अक्रम विज्ञान, एक ऐसा आध्यात्मिक विज्ञान है जो व्यवहार में उपयोगी है और मोक्ष प्राप्ति के लिए एक ‘शार्टकट’ रास्ता है।
अधिक पढ़ें“यदि खुद के स्वरूप को पहचान लिया तो फिर वह, खुद ही परमात्मा है |”
~ परम पूज्य दादा भगवान
दादा भगवान फाउन्डेशन प्रचार करता हैं, अक्रम विज्ञान के आध्यात्मिक विज्ञान का – आत्मसाक्षात्कार के विज्ञान का। जो परम पूज्य दादा भगवान द्वारा बताया गया है।
अधिक पढ़ेंअहमदाबाद से २० की.मी. की दूरी पर सीमंधर सिटी, एक आध्यात्मिक प्रगति की जगह है| जो "एक स्वच्छ, हरा और पवित्र शहर" जाना जाता है|
अधिक पढ़ेंअक्रम विज्ञानी, परम पूज्य दादा भगवान, द्वारा प्रेरित एक अनोखा निष्पक्षपाति त्रिमंदिर।
समकिती की निशानी क्या है? तब कहे कि, घर के सभी लोग कुछ उल्टा कर दें, फिर भी वह सही कर दे। प्रत्येक बात में सीधा ही करना, यह समकिती की निशानी है। हमने इस संसार की बहुत सूक्ष्म खोजबीन की है। अंतिम प्रकार की खोजबीन के पश्चात् हम ये सब बातें कर रहे हैं। व्यवहार में कैसे रहना चाहिए, वह भी देते हैं और मोक्ष में कैसे जा सकते हैं, यह भी देते हैं। आपकी अड़चनें किस प्रकार कम हों, यही हमारा हेतु है।
अपनी बात सामनेवाले को 'एडजस्ट' होनी ही चाहिए। अपनी बात सामनेवाले को 'एडजस्ट' नहीं हो तो वह अपनी ही भूल है। भूल सुधरे तो 'एडजस्ट' होगा। वीतरागों की बात 'एवरीव्हेर एडजस्टमेन्ट' की है।
प्रश्नकर्ता : दादाजी, 'एडजस्ट एवरीव्हेयर' यह जो आपने कहा है, उससे तो अच्छे अच्छों का हल निकल आ जाए!
दादाश्री : सभी का हल आ जाए। हमारे ये जो एक-एक शब्द हैं, वे सभी का शीघ्र हल लानेवाले हैं। वे ठेठ मोक्ष तक ले जाएँगे। इसलिए 'एडजस्ट एवरीव्हेर'!
प्रश्नकर्ता : अभी तक जहाँ अच्छा लगता था, वहाँ सभी एडजस्ट होते थे और आपकी बातों से तो ऐसा लगता है कि जहाँ अच्छा न लगे, वहाँ तू पहले एडजस्ट हो जा।
दादाश्री : 'एवरीव्हेर एडजस्ट' होना है।
A. प्रश्नकर्ता : अब तो जीवन में शांति का सरल मार्ग चाहते हैं। दादाश्री : एक ही शब्द जीवन में उतारोगे, ठीक से, एक्ज़ेक्ट? प्रश्नकर्ता : एक्ज़ेक्ट,...Read More
Q. लोगों के साथ कैसे एडजस्ट हों?
A. बांद्रा की खाड़ी में से दुर्गंध आए, तो उसके साथ क्या लड़ने जाएँगे? इसी प्रकार ये मनुष्य भी दुर्गंध फैलाते हैं, उन्हें कुछ कहने जाएँगे? दुर्गंध फैलाए वे सभी...Read More
Q. पत्नी के साथ कैसे एडजस्ट हों?
A. दादाश्री : हमें किसी कारणवश देर हो गई, और पत्नी कुछ उल्टा-सुल्टा बोलने लगे कि, 'इतनी देर से आए हो? मुझे ऐसा नहीं चलेगा।' और जैसा-तैसा कहे... उसका दिमा़ग...Read More
Q. क्या मुझे अपनी पत्नी को सुधारने के लिए प्रयत्न करने चाहिए?
A. हर बात में हम सामनेवाले के साथ एडजस्ट हो जाएँ तो कितना सारा सरल हो जाए! हमें साथ में क्या ले जाना है? कोई कहेगा कि, 'भैया, बीवी को सीधा कर दो।' 'अरे, उसे...Read More
Q. पत्नी के साथ हर रोज़ होनेवाले टकराव में कैसे एडजस्टमेन्ट लें?
A. प्रश्नकर्ता : मैं वाइफ के साथ एडजस्ट होने की बहुत कोशिश करता हूँ, लेकिन एडजस्टमेन्ट नहीं हो पाता। दादाश्री : यह सब हिसाब के अनुसार है! टेढ़ा बोल्ट और...Read More
Q. यदि मैं सही हूँ तो, मुझे क्यों एडजस्ट होना चाहिए?
A. 'ज्ञानी' तो सामनेवाला टेढ़ा हो तो भी उसके साथ एडजस्ट हो जाते हैं। 'ज्ञानीपुरुष' को देखकर चले तो सभी तरह के एडजस्टमेन्ट लेना सीख जाएगा। इसके पीछे का साइन्स...Read More
Q. मैं अपनी भावनाओं को कैसे व्यक्त करूँ?
A. हमें पहले अपना मत नहीं रखना चाहिए। सामनेवाले से पूछना कि इसके बारे में आप क्या कहना चाहते हैं? सामनेवाला अपनी बात पर अड़ा रहे, तो मैं अपनी बात छोड़ देता...Read More
Q. क्या सामंजस्य का अभाव ही टकराव का कारण है?
A. प्रश्नकर्ता : लेकिन क्लेश होने का कारण क्या है? स्वभाव नहीं मिलता, इसलिए? दादाश्री : अज्ञानता की वजह से। संसार का मतलब ही यह कि किसी का स्वभाव किसी से...Read More
Q. एडजस्टमेन्ट लेने का हेतु क्या है और हमें किस हद तक एडजस्टमेन्ट लेना चाहिए ?
A. प्रश्नकर्ता : 'एडजस्टमेन्ट' की जो बात है, उससे पीछे भाव क्या है? फिर कहाँ तक 'एडजस्टमेन्ट' लेना चाहिए? दादाश्री : भाव शांति का है, हेतु शांति का है।...Read More
A. प्रश्नकर्ता: मुख्य वस्तु यह कि घर में शांति रहनी चाहिए। दादाश्री: मगर शांति कैसे रहे? लड़की का नाम शांति रखें, फिर भी शांति नही रहती। उसके लिए तो धर्म...Read More
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