Non-Violence
The simplest way of achieving peace and happiness in life is to heartily pray god every day, 'I don't want to hurt anybody in this world, by my mind, speech or action.'
"अहिंसा परमो धर्म"
सच्चे धर्म का थर्मामीटर क्या है? धर्म अहिंसा की तरफ़ कितना आगे बढ़ा है वह। किसी भी जीव को मारने से लेकर थोड़ा भी दुःख देना सभी हिंसा ही हैं। हमारे मन, वाणी या वर्तन से किसी भी जीव को किंचित्मात्र दुःख न हो यही सच्ची अहिंसा है।
चींटी, मच्छर, कॉकरोच जैसे छोटे जीवों से लेकर साँप, छिपकली जैसे बड़े जीवों को मारना, पशुओं का शिकार करना, जानवरों की बलि चढ़ाना, मांसाहार या अंडों के लिए पशु-पक्षियों की हत्या करना, खेती-बाड़ी में जीवजंतुओं का नाश करना ये सब स्थूल हिंसा है। उसमें भी मनुष्य की हत्या और गर्भपात ये तो बहुत बड़ी हिंसा है। जबकि क्रोध, मान, माया और लोभ जैसे कषायों से प्रेरित होकर किसी भी जीव को मानसिक दुःख देना वह सूक्ष्म हिंसा है, जो वास्तव में सबसे बड़ी हिंसा है। स्थूल हिंसा को समझ कर अहिंसा का पालन करने वाले बहुत हैं, लेकिन सूक्ष्म हिंसा को समझना कठिन है।
संपूर्ण जगत एकेन्द्रिय से लेकर पंचेन्द्रिय जीवों का समुद्र है। श्वास लेने में, चलने-फिरने में और रोज़मर्रा के कार्यों में जलकाय, वायुकाय और तेउकाय जैसे एकेन्द्रिय जीवों की हिंसा होती है। तो इस हिंसा के समुद्र में संपूर्ण रूप से अहिंसक की तरह कैसे व्यवहार करें? जैसे जैसे, अहिंसा यानी क्या? अहिंसा के लाभ क्या हैं? हिंसा किन - किन तरीकों से होती है? हिंसा के जोखिम क्या हैं? सच्ची अहिंसा का पालन कैसे करे ? आदि समझ में आए तो अहिंसा का पालन करना आसान हो जाता है। अंततः जब खुद को आत्मस्वरूप का भान होता है और खुद आत्मस्वरूप में स्थिर होता है, तभी संपूर्ण अहिंसक बन पाते हैं।
परम पूज्य दादा भगवान, जो खुद हिंसा से ऊपर उठकर संपूर्ण अहिंसक पद में बैठे हैं, वे हमें हिंसा का यथार्थ स्वरूप समझाते हैं। उनके माध्यम से हमें स्थूल अहिंसा से लेकर सूक्ष्म अहिंसा का पालन कैसे संभव हो सकता है इसकी समझ यहाँ प्राप्त होती है।


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