अक्रम विज्ञान, एक ऐसा आध्यात्मिक विज्ञान है जो व्यवहार में उपयोगी है और मोक्ष प्राप्ति के लिए एक ‘शार्टकट’ रास्ता है।
अधिक पढ़ें“यदि खुद के स्वरूप को पहचान लिया तो फिर वह, खुद ही परमात्मा है |”
~ परम पूज्य दादा भगवान
दादा भगवान फाउन्डेशन प्रचार करता हैं, अक्रम विज्ञान के आध्यात्मिक विज्ञान का – आत्मसाक्षात्कार के विज्ञान का। जो परम पूज्य दादा भगवान द्वारा बताया गया है।
अधिक पढ़ेंअहमदाबाद से २० की.मी. की दूरी पर सीमंधर सिटी, एक आध्यात्मिक प्रगति की जगह है| जो "एक स्वच्छ, हरा और पवित्र शहर" जाना जाता है|
अधिक पढ़ेंअक्रम विज्ञानी, परम पूज्य दादा भगवान, द्वारा प्रेरित एक अनोखा निष्पक्षपाति त्रिमंदिर।
परस्त्री और परपुरुष प्रत्यक्ष नर्क का कारण है। नर्क में जाना हो तो वहाँ जाने की सोचो। हमें उसमें हर्ज नहीं है। तुम्हें ठीक लगे तो नर्क के उन दुःखों का वर्णन करूँ। जिसे सुनते ही बु़खार चढ़ जाएगा, तब वहाँ उनको भुगतते तेरी क्या दशा होगी? मगर खुद की स्त्री हो तो कोई आपत्ति नहीं है।
पति-पत्नी के संबंध को कुदरत ने स्वीकार किया है। उसमें यदि कभी विशेषभाव न हो तो आपत्ति नहीं है। कुदरत ने उतना स्वीकार किया है। उतना परिणाम पापरहित कहलाए। मगर इसमें अन्य पाप बहुत समाए हैं। एक ही बार विषय भोगने में करोड़ों जीव मर जाते हैं, वह क्या कम पाप है? फिर भी वह परस्त्री जैसा बड़ा पाप नहीं कहलाता।
प्रश्नकर्ता : नर्क में अधिकतर कौन जाता है?
दादाश्री : शील के लुटेरों के लिए सातवाँ नर्क है। जितनी मिठास आई होगी, उससे अनेक गुना कड़वाहट का अनुभव हो, तब वह तय करता है कि अब वहाँ नर्क में नहीं जाना। अतः इस संसार में यदि कोई नहीं करने योग्य कार्य हो तो, किसी के शील को मत लूटना। कभी भी दृष्टि मत बिगड़ने देना। शील लूटे तो फिर नर्क में जाए और मार खाता ही रहे। इस संसार में शील जैसी कोई उत्तम चीज़ नहीं है।
हमारे यहाँ इस सत्संग में ऐसा छल-कपट का विचार आए तो मैं कहूँ कि यह अर्थहीन बात है। यहाँ ऐसा व्यवहार किंचित् मात्र नहीं चलेगा और ऐसा व्यवहार चल रहा है ऐसा मेरे लक्ष्य में आया तो मैं निकाल बाहर करूँगा।
इस दुनिया में कैसे भी गुनाह किए हों, कैसे भी गुनाह लेकर यहाँ आए, तब भी यदि वह फिर से जीवन में ऐसे गुनाह न करनेवाला हो, तो मैं हर तरह से शुद्ध कर दूँ।
यह सुनकर तुझे कुछ पछतावा होता है?
प्रश्नकर्ता : बहुत ही होता है।
दादाश्री : पछतावे में जलेगा तो भी पाप खतम हो जाएँगे। दो-चार लोग यह बात सुनकर मुझसे पूछने लगे कि 'हमारा क्या होगा?' मैंने कहा, 'अरे भैया, में तुझे सब ठीक कर दूँगा। तू आज से समझ जा।' जागे तब से सवेरा। उसकी नर्कगति उड़ा दूँ, क्योंकि मेरे पास सब रास्ते हैं, मैं कर्ता नहीं हूँ इसलिए। यदि मैं कर्ता होऊँ तो मुझे बंधन हो। मैं आपको ही दिखाऊँ कि अब ऐसा करो। उसके बाद फिर सब खतम हो जाता है और साथ में हम अन्य विधियाँ कर देते हैं।
परायी स्त्री के साथ घूमें तो लोग उँगली उठाएँ न? इसलिए वह समाजविरोधी है और साथ ही कई तरह की मुश्किलें खड़ी होती है। नर्क की वेदनाएँ अर्थात् इलेक्ट्रिक गेस में बहुत काल तक जलते रहना! एक, इलेक्ट्रिक गरमी की वेदनावाला नर्क है और दूसरा, ठंड की वेदनावाला नर्क है। वहाँ पर इतनी ठंड है कि हम इतना बड़ा पर्वत ऊपर से डालें तो उसका इतना बड़ा पत्थर न रहे, पर उसका कण-कण बिखर जाए!
परस्त्री के जोखिम सोचें तो उसमें कितने-कितने जोखिम है! वह जहाँ जाए वहाँ आपको जाना पड़ेगा। उसे माँ भी बनाना पड़े! आज ऐसे कितने ही बेटे हैं कि जो उनकी पिछले जन्म की रखैल के पेट से जन्मे हैं। यह सारी बात मेरे ज्ञान में भी आई थी। (पिछले जनम में) बेटा उच्च ज्ञाति का हो और माँ निम्न ज्ञाति की हो। माँ निम्न जाति में जाती है और (उसका होनेवाला) बेटा उच्च ज्ञाति में से निम्न ज्ञाति में वापस आता है। कितना भयंकर जोखिम! पिछले जन्म में जो पत्नी थी वह इस जन्म माता हो और इस जन्म में माता हो वह अगले जन्म में पत्नी बने! ऐसा जोखिमवाला यह संसार है! बात को इतने में ही समझ लेना! प्रकृति विषयी नहीं है, यह बात मैंने अन्य प्रकार से कही थी। लेकिन यह तो हम पहले से कहते आए हैं कि यह अकेला ही जोखिम है।
Q. मैं ब्रह्मचर्य का पालन कैसे कर सकता हूँ?
A. वास्तव में तो ब्रह्मचर्य समझदारी से पालन करने योग्य है। ब्रह्मचर्य का फल यदि मोक्ष नहीं मिलता हो तो वह ब्रह्मयर्च खसी करने के समान ही है। फिर भी ब्रह्मचर्य...Read More
Q. ब्रह्मचर्य के फायदे : ब्रह्मचर्य का पालन क्यों करना चाहिए?
A. प्रश्नकर्ता : पर ब्रह्मचर्य का पालन किस फायदे के लिए करना चाहिए? दादाश्री : हमें यहाँ कुछ लग जाए और खून बहता हो तो फिर उसे बंद क्यों करते हैं? उससे क्या...Read More
Q. विषय के आकर्षण से कैसे मुक्त हो सकते हैं?
A. जिसे खाने में असंतोष है उसका चित्त भोजन में जाता है और जहाँ होटल देखा वहाँ आकर्षित होता है, परंतु क्या खाना ही अकेला विषय है? यह तो पाँच इन्द्रियाँ और उनके...Read More
Q. विषय का आकर्षण क्यों होता है?
A. विषय की गंदगी में लोग पड़े हैं। विषय के समय उजाला करें तो खुद को भी अच्छा न लगे। उजाला हो तो डर जाए, इसलिए अंधेरा रखते हैं। उजाला हो तो भोगने की जगह देखना...Read More
Q. विषय के आकर्षण का विश्लेषण।
A. चोरी करने अच्छा लगता है? झूठ बोलना, मरना पसंद आता है? फिर परिग्रह क्यों पसंद है विषय में ऐसा क्या है कि पसंद आता है? प्रश्नकर्ता : बिलकुल पसंद ही नहीं है,...Read More
Q. विवाहित जीवन में विषय संबंधी वफादारी की परिभाषा क्या है?
A. जिसने शादी की है, उसके लिए तो हमने एक ही नियम रखा है कि तुझे दूसरी किसी स्त्री की ओर दृष्टि नहीं बिगाड़नी है। यदि कभी दृष्टि ऐसी हो जाए तो प्रतिक्रमण करके...Read More
Q. पति-पत्नी के बीच क्लेश रहित जीवन की सच्चाई।
A. प्रश्नकर्ता : पर यह सब देखकर हमें कँपकँपी छूटती है। फिर ऐसा होता है कि रोज़-रोज़ ऐसे ही झगड़े होते रहते हैं, फिर भी पति-पत्नी को इसका हल निकालने को मन नहीं...Read More
Q. क्या विवाहित लोग मोक्ष प्राप्त कर सकते हैं?
A. यह विज्ञान किसी को भी, परिणीतों को भी मोक्ष में ले जाएगा। परंतु ज्ञानी की आज्ञा अनुसार चलना चाहिए। कोई दिमा़ग की खुमारीवाला हो, वह कहे, 'साहब, मैं दूसरी...Read More
Q. अवैध संबंधों के परिणाम क्या हैं?
A. यदि तू संसारी है तो तेरे ह़क का विषय भोगना, परंतु बिना ह़क का विषय तो मत ही भोगना, क्योंकि उसका फल भयंकर है। और यदि तू त्यागी हो तो तेरी विषय की ओर दृष्टि...Read More
Q. हस्तमैथुन की लत को कैसे छोड़ें?
A. हस्तमैथुन...एक ऐसी बुरी आदत है जिसमें से किस तरह से छूटे आपको यह विचार आया होगा । शायद इसीलिए आप यहां आए होंगे। बहुत लोगों को ऐसा लगता है कि इसमें से कभी...Read More
Q. ‘थ्री विज़न’ विषय के आकर्षण को रोक सकता है।
A. मैंने जो प्रयोग किया था, वही प्रयोग इस्तेमाल करना। हमें वह प्रयोग निरंतर रहता ही है। ज्ञान होने से पहले भी हमें जागृति रहती थी। किसी स्त्री ने ऐसे सुंदर...Read More
Q. विषय की इच्छाओं पर कैसे काबू पाएँ?
A. प्रश्नकर्ता : सायकोलोजी ऐसा कहती है कि एक बार आप पेट भरकर आईस्क्रीम खा लें, फिर आपको खाने का मन ही नहीं करेगा। दादाश्री : ऐसा दुनिया में हो नहीं सकता। पेट...Read More
subscribe your email for our latest news and events