अक्रम विज्ञान, एक ऐसा आध्यात्मिक विज्ञान है जो व्यवहार में उपयोगी है और मोक्ष प्राप्ति के लिए एक ‘शार्टकट’ रास्ता है।
अधिक पढ़ें15 दिसम्बर |
13 दिसम्बर | to | 16 दिसम्बर |
दादा भगवान फाउन्डेशन प्रचार करता हैं, अक्रम विज्ञान के आध्यात्मिक विज्ञान का – आत्मसाक्षात्कार के विज्ञान का। जो परम पूज्य दादा भगवान द्वारा बताया गया है।
अधिक पढ़ेंअहमदाबाद से २० की.मी. की दूरी पर सीमंधर सिटी, एक आध्यात्मिक प्रगति की जगह है| जो "एक स्वच्छ, हरा और पवित्र शहर" जाना जाता है|
अधिक पढ़ेंअक्रम विज्ञानी, परम पूज्य दादा भगवान, द्वारा प्रेरित एक अनोखा निष्पक्षपाति त्रिमंदिर।
अधिक पढ़ेंप्रश्नकर्ता : उपवास किया हो, उस रात अलग ही तरह के आनंद का अनुभव होता है, उसका क्या कारण?
दादाश्री : बाहर का सुख नहीं लेते तब अंदर का सुख उत्पन्न होता है। यह बाहरी सुख लेते हैं इसलिए अंदर का सुख बाहर प्रकट नहीं होता।
हमने ऊणोदरी तप आखिर तक रखा था। दोनों वक्त ज़रूरत से कम ही खाना, सदा के लिए। ताकि भीतर निरंतर जागृति रहे। ऊणोदरी तप यानी क्या कि रोज़ाना चार रोटियाँ खाते हों तो दो खाना, वह ऊणोदरी तप कहलाता है।
प्रश्नकर्ता : आहार से ज्ञान को कितनी बाधा होती है?
दादाश्री : बहुत बाधा आती है। आहार बहुत बाधक है, क्योंकि यह आहार जो पेट में जाता है, उसका फिर मद होता है और सारा दिन फिर उसका नशा, कै़फ ही कै़फ चढ़ता रहता है।
जिसे ब्रह्मचर्य का पालन करना है, उसे ख्याल रखना होगा कि कुछ प्रकार के आहार से उत्तेजना बढ़ जाती है। ऐसा आहार कम कर देना। चरबीवाला आहार जैसे कि घी-तेल (अधिक मात्रा में) मत लेना, दूध भी ज़रा कम मात्रा में लेना। दाल-चावल, सब्ज़ी-रोटी आराम से खाओ पर उस आहार का प्रमाण कम रखना। दबाकर मत खाना। अर्थात् आहार कितना लेना चाहिए कि ऐसे के़फ (नशा) नहीं चढ़े और रात को तीन-चार घंटे ही नींद आए, बस उतना ही आहार लेना चाहिए।
इतने छोट़े-छोट़े बच्चों को बेसन और गोंद से बनी मिठाइयाँ खिलातें हैं! जिसका बाद में बहुत बुरा असर होता है। वे बहुत विकारी हो जाते हैं। इसलिए छोटे बच्चों को यह सब अधिक मात्रा में नहीं देना चाहिए। उसका प्रमाण रखना चाहिए।
मैं तो चेतावनी देता हूँ कि ब्रह्मचर्य पालना हो तो कंदमूल नहीं खाने चाहिए।
प्रश्नकर्ता : कंदमूल नहीं खाने चाहिए?
दादाश्री : कंदमूल खाना और ब्रह्मचर्य पालना, वह रोंग बिलिफ (गलत दर्शन) है, विरोधी बात है।
प्रश्नकर्ता : कंदमूल नहीं खाना, जीव हिंसा के कारण है या और कुछ?
दादाश्री : कंदमूल तो अब्रह्मचर्य को जबरदस्त पुष्टि देनेवाला है। इसीलिए ऐसे नियम रखने की आवश्यकता है कि जिससे उनका ब्रह्मचर्य टिका रहे।
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