अक्रम विज्ञान, एक ऐसा आध्यात्मिक विज्ञान है जो व्यवहार में उपयोगी है और मोक्ष प्राप्ति के लिए एक ‘शार्टकट’ रास्ता है।
अधिक पढ़ें“यदि खुद के स्वरूप को पहचान लिया तो फिर वह, खुद ही परमात्मा है |”
~ परम पूज्य दादा भगवान
दादा भगवान फाउन्डेशन प्रचार करता हैं, अक्रम विज्ञान के आध्यात्मिक विज्ञान का – आत्मसाक्षात्कार के विज्ञान का। जो परम पूज्य दादा भगवान द्वारा बताया गया है।
अधिक पढ़ेंअहमदाबाद से २० की.मी. की दूरी पर सीमंधर सिटी, एक आध्यात्मिक प्रगति की जगह है| जो "एक स्वच्छ, हरा और पवित्र शहर" जाना जाता है|
अधिक पढ़ेंअक्रम विज्ञानी, परम पूज्य दादा भगवान, द्वारा प्रेरित एक अनोखा निष्पक्षपाति त्रिमंदिर।
मन-वचन-काया के तमाम लेपायमान भाव, वे क्या होते हैं? वे चेतनभाव नहीं हैं। वे सारे प्राकृतिक भाव, जड़ के भाव हैं। लेपायमान भाव मतलब हमें लेपित नहीं होना हो तो भी वह लेपायमान कर देते हैं। इसलिए हम कहते हैं न कि, 'मन-वचन-काया के तमाम लेपायमान भावों से मैं सर्वथा निर्लेप ही हूँ।' उन लेपायमान भावों ने पूरे जगत् को लेपायमान किया है और वे लेपायमान भाव वे सिर्फ प्रतिघोष ही हैं। और वे निर्जीव हैं वापिस। इसलिए आपको उनका सुनना नहीं चाहिए।
पर वे यों ही चले जाएँ, वैसे भी नहीं हैं। वे शोर मचाते ही रहेंगे। तो उपाय क्या करोगे? हमें क्या करना पड़ेगा? उन अध्यवसन को बंद करने के लिए? 'वे तो मेरे उपकारी हैं' ऐसा-वैसा बोलना पड़ेगा। अब आप ऐसा बोलोगे तब वे उल्टे भाव सारे बंद हो जाएँगे, कि यह तो नई ही तरह का 'उपकारी' कहता है वापिस। इसलिए फिर शांत हो जाएँगे!
Q. चोट पहुँचानेवाले शब्दों का क्या असर होता है?
A. ये जो तार बजते हैं न, वह एक ही तार हिलाएँ तो कितनी आवाज़ होती है अंदर? प्रश्नकर्ता : बहुत बजते हैं। दादाश्री : एक ही हिलाओ तो भी? वैसे ही यह एक ही शब्द...Read More
Q. वाणी का सच्चा स्वरूप क्या है?
A. वाणी जड़ है, रिकॉर्ड ही है। यह टेपरिकॉर्ड बजता है, उसके पहले टेप में उतरता है या नहीं? उसी प्रकार इस वाणी की भी पूरी टेप उतर चुकी है। और उसे संयोग मिलते...Read More
Q. वाणी और आंतरिक भावों के बीच क्या संबंध है?
A. घर में पत्नी को डाँटे तो वह समझता है कि किसीने सुना ही नहीं न! यह तो ऐसी ही है न! छोटे बच्चे हों, तब उनकी उपस्थिति में पति-पत्नी चाहे जैसा बोलते हैं। वे...Read More
Q. पिछले जन्मों के कर्मों का निकाल कैसे किया जाएँ?
A. हम क्या कहना चाहते हैं? कि जो कुछ आता है वह आपका हिसाब है। उसे चुक जाने दो और फिर नए सिरे से ऱकम उधार मत देना। प्रश्नकर्ता : नई ऱकम उधार देना किसे कहते...Read More
A. प्रश्नकर्ता : मनुष्य बिना कारण झूठ बोलने के लिए प्रेरित होता है। उसके पीछे कौन-सा कारण काम करता होगा? दादाश्री : क्रोध-मान-माया-लोभ के कारण करते हैं वे।...Read More
Q. क्या झूठ बोलने से नये कर्म बँधते हैं? झूठ बोलना कैसे रोका जाए?
A. प्रश्नकर्ता : हम झूठ बोले हों, वह भी कर्म ही बांधा कहा जाएगा न? दादाश्री : बेशक! पर झूठ बोले हों न, उससे तो झूठ बोलने के भाव करते हो, वह उससे भी बढ़कर...Read More
Q. सत्य किसे कहते हैं? उच्चतम प्रकार का सत्य क्या है?
A. प्रश्नकर्ता : मस्का लगाना, वह सत्य है? झूठी हाँ में हाँ मिलाना वह? दादाश्री : वह सत्य नहीं कहलाता। मस्का लगाने जैसी वस्तु ही नहीं है। यह तो खुद की खोज है,...Read More
Q. प्रभावशाली वाणी कैसे प्राप्त की जा सकती है?
A. प्रश्नकर्ता : वचनबल किस तरह से उत्पन्न होता है? दादाश्री : एक भी शब्द मज़ाक के लिए उपयोग नहीं किया हो, एक भी शब्द झूठे स्वार्थ या छीन लेने के लिए उपयोग...Read More
A. प्रश्नकर्ता : इस भव की समझ किस प्रकार से वाणी सुधारने में हेल्प करती है। वह उदाहरण देकर ज़रा समझाइए। दादाश्री : अभी तुझे एक गाली दे तो भीतर असर हो जाता है।...Read More
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