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सुखी वैवाहिक जीवन

लोग शादी क्यों करते हैं? क्योंकि उन्हें ऐसे जीवनसाथी की तलाश होती है जो उनका जीवन प्यार और खुशियों से भर सके।

हाँलाकि सुखी वैवाहिक जीवन जीने के लिए, आपके जीवनसाथी, जैसे हैं वैसे स्वीकार करना आवश्यक है। सभी की मान्यताएँ, विचारधारा, अभिप्राय, दृष्टिकोण अलग ही होते हैं। इसलिए यह स्वाभाविक है कि दो इंसान एक जैसा नहीं सोचेंगे। अतः हम कह सकते हैं कि विवाह दो अलग-अलग मान्यताओं और विचारधाराओं का मिलन है। मानसिकता भिन्न होने के कारण पति-पत्नी जीवन के अलग-अलग मामलों में एकमत नहीं होते। इसी मतभेद के कारण वैवाहिक जीवन में कलह होता है, जो दुःखी वैवाहिक जीवन में बदल जाता है।

क्या ऐसे मतभेदों के बावजूद सुखी वैवाहिक जीवन मुमकिन है? शादी में होने वाली समस्याओं का हल लाकर तालमेल कैसे बिठाया जाए? क्या जीवनसाथी को उनकी भूलें बतानी चाहिए? या मौन ही एकमात्र हल है?

परम पूज्य दादा भगवान ने इन प्रश्नों के समाधान दिए हैं और वैवाहिक जीवन को सफल बनाने के व्यावहारिक उपाय बताए हैं, जिनसे विवाहित जीवन में किसी भी तरह के कलह का समाधान किया जा सकता है। उनके दिए गए उपायों से, उन्होंने अपनी पत्नी के साथ कभी भी मतभेद नहीं होने दिया।

उन्होंने वही सफल वैवाहिक जीवन की चाबियाँ और सरल उपाय बताए हैं, जिनसे वैवाहिक मतभेदों और तलाक को टालकर शादी को निभाया जा सकता है। उन्होंने शादीशुदा लोग भी शाश्वत सुख और आनंद का अनुभव कर सकें, इसके लिए अक्रम विज्ञान का मार्ग प्रकट किया है।

सुखी वैवाहिक जीवन जीने का तरीका गहराई से जानने के लिए आगे पढ़ें...

क्या सुखी विवाहित जीवन मुमकिन है?

क्या सुखी विवाहित जीवन मुमकिन है? आइए जानते हैं कि विवाहित जीवन में झगड़े के बारे में जोड़ों का क्या कहना है और वे अपने जीवनसाथी के साथ झगड़े कैसे सुलझाते हैं।

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Top Questions & Answers

  1. Q. वैवाहिक जीवन को कैसे सुखी बनाएँ?

    A. परम पूज्य दादाश्री और उनकी धर्मपत्नी हीराबा का वैवाहिक जीवन संपूर्ण शांतिमय, परस्पर आदर और विनयवाला... Read More

  2. Q. विवाहित जीवन की समस्याओं के कारण क्या हैं?

    A. जब आपकी शादी होती हा तब आप अपने मन में एक आदर्श विवाहित जीवन का चित्रण करते हो, ‘मेरा विवाहित जीवन... Read More

  3. Q. विवाहित जीवन की समस्याओं का किस तरह समाधान लाएँ?

    A. लोगों में अपने साथी के साथ होने वाली समस्याओं का समाधान ला सकने की क्षमता कम हो गई है। और जब टकराव... Read More

  4. Q. अपने जीवनसाथी के साथ व्यवहार करने के टीप्स (उपाय)

    A. कई बार हमारे दैनिक जीवन में, हमें व्यवसायिक क्षेत्र में, लोगों के साथ किस तरह बातचीत करनी चाहिए और... Read More

  5. Q. क्रोधित (गुस्सैल) पत्नी के साथ किस तरह व्यवहार करें?

    A. विवाहित जीवन में कभी न कभी, ऐसी स्थितियाँ आती हैं, जब आपको पत्नी के क्रोध का सामना करना पड़ता है।... Read More

  6. Q. पत्नी जब किच-किच करें तब किस तरह से व्यवहार करना चाहिए?

    A. विवाहित जीवन में पति-पत्नी के बीच होने वाली नोकझोंक को लेकर एक-दूसरे की शिकायत करना एक आम बात है।... Read More

  7. Q. वैवाहिक जीवन में आर्थिक समस्याओं को कैसे दूर करें?

    A. पति-पत्नी को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि आर्थिक समस्याओं का सामना न करना पड़े। जितनी ज़रूरत हो... Read More

  8. Q. तलाक के क्या कारण हैं?

    A. हमारे रोज़मर्रा के जीवन में मतभेद होते रहते हैं। इस तरह के मतभेद होने का मूल कारण अभिप्राय में... Read More

  9. Q. क्या मुझे तलाक लेना चाहिए?

    A. वर्तमान समय में तलाक लेने का प्रचलन बढ़ गया है। इस संदर्भ में आपको भी एक बार तो ऐसा विचार आता ही... Read More

  10. Q. क्या मुझे मेरे जीवनसाथी को उसकी गलतियाँ बतानी चाहिएँ?

    A. कई बार ऐसा होता है कि जीवनसाथी एक दुसरे की गलतियाँ बताना चाहते हैं। जब वे आपको आपकी गलतियाँ बताते... Read More

  11. Q. विवाहित जीवन में मैं क्षमा क्यों माँगूँ?

    A. कई बार अपने जीवन साथी के साथ व्यवहार करते समय हम जाने अंजाने उन्हें दुःख दे देते हैं। हमारी इच्छा... Read More

  12. Q. क्या मुझे शादी कर लेनी चाहिए या डेट पर जाना चाहिए?

    A. शादी की उम्र होते ही लोगों के मन में बहुत सारे प्रश्न उठते हैं और उलझनें होती हैं जैसे कि शादी कर... Read More

  13. Q. जीवनसाथी कैसे पसंद करें?

    A. “जीवनसाथी कैसे चुने” इस पर निर्णय करना कई लोगों के लिए यह बहुत कठिन प्रश्न है। जैसे-जैसे हम बड़े... Read More

Spiritual Quotes

  1. मैं अपना मत छोड़ दूँ, तब कोई मतभेद नहीं रहेगा।
  2. ‘स्वामित्व और स्वामिनी’ इन शब्दों में ही इतनी गाढ़ आसक्ति भरी है न, और यदि ‘कम्पेनियन’ कहें। तो आसक्ति कम हो जाती है।
  3. जहाँ बहुत प्रेम आता है वहीं अरूचि होती है, यह मनुष्य स्वभाव है।
  4. तुम किसी को दुःख दोगे तब तुम्हें सारा जीवन दुःख भुगतना होगा।
  5. स्वामी तो कैसा होना चाहिए? कभी भी स्त्री और संतानों को परेशानी नहीं होने दे, ऐसा हो। और स्त्री कैसी हो? कभी भी पति को परेशानी नहीं होने दे, उसीके विचारों में जीए।
  6. आप में क्लेश होगा न, तो बच्चों के जीवन पर असर पड़ेगा। बच्चों पर असर होता है। इसलिए क्लेश जाना चाहिए। क्लेश ंिमटे तभी घर के बच्चे भी सुधरते हैं। ये तो बच्चे भी सब बिगड़ गए हैं।
  7. अणहक्क के विषय जिन्होंने भोगे उन्हें तो भयंकर यातनाएँ भोगनी पड़ेंगी।
  8. इस काल में एक पत्नीव्रत को हम ब्रह्मचर्य कहते हैं। और तीर्थंकर भगवान के समय में जो ब्रह्मचर्य का फल मिलता था, वही फल प्राप्त होगा, उसकी हम गारन्टी देते हैं।
  9. ‘ज्ञानीपुरुष’ इस संसार जाल से निकलने का रास्ता दिखाते हैं, मोक्षमार्ग दिखाते हैं और सही राह पर ला देते हैं और हमें लगता है कि हम इस जंजाल में से मुक्त हुए!
  10. एक पत्नीव्रत का नियम ‘लिमिट’ वाला कहा जाता है। वह ऊध्र्र्वगति में ले जाता है। मोक्ष में जाने के लिए ‘लिमिट’ क्या है? ‘एक पत्नीव्रत’।
  11. ब्रह्मचर्य पालन करना इस काल के मनुष्यों के बस की बात नहीं हैं। वर्ना कोई विवाहित क्या करेगा? अत: हम कहते हैं कि इस काल में जो एक पत्नीव्रत रखेगा, उसका मोक्ष होगा। ऐसी ‘गारन्टी’ देते हैं! लेकिन हमारे पास आकर बात को समझ लेना है।
  12. एक ही बार अगर टेढ़ा पति या टेढ़ी पत्नी मिले तो कितने ही जन्म बिगाड़ दे!
  13. शादी हुई, तभी से पत्नी को सुधारने की कोशिश करता है, लेकिन मरने तक दोनों ही नहीं सुधरते। इसके बजाय तो सब्ज़ी सुधारते तो सुधर जाती। इसलिए पत्नी को सुधारना नहीं चाहिए। वह आपको सुधारे तो अच्छा है, आपको तो सुधारना ही नहीं चाहिए।
  14. पति बनने में दिक्कत नहीं है, लेकिन पतिपन करने में दिक्कत है।
  15. ‘एक मिनट’ के लिए भी झंझट न हो, उसे कहते हैं पति। जिस तरह मित्र के साथ बात बिगड़ने नहीं देते, उस तरह संभालना चाहिए। यदि मित्र के साथ बनाए नहीं रखेंगे तो मित्रता टूट जाएगी।
  16. इस तरह घर में मतभेद होंगे तो कैसे चलेगा? पत्नी कहती है कि, ‘मैं आपकी हूँ’ और पति कहता है कि, ‘मैं तेरा हूँ’, फिर मतभेद क्यों?
  17. पत्नी का पति बनना आ गया, ऐसा कब कहा जाएगा? जब पत्नी निरंतर पूज्यता का अनुभव करे!
  18. संसार में अन्य कुछ न आए, उसमें दिक्कत नहीं है। लेकिन ‘एडजस्ट’ होना तो आना ही चाहिए। यदि सामने वाला ‘डिसएडजस्ट’ होता रहे और आप ‘एडजस्ट’ होते रहोगे तो संसार के पार उतर जाओगे।
  19. मतभेद होने पर झगड़े होते हैं। मनभेद होने पर ‘डिवॉर्स’ होता। तनभेद होने पर अर्थी निकलती है।
  20. आजकल घर में ज़्यादातर झगड़े शंका की वजह से होते हैं। शंका से स्पंदन उठते हैं और उन स्पंदनों से विस्फोट होते हैं। नि:शंक होने पर लपटें अपने आप ही शांत हो जाएँगी। दोनों ही यदि शंकाशील हो जाएँ तो विस्फोट कैसे रुकेंगे? किसी एक को तो नि:शंक होना ही होगा!
  21. घर में तो व्यवहार अच्छा ही रखना चाहिए न! खुद के खेत का पौधा न कुचला जाए, उसका ध्यान रखते हैं न हम?!
  22. बीवी-बच्चे तो अपने आश्रय में आए हुए हैं। जो अपने आश्रय में आया हो, उसे दु:ख कैसे दे सकते हैं? सामने वाले की गलती हो, तब भी हमें आश्रित को दु:ख नहीं देना चाहिए।

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