अक्रम विज्ञान, एक ऐसा आध्यात्मिक विज्ञान है जो व्यवहार में उपयोगी है और मोक्ष प्राप्ति के लिए एक ‘शार्टकट’ रास्ता है।
अधिक पढ़ें21 मार्च |
दादा भगवान फाउन्डेशन प्रचार करता हैं, अक्रम विज्ञान के आध्यात्मिक विज्ञान का – आत्मसाक्षात्कार के विज्ञान का। जो परम पूज्य दादा भगवान द्वारा बताया गया है।
अधिक पढ़ेंअहमदाबाद से २० की.मी. की दूरी पर सीमंधर सिटी, एक आध्यात्मिक प्रगति की जगह है| जो "एक स्वच्छ, हरा और पवित्र शहर" जाना जाता है|
अधिक पढ़ेंअक्रम विज्ञानी, परम पूज्य दादा भगवान, द्वारा प्रेरित एक अनोखा निष्पक्षपाति त्रिमंदिर।
प्रश्नकर्ता : तो यह सब चलाता कौन है?
दादाश्री : यह सब तो, यह कर्म का नियम ऐसा है कि आप जो कर्म करते हो, उनके परिणाम अपने आप कुदरती रूप से आते हैं।
प्रश्नकर्ता : इन कर्मों के फल हमें भुगतने पड़ते हैं, वह कौन तय करता है? कौन भुगतवाता है?
दादाश्री : तय करने की ज़रूरत ही नहीं है। कर्म 'इटसेल्फ' करते रहते हैं। अपने आप खुद ही हो जाता है।
प्रश्नकर्ता : तो फिर कर्म के नियम को कौन चलाता है?
दादाश्री : 2H और O इकट्ठे हो जाएँ तो बरसात हो जाती है, वह कर्म का नियम।
प्रश्नकर्ता : परन्तु किसीने उसे किया होगा न, वह नियम?
दादाश्री : नियम कोई नहीं बनाता है। तब तो फिर मालिक ठहरेगा वापिस। किसीको करने की ज़रूरत नहीं है। इटसेल्फ पज़ल हो गया है और वह विज्ञान के नियम से होता है। उसे हम 'ओन्लि सायन्टिफिक सरकमस्टेन्शियल एविडेन्स' से जगत् चल रहा है, ऐसा कहते हैं। उसे गुजराती में कहा है कि 'व्यवस्थित शक्ति' जगत् चलाती है।
A. प्रश्नकर्ता : कर्म की परिभाषा क्या है? दादाश्री : कोई भी कार्य करो, उसे 'मैं करता हूँ' ऐसा आधार दो, वह कर्म की परिभाषा है। 'मैं करता हूँ' ऐसा आधार दें,...Read More
Q. क्या हमारे पास कुछ करने की सत्ता है ?
A. दादाश्री : तेरे साथ कभी ऐसा होता है कि तेरी इच्छा न हो फिर भी तुझे वैसा कुछ करना पड़े? ऐसा कुछ होता है तुझे कभी? ऐसा होता है या नहीं? प्रश्नकर्ता : हाँ।...Read More
Q. क्या कर्म आंतरिक कारणों से बंधते हैं ?
A. प्रश्नकर्ता : मनुष्य को कर्म लागू होते होंगे या नहीं? दादाश्री : निरंतर कर्म बाँधते ही रहते हैं। दूसरा कुछ करते ही नहीं। मनुष्य का अहंकार ऐसा है कि खाता...Read More
Q. बंधन किसे है : शरीर या आत्मा को ?
A. प्रश्नकर्ता : तो फिर अब कर्मबंधन किसे होता है, आत्मा को या देह को? दादाश्री : यह देह तो खुद ही कर्म है। फिर दूसरा बंधन उसे कहाँ से होगा? यह तो जिसे बंधन...Read More
Q. भले लोगों को दुःख क्यों उठाने पड़ते हैं?
A. प्रश्नकर्ता : किसी भी रोग के होने के कारण मृत्यु हो, तब लोग ऐसा कहते हैं कि पूर्वजन्म के कोई पाप बाधक हैं। यह बात सच है? दादाश्री : हाँ, पाप से रोग होते...Read More
Q. अच्छे और बुरे कर्म सिर्फ मनुष्य जीवन में ही।
A. प्रश्नकर्ता : मनुष्य जन्म में ही कर्म बंधते हैं। अच्छे कर्म भी यहीं पर बँधते हैं न? दादाश्री : अच्छे कर्म भी यही बँधते हैं और बुरे भी यहीं पर बँधते...Read More
Q. क्या अच्छें कर्म करके बुरे कर्मों का असर खत्म किया जा सकता है?
A. प्रश्नकर्ता : पाप कर्म और पुण्यकर्म का प्लस-माइनस (जोड़-बा़की) होकर नेट में रिज़ल्ट आता है, भुगतने में? दादाश्री : नहीं, प्लस-माइनस नहीं होता। पर उसका...Read More
Q. कर्म बंधन से मुक्ति के पथ की ओर
A. प्रश्नकर्ता : पुनर्जन्म में कर्मबंध का हल लाने का रास्ता क्या है? हमें ऐसा साधारण मालूम है कि पिछले जन्म में हमने अच्छे या बुरे सभी कर्म किए हुए ही हैं,...Read More
Q. किन परिस्थितियों में कर्म बंधन नही होता?
A. प्रश्नकर्ता : कर्म होने कब रुकते हैं? दादाश्री : 'मैं शुद्धात्मा हूँ' उसका अनुभव होना चाहिए। यानी तू शुद्धात्मा हो जाए, उसके बाद कर्मबंध रुकेगा। कर्म की...Read More
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