अक्रम विज्ञान, एक ऐसा आध्यात्मिक विज्ञान है जो व्यवहार में उपयोगी है और मोक्ष प्राप्ति के लिए एक ‘शार्टकट’ रास्ता है।
अधिक पढ़ें15 दिसम्बर |
13 दिसम्बर | to | 16 दिसम्बर |
दादा भगवान फाउन्डेशन प्रचार करता हैं, अक्रम विज्ञान के आध्यात्मिक विज्ञान का – आत्मसाक्षात्कार के विज्ञान का। जो परम पूज्य दादा भगवान द्वारा बताया गया है।
अधिक पढ़ेंअहमदाबाद से २० की.मी. की दूरी पर सीमंधर सिटी, एक आध्यात्मिक प्रगति की जगह है| जो "एक स्वच्छ, हरा और पवित्र शहर" जाना जाता है|
अधिक पढ़ेंअक्रम विज्ञानी, परम पूज्य दादा भगवान, द्वारा प्रेरित एक अनोखा निष्पक्षपाति त्रिमंदिर।
अधिक पढ़ेंपति नहीं हो, पति चला गया हो, कुछ भी हो जाए, फिर भी दूसरे के पास जाए नहीं। वह चाहे जैसा भी हो, खुद भगवान पुरुष होकर आए हों, पर नहीं। 'मेरे लिए मेरा पति है, पतिवाली हूँ' वह सती कहलाती है। आज सतीत्व कह सकें ऐसा है इन लोगों का? हमेशा नहीं है ऐसा, नहीं? जमाना अलग तरह का है न! सत्युग में ऐसा समय कभी ही आता है, सतियों के लिए ही। इसलिए सतियों का नाम लेते हैं न अपने लोग!
सती होने की इच्छा से उसका नाम लिया हो तो कभी सती बने परंतु आज तो विषय चूडि़यों के भाव बिकता है। यह आप जानते हैं? समझे नहीं मैं क्या कहना चाहता हूँ?
प्रश्नकर्ता : हाँ, चूडि़यों के मोल बिकता है।
दादाश्री : कौन-से बाज़ार में? कॉलेजों में! किस मोल बिकती हैं? सोने के दाम चूडि़याँ बिकती हैं! हीरों के दाम चूडि़याँ बिकती हैं! सब जगह ऐसा नहीं मिलता। सब जगह ऐसा नहीं है। कुछ लड़कियाँ तो सोना दें तो भी न लें। चाहे कुछ भी दें तो भी न लें! पर दूसरी तो बिक भी जाती हैं, आज की स्त्रियाँ। सोने के भाव नहीं हो तो दूसरे किसी दाम पर भी बिकती हैं!
(कोई स्त्री) पहले से सती न हों किन्तु बिगड़ जाने के बाद भी सती हो सकती हैं। जब से निश्चय किया तब से सती हो सकती हैं।
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