, पुरुष या नपुंसक, कोई भी लिंगधारी हो, तो उसके संबंध में किंचित्मात्र भी विषय-विकार...Read More
Q. किसी भी धर्म के प्रमाण को क्यों नहीं दुभाना चाहिए?
A. प्रश्नकर्ता: २. हे दादा भगवान ! मुझे, किसी भी धर्म का किंचित्मात्र भी प्रमाण न दुभे, न दुभाया जाए या दुभाने के प्रति अनुमोदना न की जाए, ऐसी परम शक्ति...Read More
Q. किसी को आत्मज्ञान के रास्ते पर किस तरह लाएँ?
A. दादाश्री: आपका शब्द ऐसा निकले कि सामनेवाले का काम हो जाए। प्रश्नकर्ता: आप पौद्गलिक या ‘रीयल’ (आत्म) के कल्याण की बात करते हैं? दादाश्री: पुद्गल नहीं,...Read More
Q. अपने अध्यात्मिक विकास को किस तरह बढ़ाएँ?
A. ऐसा है न, इस काल के हिसाब से लोगों में इतनी शक्ति नहीं है। जितनी शक्ति है उतना ही दिया है। इतनी भावना करेंगे उनका अगले जन्म में मनुष्यत्व नहीं जाएगा, इसकी...Read More
Q. सभी धर्मो का सार : नौ कलमें
A. एक भाई से मैंने कहा कि, ‘इन नौ कलमों में सब समा गया है। इसमें कुछ भी बाकी नहीं रखा है। आप ये नौ कलमें रोज़ पढ़ना।’ फिर उसने कहा, ‘लेकिन यह नहीं हो पाएगा।’...Read More
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