प्रश्नकर्ता: ये जो नौ कलमें दी हैं वह विचार, वाणी और वर्तन की शुद्धता के लिए ही दी हैं न?
दादाश्री: नहीं, नहीं। अक्रम मार्ग में इसकी ज़रूरत ही नहीं है। ये नौ कलमें तो आपके अनंत अवतार के सबके साथ जो भी हिसाब बँधे हुए हैं, उन हिसाबों में से मुक्त होने के लिए दी हैं। आपके बहीखाते साफ करने के लिए दी हैं।
इसलिए ये नौ कलमें बोलने से (लोगों से बँधे) तार छूट जाएँगे। लोगों के साथ जो तार जुड़े हुए हैं, उस ऋणानुबंध से मोक्ष अटका है। इसलिए इन ऋणानुबंधनों से छूटने के लिए ये नौ कलमें हैं।
इन्हें बोलने से आपके आज तक के जो दोष हुए हैं न, वे सारे ढीले हो जाएँगे। और फिर इसका परिणाम तो आएगा ही। सारे दोष जली हुई रस्सी के समान हो जाते हैं, फिर यों हाथ लगाते ही ढेर हो जाएँगे।
प्रश्नकर्ता: दोषों के प्रतिक्रमण करने के लिए हम नौ कलमें प्रतिदिन बोला करें तो उसमें से शक्ति मिलेगी क्या?
दादाश्री: आप नौ कलमें बोलें, वह अलग है और इन दोषों का प्रतिक्रमण करें, वह अलग है। जो दोष होते हैं, उसके प्रतिक्रमण तो रोज़ाना करने चाहिए।
अनंत अवतार से लोगों के साथ राग-द्वेष के जो हिसाब हुए होते हैं, वे सारे ऋणानुबंध इन नौ कलमों को बोलने से छूट जाएँगे। यह प्रतिक्रमण है, बहुत बड़ा प्रतिक्रमण है। इन नौ कलमों में सारे संसार(जगत्) का प्रतिक्रमण आ जाता है। इन्हें अच्छी तरह करना। हम आपको दिखा देते हैं, फिर हम तो हमारे देश (मोक्ष) में चले जाएँगे न!
"अभिप्राय बदलने से कॉज़िज बदलते हैं।" यह कलम बोलें तो फिर जिम्मेवारी ही नहीं रहती।
प्रश्नकर्ता: और यह सच्चे दिल से बोलना चाहिए।
दादाश्री: वह तो सच्चे दिल से ही सब करना चाहिए। और जो मनुष्य करता है न, वह खोटे दिल से नहीं करता, सच्चे दिल से ही करता है। लेकिन इसमें खुद का अभिप्राय अलग हो गया। यह एक तरह का बहुत-बड़ा विज्ञान है, समझने जैसा।इसके अनुसार कुछ करना नहीं है, आपको तो ये नौ कलमें बोलना ही है। शक्ति ही माँगना कि ‘दादा भगवान, मुझे शक्ति दो। मुझे यह शक्ति चाहिए।’ इससे आपको शक्ति प्राप्त होगी और ज़िम्मेदारी नहीं रहेगी।
1. प्लस-माइनस करना पड़ता है, अकेले गुणा ही करते हो तो कहाँ पहुँचे? इसलिए हमें भाग करना होगा। ज़ोड-बाकी नेचर के अधीन है, जबकि गुणा-भाग मनुष्य के हाथ में है। इस अहंकार द्वारा सात से गुणा किया हो तो सात से भाग देना तब नि:शेष होगा।
2. ये कलमें तो सिर्फ बोलनी ही हैं। प्रतिदिन भावना ही करनी है। यह तो बीज बोना है। बोने के बाद जब फल प्राप्त होता है, तब देख लेना। तब तक खाद डालते रहना। बाकी, इस व्यवहार में ऐसा कोई परिवर्तन लाना नहीं है, कुछ भी।
3. यह वातावरण सारा परमाणुओं से ही भरा है, इसलिए सब कुछ उसे पहुँच जाता है। एक शब्द भी किसी के बारे में गैरजिम्मेवारीवाला नहीं बोल सकते और बोलना ही है तो कुछ अच्छा बोलिए। कीर्ति बयान करना, अपकीर्ति मत बयान करना।
Book Name: भावना से सुधरे जन्मोंजन्म (Page #36)
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