दादाश्री : दुःख किसे कहते हैं? इस शरीर को भूख लगे, तब फिर खाने का आठ घंटे-बारह घंटे न मिले तब दुःख माना जाता है। प्यास लगने के बाद दो-तीन घंटे पानी नहीं मिले तो वह दुःख जैसा लगता है। संडास लगने के बाद संडास में जाने नहीं दे, तो फिर उसे दुःख होगा कि नहीं होगा? संडास से भी अधिक, ये पेशाबघर हैं. वे सब बंद कर दें न, तो लोग सभी शोर मचाकर रख दें। इन पेशाबघरों का तो महान दुःख है लोगों को। इन सभी दुःखों को दुःख कहा जाता है।
प्रश्नकर्ता : यह सब ठीक है, परन्तु अभी संसार में देखें तो दस में से नौ लोगों को दुःख है।
दादाश्री : दस में से नौ नहीं, हज़ार में दो लोग सुखी होंगे, थोड़े-बहुत शांति में होंगे। बाकी सब रात-दिन जलते ही रहते हैं। शक्करकंद भठ्ठी में रखे हों, तो कितनी तरफ से सिकते हैं?
प्रश्नकर्ता : यह दुःख जो कायम है, उसमें से फायदा किस तरह उठाना चाहिए?
दादाश्री : इस दुःख पर विचार करने लगे, तो दुःख जैसा नहीं लगेगा। दुःख का यदि यथार्थ प्रतिक्रमण करोगे तो दुःख जैसा नहीं लगेगा। यह बिना सोचे ठोकमठोक किया है कि यह दुःख है, यह दुःख है! ऐसा मानो न, कि आपके वहाँ बहुत समय का पुराना सोफासेट है। अब आपके मित्र के घर सोफासेट हो ही नहीं, इसलिए वह आज नयी तरह का सोफासेट लाया। वह आपकी पत्नी देखकर आईं। फिर घर आकर आपको कहे कि आपके मित्र के घर पर कितना सुंदर सोफासेट है और अपने यहाँ खराब हो गए हैं। तो यह दुःख आया! घर में दुःख नहीं था वह, देखने गए वहाँ से दुःख लेकर आए।
आपने बंगला नहीं बनवाया हो और आपके मित्र ने बंगला बनवाया और आपकी वाइफ वहाँ जाए, देखे, और कहे कि कितना अच्छा बंगला उन्होंने बनवाया। और हम तो बिना बंगले के हैं! वह दुःख आया!!! यानी कि ये सब दुःख खड़े किए हुए हैं।
मैं न्यायाधीश होऊँ तो सबको सुखी करके सज़ा करूँ। किसी को उसके गुनाह के लिए सज़ा करने की आए, तो पहले तो मैं उसे पाँच वर्ष से कम सज़ा हो सके ऐसा नहीं है, ऐसी बात करूँ। फिर वकील कम करने का कहे, तब मैं चार वर्ष, फिर तीन वर्ष, दो वर्ष, ऐसे करते-करते अंत में छह महीने की सज़ा करूँ। इससे वह जेल में तो जाए, पर सुखी हो। मन में सुखी हो कि छह महीने में ही पूरा हो गया, यह तो मान्यता का ही दुःख है। यदि उसे पहले से ही, छह महीने की सज़ा होगी, ऐसा कहने में आए तो उसे वह बहुत ज़्यादा लगे।
Book Name: क्लेश रहित जीवन (Page #22 Paragraph #3, #4 & Page #23)
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A. दादाश्री : यह रोटी और सब्ज़ी के लिए शादी करी। पति समझे कि मैं कमाकर लाऊँ, पर यह खाना कौन बनाकर देगा?... Read More
A. दादाश्री : जिसे 'एडजस्ट' होने की कला आ गई, वह दुनिया में से मोक्ष की ओर मुड़ा। 'एडजस्टमेन्ट' हुआ... Read More
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A. प्रश्नकर्ता : सामनेवाले का समाधान करने का हम प्रयत्न करें, पर उसमें परिणाम अलग ही आनेवाला है, ऐसा... Read More
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Q. आदर्श व्यापार क्या है और इसकी सीमा क्या होनी चाहिए ?
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A. दादाश्री : हरएक व्यापार उदय-अस्तवाला होता है। मच्छर बहुत हों तब भी सारी रात सोने नहीं देते और दो... Read More
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A. प्रश्नकर्ता : कुछ लोगों के घर में लक्ष्मी ही उस प्रकार की होगी इसलएि क्लेश होता होगा? दादाश्री :... Read More
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