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वाणी का सिद्धांत : वाणी का सच्चा स्वरूप

क्या आपने कभी सोचा है, वाणी कैसे बोली जाती है? जब आप सितार का एक तार छेड़ते हैं, तो वह कितने प्रकार की आवाज पैदा करता है? कईं। इसी प्रकार से जब आपको कोई शब्द बोलने की इच्छा होती है, वह शब्द बन जाता है और अपने आप मुँह से निकल जाता है। वह क्या है जिस ने आपकी इच्छा न होने के बावजूद आपसे ऐसा बुलवाया?

दादाश्री ने वाणी के सच्चे स्वरूप के बारे में बताया है। वाणी जड़ है, यह टेपरेकॉर्ड है। जब आप टेप चलाते हैं तो क्या उसे पहले से रेकॉर्ड नहीं करना पड़ता? उसी प्रकार से आपके पूरे जीवन में बोले जानेवाली वाणी टेप हो चुकी है और इस जन्म में बोली जा रही है। जिस तरह बटन दबाने से टेपरिकॉर्ड बोलता है, उसी प्रकार संयोगानुसार अपने आप वाणी बोली जाती है।

दादाश्री ने यह रहस्य भी बताया है कि पिछले जन्म के कर्मों को कैसे निकाल किया जाए और आंतरिक भावों एवं वाणी का क्या संबंध है। और यह भी जानिए कि झूठ बोलना रोकने का वैज्ञानिक तरीका क्या है और वाणी को प्रभावशाली कैसे बनाएँ।

वाणी के पीछे के मूलभूत सूक्ष्म सिद्धांतों को समझने के लिए पढ़ें.....

Science of Speech

Pujya Niruma describes the qualities required for powerful and persuasive speech, explaining that the quality of ego behind one's speech is of utmost importance.

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Top Questions & Answers

  1. Q. चोट पहुँचानेवाले शब्दों का क्या असर होता है?

    A. ये जो तार बजते हैं न, वह एक ही तार हिलाएँ तो कितनी आवाज़ होती है अंदर? प्रश्नकर्ता : बहुत बजते... Read More

  2. Q. नकारात्मक भावों को कैसे रोकें?

    A. मन-वचन-काया के तमाम लेपायमान भाव, वे क्या होते हैं? वे चेतनभाव नहीं हैं। वे सारे प्राकृतिक भाव, जड़... Read More

  3. Q. वाणी का सच्चा स्वरूप क्या है?

    A. वाणी जड़ है, रिकॉर्ड ही है। यह टेपरिकॉर्ड बजता है, उसके पहले टेप में उतरता है या नहीं? उसी प्रकार... Read More

  4. Q. वाणी और आंतरिक भावों के बीच क्या संबंध है?

    A. घर में पत्नी को डाँटे तो वह समझता है कि किसीने सुना ही नहीं न! यह तो ऐसी ही है न! छोटे बच्चे हों,... Read More

  5. Q. पिछले जन्मों के कर्मों का निकाल कैसे किया जाएँ?

    A. हम क्या कहना चाहते हैं? कि जो कुछ आता है वह आपका हिसाब है। उसे चुक जाने दो और फिर नए सिरे से ऱकम... Read More

  6. Q. लोग झूठ क्यों बोलते हैं?

    A. प्रश्नकर्ता : मनुष्य बिना कारण झूठ बोलने के लिए प्रेरित होता है। उसके पीछे कौन-सा कारण काम करता... Read More

  7. Q. क्या झूठ बोलने से नये कर्म बँधते हैं? झूठ बोलना कैसे रोका जाए?

    A. प्रश्नकर्ता : हम झूठ बोले हों, वह भी कर्म ही बांधा कहा जाएगा न? दादाश्री : बेशक! पर झूठ बोले हों... Read More

  8. Q. सत्य किसे कहते हैं? उच्चतम प्रकार का सत्य क्या है?

    A. प्रश्नकर्ता : मस्का लगाना, वह सत्य है? झूठी हाँ में हाँ मिलाना वह? दादाश्री : वह सत्य नहीं कहलाता।... Read More

  9. Q. प्रभावशाली वाणी कैसे प्राप्त की जा सकती है?

    A. प्रश्नकर्ता : वचनबल किस तरह से उत्पन्न होता है? दादाश्री : एक भी शब्द मज़ाक के लिए उपयोग नहीं किया... Read More

  10. Q. वाणी को कैसे सुधारें?

    A. प्रश्नकर्ता : इस भव की समझ किस प्रकार से वाणी सुधारने में हेल्प करती है। वह उदाहरण देकर ज़रा... Read More

Spiritual Quotes

  1. किसी को ‘गलत’ कहना खुद के ही आत्मा पर धूल डालने के समान है।
  2. हमारे कारण सामनेवाले को परेशानी हो, ऐसा बोलना सब से बड़ा गुनाह है। किसी ने ऐसा उल्टा कहा हो तो उसे दबा देना चाहिए, वही इंसान कहलाता है!
  3. खुद की बात का रक्षण करना वही सब से बड़ी हिंसा है। खुद की ही बात सही है, ऐसा ज़ोर देकर सामनेवाले पर थोपना, वही हिंसा है।
  4. सत्य किसे कहा जाता है? किसी जीव को वाणी से दुःख नहीं हो, वर्तन से दुःख नहीं हो और मन से भी उसके लिए खराब विचार नहीं किया जाए। वह सबसे बड़ा सत्य है।
  5. बिना पूछे सलाह देने बैठ जाओ और उसे भगवान ने अहंकार कहा है।
  6. किसी की ज़रा सी भी निंदा करने गए तो वह ‘केवलज्ञान’ में बाधक है। अरे! आत्मज्ञान में भी बाधक है। समकित में भी बाधक है।
  7. जितना प्रेममय डीलिंग (व्यवहार) होगा, उतनी ही वाणी इस टेपरिकॉर्ड में पुसाए ऐसी है, उसका यश अच्छा मिलेगा।
  8. परमार्थ मतलब आत्मा हेतु जो कुछ भी किया जाए।
  9. खुद की ‘सेफसाइड’ (सलामती) के लिए झूठ बोलो तो वचनबल कैसे रहेगा?
  10. वचनबल कैसे प्राप्त होता है? एक भी शब्द का उपयोग मज़ाक के लिए नहीं किया हो, एक भी शब्द का उपयोग झूठे स्वार्थ या किसी से कुछ ऐंठने के लिए नहीं हुआ हो, वाणी का दुरुपयोग नहीं किया हो, खुद का मान बढ़ाने के हेतु से वाणी का उपयोग नहीं किया हो, तब वचनबल सिद्ध होता है!
  11. किसी पर जो वाणी उँडेलते हो, वह सारी अंत में आप पर ही आती है। इसलिए ऐसी शुद्ध वाणी बोलो कि शुद्ध वाणी ही आप पर आए।
  12. स्याद्‌वाद वाणी क्या कहती है? आप ऐसा बोलो कि पाँच लोगों को लाभ मिले और किसी को भी परेशानी न हो।
  13. मन बिगड़ा हुआ न हो, वाणी बिगड़ी हुई न हो, वर्तन बिगड़ा हुआ न हो, वह है परम विनय।
  14. जहाँ पर पक्षपात है वहाँ पर हिंसा है, वह हिंसक वाणी है। जहाँ पर निष्पक्षपाती वाणी है, वहाँ पर अहिंसक वाणी है।
  15. साहजिक वाणी वह है जिसमें किंचित्मात्र भी अहंकार न हो।
  16. कोई व्यक्ति अगर उलटी वाणी बोल रहा हो तो आप अपनी वाणी मत बिगाड़ना।
  17. वाणी बोलने में हज़र् नहीं है लेकिन उसका ऐसा रक्षण नहीं होना चाहिए कि हम सच्चे हैं।
  18. इस जगत् में कोई भी शब्द व्यर्थ नहीं बोला जा रहा है।
  19. इस दुनिया में कड़वा कहनेवाला कोई नहीं मिलता। मिठास से ही सारे रोग रुके हुए हैं। उस कड़वाहट से रोग जाएँगे, मिठास से रोग बढ़ेंगे। हमारा जीवन ऐसा होना चाहिए कि कड़वा वचन सुनने का समय ही नहीं आए। फिर भी यदि कड़वा वचन सुनना पड़े तो सुन लेना। वह तो हमेशा हितकर ही है।
  20. जब मौन हो जाओगे तब ऐसा माना जाएगा कि जगत् को समझ गए।
  21. इस दुनिया में मौन जैसी सख्ती अन्य कोई नहीं है। वाणी की सख्ती तो व्यर्थ जाती है।
  22. ये ‘बोल’(वाणी) ऐसी चीज़ है कि वह अगर संभल गया तो उसमें सारे महाव्रत आ जाएँ!
  23. प्रत्येक शब्द बोलना जोखिम भरा है। इसलिए यदि बोलना नहीं आए तो मौन रहना अच्छा। धर्म के लिए बोलो तो धर्म का जोखिम और व्यवहार में बोलो तो व्यवहार का जोखिम। व्यवहार का जोखिम तो खत्म हो जाए, लेकिन धर्म का जोखिम बहुत भारी है। उससे धर्म में बहुत भारी अंतराय पड़ते हैं।
  24. अगर ये शब्द नहीं होते तो मोक्ष तो सहज ही है। इस काल में वाणी से ही बंधन है इसलिए किसी के लिए एक अक्षर भी नहीं बोलना चाहिए।
  25. इस वातावरण में सिर्फ परमाणु ही भरे हुए हैं। इसीलिए तो हम कहते हैं कि किसी की निंदा मत करना। एक शब्द भी गैर ज़िम्मेदारीवाला मत बोलना। और यदि बोलना है तो अच्छा बोल।

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