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क्या ब्रह्मचर्य पालन करने के कोई नियम होते हैं ?

ब्रह्मचर्य की भावना जागृत होने और उसके प्रति दृढ़ निश्चय हो जाए, उसके लिए ज्ञानी पुरुष का सतत मार्ग दर्शन मिलता रहे, वह तो अत्यंत आवश्यक है, लेकिन हर तरह से ब्रह्मचर्य की ‘सेफ साईड’ रखने के लिए खुद की आंतरिक जागृति भी उतनी ही जरूरी है ‘अनसेफ’ जगह से ‘सेफली’ निकल जाने की जागृति और‘प्रक्टिकल’ में उसकी समय सूचकता साधक के पास की बाड़ होना जरूरी है।

नीचे ब्रह्मचर्य के कुछ नियमों का संकलन करने में आया है, जो ब्रह्मचारी साधक, जिनका किसी भी कीमत पर ब्रह्मचर्य पालन का दृढ़ निश्चय है, उनके लिए उपयोगी होगा।

  • ऐसे विडीयोज़, किताबें या फ़ोटोज़ से दूर रहें जो विकारी इच्छाएँ या आवेग उत्पन्न करते हैं।
  • किसी भी व्यक्ति के लिए विषय विकारी कल्पना में लिप्त न हों। और अगर ऐसा हो जाए तो तुरंत प्रतिक्रमण करके उसे मिटा दें।
  • विपरीत लिंग के लोगों की संगति टालें।
  • दृष्टि मिलाने से बचें।
  • किसी भी कीमत पर स्पर्श तो करना ही नहीं चाहिए।
  • विषय विकारी बाते नहीं करनी चाहिए और कोई करता हो तो उससे दूर रहना चाहिए।
  • ऐसी परिस्थितियों से बचें जो विषय विकार को बढ़ावा देती हैं।
  • मन में विषय का विचार आया कि तुरंत उसे प्रतिक्रमण करके धो देना। मन से दोष हो तो उसका उपाय है, परंतु वर्तन और वाणी में कभी नही़ आना चाहिए, प्योरिटी होनी चाहिए।
  • जिन्हें ब्रह्मचर्य पालन करना है उन्हें यह खयाल रखना चाहिए कि कुछ प्रकार के आहार से उत्तेजना बढ़ जाती है। वह आहार कम कर देना चाहिए। चरबीवाले आहार जैसे कि घी-तेल वगैरह नहीं लेने चाहिए।
  • दूध भी कुछ कम लेना चाहिए।
  • दाल-चावल-सब्ज़ी-रोटी वगैरह आराम से खाओ और उस आहार की मात्रा कम रखना।
  • ज़बरदस्ती मत खाना। यानी आहार कितना लेना चाहिए कि नशा न चढ़े और रात को तीन-चार घंटे ही नींद आए, उतना आहार लेना चाहिए।
  • रात को ज्यादा खाना ही नहीं चाहिए, खाना हो तो दोपहर में खाना। रात को यदि ज्यादा खा लिया तब तो वीर्य का स्खलन हुए बिना रहेगा ही नहीं।
  • कंदमूल जैसे कि प्याज, लहसुन, आलू वगैरह नहीं खाना चाहिए।
  • सत्संग के वातावरण में ही रहना चाहिए, बाहर का कुसंग नहीं छूना चाहिए। कुसंग वही जहर है। कुसंग से दूर रहना चाहिए। कुसंग का असर मन पर, बुद्धि पर, अहंकार पर, शरीर पर होता है। एक ही वर्ष के कुसंग का असर पच्चीस वर्ष तक रहता है।
  • आपको ब्रह्मचारियों के संगति में रहना चाहिए, अन्यथा आपकी पहचान ब्रह्मचारी के रूप में नहीं की जाएगी।
  • सभी ब्रह्मचारियों को साथ रहना चाहिए जहाँ सभी साथ बैठकर बातचीत कर सके, सत्संग कर सके, आनंद करे, उनकी दुनिया ही अलग हो ! सब साथ में नहीं रहें और घर पर रहें तो परेशानी! ब्रह्मचारियों के संग के बिना ब्रह्मचर्य का पालन नहीं किया जा सकता। ब्रह्मचारियों का समूह होना चाहिए और वह भी पंद्रह-बीस लोगों का होना चाहिए। सभी साथ में रहेंगे तो दिक्कत नहीं आएगी। दो-तीन लोगों का काम नहीं है। पंद्रह-बीस होंगे तो उनकी तो हवा ही लगती रहेगी। हवा से ही सारा वातावरण उच्च प्रकार का रहेगा, वर्ना ब्रह्मचर्य पालन करना आसान नहीं है।
  • प्रत्यक्ष ज्ञानी के संपर्क में रहें। उनसे जुड़े रह कर अपने ब्रह्मचर्य पालन के ध्येय की पूर्णाहुति के लिए उनसे निरंतर मार्गदर्शन प्राप्त करें। उनके समक्ष अपनी भूलें बताकर आप अपनी भूल का रक्षण नहीं करके ब्रह्मचर्य को पोषण देते हो और अध्यात्मिक प्रगति कर सकते हो।

उपरोक्त ब्रह्मचर्य के नियम ब्रह्मचर्य के साधकों के लिए है, आत्मज्ञान की प्राप्ती द्वारा ब्रह्मचर्य पालन करना आसान हो जाता है।

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