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पत्नी जब किच-किच करें तब किस तरह से व्यवहार करना चाहिए?

विवाहित जीवन में पति-पत्नी के बीच होने वाली नोकझोंक को लेकर एक-दूसरे की शिकायत करना एक आम बात है। प्रायः पति की यह शिकायत रहती कि पत्नी किच-किच करती है और पत्नी शिकायत करती है कि ‘उन्हें जो काम करने चाहिए वो काम वे कभी करते ही नहीं हैं।’ हमेशा होने वाले इन झगड़ों के फल स्वरूप दुःख और पीड़ा ही होती है। इतना ही नहीं, दोनों में भेद पड़ जाता है। इसका हल सिर्फ तभी निकल सकता है जब आप पत्नी के साथ प्रेम पूर्वक रहने की कला और उसकी किच-किच का समझदारी पूर्वक हल निकालने की कला सीख लेते हैं।

पत्नी की किच-किच का हल कैसे निकाला जाए, उसकी समझ परम पूज्य दादाश्री ने अपने सत्संगों में दी है। उनके साथ किए गए सत्संगों का आंशिक अवतरण नीचे प्रस्तुत किया गया है।

आपके व्यवहार में परिवर्तन लाइए

क्या आपने कभी खुद से पूछा है कि आपकी पत्नी आपके साथ क्यों किच-किच करती है? वे आपके साथ इसलिए किच-किच करती हैं क्योंकि उन्हें आपके व्यवहार से दुःख हुआ है। उन्हें दुःख नहीं होना चाहिए। यदि उन्हें दुःख होता हो तो आपको प्रतिक्रमण करना चाहिए। आपको हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि आप उन्हें सुखी रखें। आपको आत्मनिरिक्षण करना चाहिए कि ‘मुझसे ऐसी कौन सी गलतियाँ हो जाती हैं जिनकी वजह से उसे दुःख पहुँचता है?’ जब आपको समझ में आ जाए कि आपसे कौन सी गलती हो रही है तो अपने व्यवहार में परिवर्तन लाने का निरंतर प्रयास करना चाहिए ताकि उन्हें दुःख ना हो।

पति अपने कर्तव्य का निर्वाह करे

ऑफिस में आप एक कर्मचारी की भूमिका में होते हैं तो घर में पति की भूमिका निभाते हैं। परिस्थिति के अनुसार आपको भूमिका निभाना आना चाहिए। एक कर्मचारी के रूप में, एक पति के रूप में अपने कर्तव्य का निर्वाह करना क्या सीखना नहीं पड़ेगा? क्या ऐसा होता है कि आपकी पत्नी आपको किच-किच करती रहती है? इसका कारण यह है की आप जानते ही नहीं उससे कैसा व्यवहार करना चाहिए। यदि आपको योग्य व्यवहार करना आता तो वह भी आपको दुःख नहीं देती। आपकी पत्नी आपको दुःखी करने नहीं बल्कि आपका घर संभालने आयी हैं। फिर भी जब दोनों में से किसी एक में अपनी भूमिका निभाने में कुछ कमी रह जाए तो दूसरे की किच-किच शुरू हो जाती है। हाँ! क्योंकि आप का व्यवहार कुशल नहीं हैं इसलिए वह आपके साथ किच-किच करती है।

पत्नी की किच-किच का कुशलतापूर्वक हल निकालें

प्रश्नकर्ता : हम जब गाड़ी में जाते हैं तब वह मुझे कहती रहती है, गाड़ी कहाँ मोड़नी है, कब ब्रेक लगाना, ऐसा गाड़ी में मुझे कहती रहती है, यानी टोकती है गाड़ी में, ‘ऐसे चलाओ, ऐसे चलाओ!’

दादाश्री : तो उसके हाथ में दे देना, उसे सौंप देना गाड़ी, गाड़ी उसे सौंप देना। झंझट ही नहीं। समझदार आदमी! किट-किट करे, तब उसे कहना, ‘ले, तू चला!’

प्रश्नकर्ता : तब वह कहेगी, ‘मेरी हिम्मत नहीं है।’

दादाश्री : क्यों? तब कहना, ‘उसमें तुम्हें क्या हर्ज है? तब क्या तुम्हें ऊपर लटका रखा है कि टोकती रहती हो?’ गाड़ी उसे सौंप देना। ड्राईवर हो तो पता चले टोकने पर, यह तो घर का आदमी है इसलिए टोकती रहती है।

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