हम अपने खुद के ही कर्म की प्रतिकृति हैं।
हर वह चीज़ जिसका हम अनुभव करते हैं, हमारी ही रचना है और इसके लिए कोई भी जिम्मेदार नहीं है। हमारे अनंत जन्मों के लिए हम खुद ही पूर्ण रूप से ज़िम्मेदार हैं।
बहुत से लोगों का मानना है कि जीवन में वे जो कुछ भी अनुभव करते हैं, वह सब उनका ही किया हुआ है। इसलिए वे उसे बदलने की कोशिश करते हैं, लेकिन उसमें असफल होते हैं, क्योंकि उसे बदलना उनके हाथ में नहीं हैं। फल को बदलने के बारे में सोचना सही है, लेकिन क्या इसके लिए वे स्वतंत्र रूप से सक्षम हैं?
हाँ हैं, लेकिन कुछ हद तक। उसका अधिकतर नियंत्रण उनके हाथ में नहीं है। सिर्फ आत्मज्ञान प्राप्ति के बाद ही ऐसा संभव हैं, तब तक यह संभव नहीं है।
अगर ऐसा हैं तो...
- क्या मैं इस ज्ञान का उपयोग अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए कर सकता हूँ?
- मेरे कर्मों की कोई नकारात्मक असर होने से पहले ही क्या मैं उनसे मुक्त हो सकता हूँ?
- क्या ऐसा हो सकता है कि मैं सामान्य रूप से अपना जीवन जीते हुए भी कर्म न बांधूं और अपनी आत्मानन्द की अवस्था का अनुभव कर सकूँ?
- क्या मैं अपने अनंत जन्मों के कर्मबंधनों से मुक्त हो सकता हूँ?