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ब्रह्मचर्य का क्या महत्व है?

आध्यात्मिक पथ पर ब्रह्मचर्य प्रगति के लिए एक महान और सबसे शुद्ध साधन है । अब्रह्मचर्य की स्थिति अज्ञानत के कारण बनी हुई है। ज्ञानी के दृष्टिकोण से इसे समझने के बाद अब्रह्मचर्य की स्थिति रुक जाती है | इसके अलावा व्यवहारिक दृष्टि से भी मन, बुद्धि व वाणी को सहज रखने के लिए, ब्रह्मचर्य का जीवन में होना ज़रूरी है । आयुर्वेद का भी यही मत है | अगर कोई ब्रह्मचर्य का सिर्फ छह महीने के लिए भी पालन करता है, उसे भी अपनी मनोबल , वचन बल और देहबल में अद्भुत परिवर्तन अनुभव होगा !

ब्रह्मचर्य से लाभ 

शारिरिक और मानसिक लाभ : 

  • ब्रह्मचर्य का पालन करने वाला व्यक्ति मन, बुद्धि और वाणी की शक्ति का उचित तरीके से उपयोग कर सकता है | अर्थात वह व्यक्ति किसी भी कार्य को पूरा कर सकता है | 
  • न जाने जीवन में कितनी भी बाधाएं आएं , पर वह उस परिस्थिति में भी स्थिर रहकर उसका सामना कर सकता है | 
  • एकाग्रता और ग्रहण करने की क्षमता बढ़ती है | 
  • मनोबल बढ़ता है | अर्थात जो उसने मन से निश्चय किया , वह निश्चयपूर्वक कर लेता है | 
  • उनका मन उनके नियंत्रण में रहता है |  
  • अगर ब्रह्मचर्य का पालन कुछ वर्ष तक नियमितापूर्वक किया जाये , तो वीर्य शक्ति उर्ध्वगमन होता है | उसके बाद शास्त्रों का संपूर्ण अध्यात्मिक सार धारण हो जाता है | अन्यथा इस सार को याद रखना आसान नहीं है | जैसे ही आप कुछ पढ़ेंगे भूलते जाएंगे।
  • ब्रह्मचर्य का पालन करने से व्यक्ति अपने सभी व्रत और जिम्मेदारियों का पालन करने में सक्षम होता है | सभी दिशाओं से प्रगति के रास्ते खुल जाते है।
  • रोग प्रतिरोधक शक्ति बढती है जिसके वजह से देह निरोगी रहता है | कोई कठिनाई नहीं आती है और कोई भी दोष उत्पन्न नहीं होते है |
  • ब्रह्मचर्य के पालन से शारीरिक क्षमता , मानसिक बल , बौद्धिक क्षमता और दृढ़ता बढ़ती है | 

ब्रह्मचर्य के अध्यात्मिक लाभ: 

  • जब विषय के सम्बन्ध नहीं होंगे तब टकराव भी नहीं होगा | विषय रुकेगा तो पूर्व के टकराव भी समाप्त हो जायेंगे | 
  • अगर विवाहित दंपत्ति ब्रह्मचर्य का व्रत लेते है , तो वो पूर्णरूप से आत्मा के सुख को समझ सकते है | नहीं तो उन्हें समझ नहीं आएगा आएगा कि यह आनंद विषय से है या शुद्धआत्मा से |  
  • क्रोध, मान, छल- कपट ,लालच धीरे धीरे कम होने लगते है | 
  • सिर्फ विषय के नापसंदगी से वे देवगति की ओर बढ़ते है | 
  • ब्रह्मचर्य के पालन से पुण्य कर्म बंधते है |
  • चित्त एकदम शुद्ध हो जाता है इसलिए उनका आंतरिक इच्छाए संसारिक चीजों की तरफ नहीं जाती है | 
  • ब्रह्मचर्य के पालन से आत्मवीर्य बढ़ता है। आत्मा की शक्ति से ज्यादा कुछ भी मूल्यवान नहीं है। 
  • जो ब्रह्मचर्य का पालन करते है ,उन्हें असीम आनंद की अनुभूति होती है। 
  • केवल ज्ञान की प्राप्ति ब्रह्मचर्य का पालन करके प्राप्त किया जा सकता है। 

 

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