प्रश्नकर्ता: मृत व्यक्ति से किस तरह माफ़ी माँगनी चाहिए ?
दादाश्री: हालांकि उनकी मृत्यु हो चुकी हैं फिर भी आप उनके फोटो के सामने या उनके चेहरे को याद करके उनकाप्रतिक्रमण कर सकते हैं। अगर आपको चेहरा याद नहीं आए लेकिन अगर उनका नाम याद है फिर भी आप उनका नाम लेकरप्रतिक्रमण कर सकते हैं और वह उन तक पहुँचेगा।
जिस किसी व्यक्ति के प्रति आपसे गलती हुई है और अगर उनकी मृत्यु हो चुकी है तो आपको अपनी गलतियाँ याद करके उन्हें धो देना चाहिए ताकि वह गलतियाँ खत्म हो जाएँ और उनके साथ के सभी ऋणानुबंध की गाँठे खुल जाएँ। आप अपनी गलतियाँ आलोचना, प्रतिक्रमण, प्रत्याख्यान करके खत्म कर सकते हैं। वर्ना वह व्यक्ति जीवित हो या मृत आपको याद आता ही रहेगा। जो कोई व्यक्ति आपको याद आए उसके आपको प्रतिक्रमण करने चाहिए क्योंकि हम जानते हैं कि वास्तव में "'वह' जीवित ही है, 'वह' शाश्वत है।" यह उसके आत्मा के लिए भी अच्छा रहेगा। और अगर आप प्रतिक्रमण करेंगे तो आप उसके ऋणानुबंध से मुक्त हो सकेंगे।
जिस किसी व्यक्ति के प्रति आपसे गलती हुई है और अगर उनकी मृत्यु हो चुकी है तो आपको अपनी गलतियाँ याद करके उन्हें धो देना चाहिए ताकि वह गलतियाँ खत्म हो जाए और उनके साथ के सभी ऋणानुबंध की गाँठे खुल जाएँ। आप अपनी गलतियाँआलोचना, प्रतिक्रमण, प्रत्याख्यानकरके खत्म कर सकते हैं। वर्ना वह व्यक्ति जीवित हो या मृत आपको याद आता ही रहेगा। जो कोई व्यक्ति आपको याद आए उसके आपकोप्रतिक्रमणकरने चाहिए क्योंकि हम जानते हैं कि वास्तव में "'वह' जीवित ही है, 'वह' शाश्वत है।" यह उसके आत्मा के लिए भी अच्छा रहेगा। और अगर आपप्रतिक्रमणकरेंगे तो आप उसके ऋणानुबंध से मुक्त हो सकेंगे।
यह सौ रुपये के उन कप-रकाबी की तरह है और हमारा उनके साथ का संबंध उतने ही समय तक रहेगा, जब तक वे टूटते नहीं हैं, जब तक कर्मों का हिसाब रहेगा, तब तक वे साबूत-जीवित रहेंगे। एक बार हिसाब खत्म हो गया तो वे टूट जाएँगे। यह टूट ना "व्यवस्थित" (साइन्टिफिक सरकमस्टेनश्यिल एविडेन्स) के आधार पर है और बाद में उन कप-रकाबी को आपको याद नहीं करना चाहिए। और ये मनुष्य भी कप-रकाबी की तरह ही हैं, नहीं ? ऐसा भासित होता है कि उनकी मृत्यु हो गई है, लेकिन वे कभी-भी मरते नहीं हैं। घूम-फिरकर वे वापस यहीं आते हैं। इसी कारण जब आप किसी मृत व्यक्ति केप्रतिक्रमणकरते हैं तो वह उन तक पहुँचते हैं। वह जहाँ भी है, उस तक प्रतिक्रमण पहुँचेंगे।
प्रश्नकर्ता: तो जिनकी मृत्यु हो चुकी है उनके प्रतिक्रमण किस तरह से करने चाहिए ?
दादाश्री: मृत व्यक्ति के शुद्धात्मा कि जो उनके मन-वचन-काया, भावकर्म-द्वव्यकर्म-नोकर्म और उनके नाम और नाम की सर्व माया से भिन्न है। ऐसे शुद्धात्मा कि साक्षी में उनके प्रति हुए गलतियों को याद करके आलोचना करके, उन गलतियों के लिए माफ़ी माँगकर अर्थात प्रतिक्रमण करके और दुबारा ऐसी गलती नहीं करने का निश्चय अर्थात प्रत्याख्यान करना।
"आप" शुद्धात्मा हैं और आपको "चंदूभाई(यहाँ पर पाठक अपना नाम लें)"-रिलेटिव सेल्फ का "ज्ञाता-दृष्टा" रहना है। और जानना है कि चंदूभाई(यहाँ पर पाठक अपना नाम लें) कैसे प्रतिक्रमण करते हैं, कितने सिन्सियरली करते हैं और कितनी बार करते हैं।
दादावाणी ऑगस्ट २००७ (Page #18, Paragraph #3 to 8)
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