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अगर मुझे नौकरी नहीं मिली, तो मे क्या करूँगा? मैं इसके लिए चिंतित हूँ |

"मुझे नौकरी नहीं मिल रही है", "मैं अपने कैरियर, जीवन और भविष्य के बारे में चिंतित हूं",“ क्या मुझे नौकरी मिलेगी ","अब मैं क्या करूँ?'' - क्या यह वर्तमान में आपकी बड़ी समस्या है? ऐसा लगता है की इन सभी चिंताओं के भंवर ने या तो आपको काम से दूर किया है या नौकरी न मिलने का कारण बनकर आपको कुछ समय से परेशान कर दिया है । चिंता न करें, सही समझ और सही ज्ञान के साथ, आप निश्चित रूप से अपना रास्ता बना सकते हैं । 

पहले चिंता करना बंद करो!

जब चिंता शुरू हो जाए, तो यह जान ले, कि काम खराब होने वाला हैं । चिंताएं किसी भी कार्य के लिए एक बाधा हैं । इसके बजाय अपनी वर्तमान स्थिति को सुधारने के लिए तत्परता से कुछ करें ।

यहां एक सूची दी गई है जिसका उपयोग आप तब कर सकते है जब आपको नौकरी न मिलने के विचार आने लगे:

  • यह समझ रखनी है की, जिसमें उतार चढ़ाव आते है, उसे ही जीवन कहते है । जो कुछ भी होने वाला है, वह होकर ही रहेगा । इसलिए हमेशा वर्तमान क्षण में रहना चुनें!
  • भगवान को याद करें, जीवन में आगे बढ़ने के लिए सकारात्मक संजोगो के लिए आंतरिक रूप से प्रार्थना करें । और नौकरी ढूंढने का हर संभव प्रयास करें ।
  • निर्णय लें, “आज मेरे लिया इतना घर लाना जरुरी है ।” और उस पर ध्यान केंद्रित करे । इस चरण में आपको अपनी नौकरी के प्रकार के बारे में ज्यादा नहीं सोचना है । यहां तक ​​कि अगर आपको एक छोटी या कम कुशलता और प्रतिष्ठावाली नौकरी मिल जाती है तो उसे स्वीकार करें और बेहतर काम मिलने तक उसे करते रहे । कम से कम आपके पास कुछ पैसे आ जाएंगे, जिससे आपके जीवन का निर्वाह फिर से चलने लगेगा ।
  • इसके साथ ही, अपनी पसंद की नौकरी के लिए, सक्रिय होकर प्रयास करें । अपने दोस्तों, परिवारजनों और परिचितों को बताएँ कि आप एक उचित नौकरी की तलाश कर रहे हैं ।
  • अपने परिवार के साथ बैठें, उन्हें व्यक्त करें, कि मुझे नौकरी नहीं मिल रही है, और अपनी वर्तमान स्थिति उन्हें समजाए । उन्हें बताएँ कि, इस कठिन समय को पार करने के लिए आपको उनकी मदद और समर्थन की आवश्यकता होगी । खर्च में कटौती और बचत के लिए एक साथ काम करें । जब तक की सब सामान्य न हो जाय । एक बजट बनाएं और उस पर टिके रहें । आवश्यक चीजों का ही समावेश करे । लेकिन खाने की चीजों में कटोती न करे । अपनी संपत्ति साधन से सिमित होकर जिए और चिंता नहीं करे ।
  • धन के संबंध में प्रकृति का नियम है, ‘धन का वास उस घर में होता है जहाँ आपस में शांती, संतोष है और जो भगवान की भक्ति करते है ।' धन की प्राप्ति हमारे पुण्य कर्मो के आधार से है । इसलिए धैर्य रखें, लोगों की मदद करने की कोशिश करें और किसी भी व्यक्ति के बारे में नकारात्मक बातों का चिंतन न करें, चाहे आपकी परिस्थितियां कैसी भी हों ।
  • सुनिश्चित करें, कि आप अपनी मौजूदा परिस्थिति से बाहर आने के लिए जो भी प्रयास करते हैं, उसमें कपट या छल बिल्कुल नहीं हो । गलत तरीके से धन कमाने की कोशिश न करें ।
  • आपकी वर्तमान स्थिति उन कर्म खातों का परिणाम है, जो आपने भूतकाल में किए थे । कुछ समय निकाले और आपके द्वारा किए गए गलत कामों के लिए ईमानदारी से माफी मांगें । उन्हें फिर से कभी न दोहराने का संकल्प लें ।
  • भगवान पर भरोसा रखो । जिस व्यक्ति में ईश्वर के प्रति आस्था नहीं होती है उसे ही चिंता होती है । भगवान कहते हैं, ‘चिंता मत करो । सब कुछ मुझ पर छोड़ दो ' । इसलिए जो ईश्वर में विश्वास करता है वह चिंता नहीं करता है । क्योंकि यदि वह वास्तव में विश्वास करता है, तो वह सब कुछ भगवान पर छोड़ देगा और अच्छी तरह से सो जायेगा ।
  • जब आपके पास नौकरी नहीं है और आप अध्यात्मिक है, तो उसमे समय बिताइये । जब यह आपके केरियर के मंदी का दौर है, तो पूरी तरह आध्यात्मिक गतिविधियों से जुड जाइए । इससे जल्दी ही अंतराय कर्म खत्म होकर अनुकूल परिस्थितियां आएंगी । “मुझे नौकरी नहीं मिल रही है”, जल्द ही “मुझे एक नौकरी मिल गई”, में बदल जाएगा ।

जब रात का समय रहता है, तो क्या आपके चिंता करने से सुबह जल्दी होगी या फिर शांति से सोते हुए रात के समय को बिता देने पर सुबह जल्दी होगी?  हम उत्तर जानते हैं, पर हम कुछ कर नहीं पाते और सिर्फ चिंता करते है, है ना?

तो यहाँ कुछ आध्यात्मिक समझ है, जिसे जब सही तरह से समझा जाता है, तो हमें अपनी सभी तनाव और चिंताओं से छुटकारा दिलाता है । आइए हम विस्तार से उसका अध्ययन करें ...

आप चिंता करते हैं क्योंकि आपको लगता है, "मैं यह सब कर रहा हूं"

हम मानते हैं कि "वो मैं ही हूँ जिसके कारण सभी कार्य हुए है ।" और इसलिए हमें चिंताएं हैं, जैसे, "अगर मुझे नौकरी नहीं मिलेगी, तो मैं क्या करुंगा? "मैं अपने जीवनयापन के लिए वेतन कहाँ से लाऊंगा?” “मैं अपने परिवार का निर्वाहन कैसे करुंगा?” “ मैं नौकरी पाने के लिए कहां जाऊँ? "

जब हम सोचते हैं कि, ‘अपने जीवन में सब कार्यो का कर्ता मैं ही हूँ । मुझे नौकरी के लिए किसी को पटाना है (खुश करना है), मुझे नौकरी करना है, मुझे अपने जीवनयापन के लिए वेतन करना होगा  ।’, इसे कर्तापन का अहंकार कहा जाता है । और ‘कर्तापने’ के इस अहंकार के कारण चिंताएँ उत्पन्न होती हैं । '

इस बारे में सोचें, “क्या वास्तव में कुछ हमारे नियंत्रण में है?  ’यदि है, तो सबसे पहले हम एक सुरक्षित नौकरी करते । वास्तव में, हम कर्ता नहीं हैं, और यह अनुभव हम बहुत बार कर चुके हैं फिर भी आँख बंद करके खुद को मालिक या कर्ता मान के बाद  हम सबकुछ अपने ऊपर ले लेते हैं और अंतहीन चिंताओं के साथ समाप्त हो जाते हैं । हम चिंता करते हैं क्योंकि हमारे दिमाग में हम अभी भी खुद को कर्ता मानते है । इस कर्तापन कि भावना के परिणाम से दु:ख और चिंता होती हैं ।

क्या आप भोजन करने के बाद ज़रा भी चिंता करते हैं? नहीं ।

क्यों नहीं? क्या आपको पाचन रस या एंजाइम बनाने की, नया खून बनाने और बाकि रहे सहे कचरे को बहार निकालने की चिंता नहीं करनी चाहिए ? आपके भीतर इतना कुछ चल रहा है जिसे देखभाल की आवश्यकता है । शरीर के भीतर चलने वाले काम की तुलना में बाहर के सभी काम बहुत मामूली हैं । फिर भी आप इसके लिए चिंतित नहीं होते हैं । वह सत्ता जो सब अंदर संभाल रही है, वही बाहर का भी संभालती है ।

वास्तविक कर्ता कुदरत है । कुदरत दुनिया का नियामक है और यह लगातार दुनिया को नियम में रखती है । यह छोटे से पौधे, जहाँ कहिं भी बढ़े, उसे पानी पहुचाती है । कुदरत अपने नियमों में यथार्थ है । तो, क्या वह आपकी देखभाल नहीं करेगी? तो क्यों सोचते रहते हैं कि मुझे नौकरी नहीं मिल रही है? क्यों नहीं सोचते कि मिल जाएगी?

कुदरत हमें बताती है कठिन कार्य के लिए जबरदस्त प्रयास करना, लेकिन चिंता मत करना । इसलिय अगर कोई आपको बताता है वहाँ नोकरी मिल रही है, तभी आपको अपने सारे प्रयास इस नोकरी को अपने लिए सुरक्षित करने में लगाने चाहिए । लेकिन चिंता नहीं करनी है ।  

चिंताओं का परिणाम क्या होता है? 

चिंताएं हमेशा काम को खराब करती हैं । इन्टरव्यू पर जाते समय, यदि आप चिंता करते हैं, तो आप गलत करने के लिए बाध्य हैं । चिंताएं इस दुनिया की हर चीज को बर्बाद करने का कारण रही हैं । चिंता करने से काम की गुणवत्ता कम हो जाती है यह प्रकृति का नियम है । अगर चिंता नहीं है,  तो परिणाम अद्भुत होंगे ।

चिंता हमें लगातार जलाती है । शांति और नींद को छीन लेती हे । बीमारी और डिप्रेशन को आमंत्रित करती है । यह जीने के लिए हमारा उत्साह छीन लेता है। वे बाधा के अवगुण कर्मों को भी बांधते हैं, जिसके परिणामस्वरूप हम जो कुछ भी करने का इरादा रखते हैं उसमें अवरोधों का सामना करते हैं। ऐसे कर्म भावी जीवन में भी हमारी इच्छापूर्ति में बाधक होते हैं, चिंताएं हमारे वर्तमान ही नहीं पर भावी जीवन को भी बर्बाद करती हैं।

जब कुछ महीनों से नोकरी न मिल रही हो, तो ऐसे परिस्थितियों में भी चिंता मुक्त कैसे रहे?

सच्चे ज्ञान की कमी चिंता पैदा करती है । कर्तापना खत्म होने से चिंता करना बंद होता है । आत्मज्ञान से कर्तापना छुटेगा । आत्मज्ञान हमे आत्मज्ञानी की कृपा से प्राप्त हो सकता है ।

माना कि आप बुरे और कठिन दौर से गुजर रहे हैं । लेकिन यह समय गुज़र जाएगा और आप एक अच्छी नौकरी पा सकेंगे । तब तक, अपना कुछ समय अधिक वास्तविक और सार्थक रिश्तों को खोजने में लगाएं, जो आपको जीवन में सहारा दे सकें । यानी ईश्वर के साथ सबंध को (भजन,कीर्तन), ज्ञानी के साथ संबंध, सच्चा ज्ञान प्राप्त करे । ऐसा करने से आपके जीवन में अंधकार कि जगह दिव्य प्रकाश भर जाएगा!

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