बच्चों के साथ वार्तालाप करने के लिए दादाश्री ने कुछ महत्वपूर्ण बातें बताई हैं:
वाणी नीचे बताए गए चार गुणोंवाली हो तो ही असरकारक होती है।
बच्चों के साथ प्रभावी ढंग से बात किस तरह करें यह बहुत महत्वपूर्ण होता है। माता-पिता को बच्चों से ‘यह करो’ या ‘वह करो’ इस तरह का आग्रह नहीं रखना चाहिए। यदि आप आग्रह करते हैं तो भी उनसे यह अपेक्षा नहीं रखनी चाहिए कि वे आपकी बात मानेंगे। वे जो भी करें उसे स्वीकार करने के लिए आपको तैयार रहना चाहिए। बच्चों के साथ आग्रह करने से अंत में वे आपके खिलाफ हो जाएंगे। ऐसा इसलिए कि जब आप आग्रह करते हैं, तो उसके पीछे आपका अहंकार काम करता है। पहले आपका अहंकार खड़ा होता है और वह बच्चे के अहंकार को छेड़ता है, इसलिए स्थिति तनावपूर्ण हो जाती है।
इस तरह बात करें कि उसका अहंकार खड़ा न हो। बच्चों को बातें समझानी चाहिए; उनकी समझ और जीवन के प्रति दृष्टिकोण को बदलने का प्रयास करना चाहिए। अपने अहंकार को खत्म करें; किसी भी प्रकार का पूर्वाग्रह नहीं रखें, और उसे प्रेम पूर्वक समझाएँ। पूर्वाग्रह का अर्थ है कि यदि कल आपने अपने बेटे को डाँटा हैं, तो वह बात आप अपने मन में बिठा देते हैं कि ‘वह वास्तव में ऐसा ही है’, और आप फिर से उसे डाँटते हो। इसलिए उससे जहर फैलता है। इसलिए आग्रह के बिना, अपेक्षा के बिना, और पूर्वाग्रह के बिना बच्चों के साथ बात करें । यह उनसे बात करने की प्राथमिक शर्त है।
यदि व्यवहारिक जीवन में कुछ सिद्धांत अपना लिए गए हों तो किसी के साथ कोई भी समस्या नहीं रहेगी। सबसे महत्वपूर्ण सिद्धांत यह है कि, घर में या बाहर छोटी-छोटी बातों के लिए किसी से कुछ नहीं कहना चाहिए । केवल कुछ खास महत्वपूर्ण विषयों पर ही अपना मत व्यक्त करना चाहिए और ज़रूरी होने पर भी दोहराना नहीं चाहिए।
कुछ महत्वपूर्ण बातें जैसे- बच्चा मांसाहार करता हो, शराब पीता हो, किसी चक्कर में पड़ा हो या वह पढ़ाई न करता हो, पर आपका ध्यान देना ज़रूरी है। बाकी बातें जैसे कि-वह कार का ऐक्सिडन्ट करें, व्यापार में नुकसान कर के आए; कुछ भूल जाए, आदि सामान्य बातें हैं। माता-पिता को शांत रहकर परिस्थिति को प्रेम और समभाव से सुलझाना चाहिए। यदि आप इन बातों को स्वीकार कर लोगे तो बच्चे महत्वपूर्ण परिस्थितियों में आपकी बात अवश्य सुनेंगे। छोटी-छोटी बातों पर टोकने से आपके शब्दों का महत्व नहीं रह जाएगा। माता-पिता का व्यक्तित्व इतना प्रभावशाली होना चाहिए कि सिर्फ आपकी उपस्थिति से ही उनका मन परिवर्तन हो जाए और कुछ कहने की आवश्यकता न रहे।
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