दादाश्री : मृत्यु के बाद जन्म और जन्म के बाद मृत्यु है, बस। यह निरंतर चलता ही रहता हैं! अब यह जन्म और मृत्यु क्यों हुए हैं? तब कहे कॉज़ेज़ एन्ड इफेक्ट, इफेक्ट एन्ड कॉज़ेज़, कारण और कार्य, कार्य और कारण। उसमें यदि कारणों का नाश करने में आए, तो ये सारे 'इफेक्ट' बंद हो जाएँ, फिर नया जन्म नहीं लेना पड़ता है!
यहाँ पर सारी ज़िन्दगी 'कॉज़ेज़' खड़े किए हों, वे आपके 'कॉज़ेज़' किस के यहाँ जाएँगे? और 'कॉज़ेज़' किए हों, इसलिए वे आपको कार्यफल दिए बगैर रहेंगे नहीं। 'कॉज़ेज़' खड़े किए हुए हैं, ऐसा आपको खुद को समझ में आता है?
हर एक कार्य में 'कॉज़ेज़' पैदा होते हैं। आपको किसी ने नालायक कहा तो आपके भीतर 'कॉज़ेज़' पैदा होते है। 'तेरा बाप नालायक है' वह आपके 'कॉज़ेज़' कहलाते हैं। आपको नालायक कहता है, वह तो नियमानुसार कह गया और आपने उसे गैरकानूनी कर दिया। वह समझ में नहीं आया आपको? क्यों बोलते नहीं?
प्रश्नकर्ता : ठीक है।
दादाश्री : अर्थात् 'कॉज़ेज़ इस भव में होते हैं। उसका 'इफेक्ट' अगले जन्म में भोगना पड़ता है!
यह तो 'इफेक्टिव' (परिणाम) मोह को 'कॉज़ेज़' (कारण) मोह मानने में आता है। आप ऐसा केवल मानते हो कि 'मैं क्रोध करता हूँ' लेकिन यह तो आपको भ्रांति है, तब तक ही क्रोध है। बाकी, वह क्रोध है ही नहीं, वह तो इफेक्ट है। और कॉज़ेज़ बंद हो जाएँ, तब इफेक्ट अकेला ही रहता है। और वह 'कॉज़ेज़' बंद किए इसलिए 'ही इज़ नोट रिस्पोन्सिबल फॉर इफेक्ट' (परिणाम के लिए खुद ज़िम्मेदार नहीं) और 'इफेक्ट' अपना प्रभाव दिखाए बिना रहेगा ही नहीं।
Book Name: मृत्यु समय, पहले और पश्चात... (Page #36 Paragraph #2, #3, #4 & Page #37 Paragraph #1 to #4)
A. प्रश्नकर्ता : मृत्यु क्या है? दादाश्री : मृत्यु तो, ऐसा है न, यह कमीज़ सिलवाई अर्थात् कमीज़ का जन्म... Read More
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A. प्रश्नकर्ता : मनुष्य में से मनुष्य में ही जानेवाले हैं न? दादाश्री : वह खुद की समझ में भूल है।... Read More
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A. प्रश्नकर्ता : 'थियरी ऑफ इवोल्युशन' (उत्क्रंतिवाद) के अनुसार जीव एक इन्द्रिय, दो इन्द्रिय ऐसे... Read More
Q. क्या ज्ञान प्राप्ति का आनंद इसी जन्म तक सीमित है?
A. प्रश्नकर्ता : मात्र यह सनातन शांति प्राप्त करे तो वह इस जन्म के लिए ही होती है या जन्मों जन्म की... Read More
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