अक्रम विज्ञान, एक ऐसा आध्यात्मिक विज्ञान है जो व्यवहार में उपयोगी है और मोक्ष प्राप्ति के लिए एक ‘शार्टकट’ रास्ता है।
अधिक पढ़ें21 मार्च |
दादा भगवान फाउन्डेशन प्रचार करता हैं, अक्रम विज्ञान के आध्यात्मिक विज्ञान का – आत्मसाक्षात्कार के विज्ञान का। जो परम पूज्य दादा भगवान द्वारा बताया गया है।
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जगत् नियम के अधीन चल रहा है, यह गप्प नहीं है। इसका 'रेग्युलेटर ऑफ द वर्ल्ड' भी है, जो निरंतर इस वर्ल्ड को रेग्युलेशन में ही रखता है।
बस स्टैन्ड पर एक महिला खड़ी है। अब बस स्टैन्ड पर खड़े रहना कोई गुनाह तो नहीं है? इतने में एक ओर से एक बस आती है और ड्राइवर के हाथ से स्टीयरिंग पर नियंत्रण नहीं रहने से फुटपाथ पर चढ़ जाती है और बस स्टैन्ड तोड़कर, उस महिला को कुचल देती है। वहाँ पाँच सौ लोगों की भीड़ जमा हो जाती है। उन लोगों से कहें कि 'इसका न्याय कीजिए'। तब वे लोग कहेंगे कि, 'बेचारी यह महिला बेगुनाह मारी गई। इसमें महिला का क्या गुनाह? यह ड्राइवर नालायक है।' उसके बाद चार-पाँच अ़क्लमंद लोग इकट्ठे होकर कहेंगे कि, 'ये बस ड्राइवर कैसे हैं, इन लोगों को तो जेल में बंद कर देना चाहिए, ऐसा करना चाहिए, वैसा करना चाहिए। महिला बेचारी बस स्टैन्ड पर खड़ी थी, उसमें उसका क्या गुनाह?' अरे, आप उसका गुनाह नहीं जानते। उसका गुनाह था, इसलिए तो उसकी मौत हुई। अब इस ड्राइवर का गुनाह तो, जब वह पकड़ा जाएगा तब। इसका जब केस चलेगा और वह केस सफल हुआ तो गुनहगार माना जाएगा, वर्ना बेगुनाह साबित हुआ तो वह छूट जाएगा। उस महिला का गुनाह आज पकड़ा गया। अरे, बिना हिसाब के कोई मारता होगा? उस महिला ने पिछला हिसाब चुकाया। समझ जाना चाहिए कि उस महिला ने भुगता, इसलिए उसकी भूल। बाद में जब वह ड्राइवर पकड़ा जाएगा, तब ड्राइवर की भूल। आज जो पकड़ा गया, वह गुनहगार।
ऊपर से कुछ लोग क्या कहते हैं कि 'यदि भगवान होता तो ऐसा होता ही नहीं। इसलिए भगवान जैसी कोई चीज़ ही संसार में नहीं लगती, इस महिला का क्या गुनाह था? अब इस दुनिया में भगवान नहीं रहे।' लीजिए!! इन लोगों ने ऐसा सार निकाला। अरे, ऐसा किसलिए? भगवान को क्यों बदनाम करते हो? उनका घर क्यों खाली करवाते हो? भगवान से घर खाली करवाने निकल पड़े हैं। अरे भाई, भगवान नहीं होते तो फिर रहा ही क्या इस संसार में? ये लोग क्या समझे कि भगवान की सत्ता नहीं रही। फिर लोगों की भगवान पर आस्था नहीं रहती। ऐसा नहीं है। ये सभी हिसाब चल रहे हैं। यह एक ही जन्म की बात नहीं है। आज उस महिला की भूल पकड़ी गई, इसलिए उसे भुगतना पड़ा। यह सब न्याय है। वह औरत कुचली गई, वह न्याय है। अर्थात् यह जगत् नियमसहित है। संक्षेप में बस इतनी ही बात करनी है।
यदि यह ड्राइवर की भूल होती तो सरकार का कड़ा कानून होता, इतना कड़ा कि उस ड्राइवर को वहीं का वहीं खड़ा करके गोली से उड़ाकर मौत के घाट उतार देते। लेकिन यह तो सरकार भी नहीं कहती, क्योंकि किसीको खत्म नहीं कर सकते। वास्तव में वह गुनहगार नहीं है। उसने खुद नया गुनाह खड़ा किया है, वह गुनाह जब वह भुगतेगा तब, लेकिन उसने आपको गुनाह से मुक्त किया। आप गुनाह से मुक्त हुए। वह गुनाह से बँध गया। इसलिए हमने सद्बुद्धि देने का कहा है कि गुनाह में मत आना।
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