इस जगत् में तू न्याय देखने जाता है? हुआ सो न्याय। 'इसने चाँटा मारा तो मुझ पर अन्याय किया', ऐसा नहीं लेकिन जो हुआ वही न्याय, ऐसा जब समझ में आएगा, तब यह सब निबेड़ा आएगा।
'हुआ सो न्याय' नहीं कहोगे तो बुद्धि उछल-कूद, उछल-कूद करती रहेगी। अनंत जन्मों से यह बुद्धि गड़बड़ करती आ रही है, मतभेद करवाती है। वास्तव में कुछ कहने का समय ही नहीं आना चाहिए। हमें कुछ कहने का समय ही नहीं आता। जिसने छोड़ दिया, वह जीत गया। वह खुद की ज़िम्मेदारी पर खींचता है। बुद्धि चली गई, वह कैसे पता चलेगा? न्याय ढूँढने मत जाना। 'जो हुआ उसे न्याय' कहेंगे, तब उसे, बुद्धि चली गई, ऐसा कहा जाएगा। बुद्धि क्या करती है? न्याय ढूँढती फिरती है और इसी कारण यह संसार खड़ा है। अतः न्याय मत ढूँढना।
न्याय ढूँढ़ा जाता होगा? जो हुआ सो करेक्ट, तुरंत तैयार। क्योंकि 'व्यवस्थित' के सिवा अन्य कुछ होता ही नहीं है। बेकार की, हाय-हाय! हाय-हाय !!
Book Name: हुआ सो न्याय (Page # 16 Last Paragraph, Page #17 Paragraph #1 & #2)
A. बस में चढ़ने के लिए राइट साइड में एक व्यक्ति खड़ा है, वह रोड के साइड में खड़ा है। रोंग साइड से एक... Read More
Q. किसी के मेहनत से कमाए हुए पैसे क्यों चोरी हो जाते हैं?
A. तब लोग मुझे पूछते हैं कि ये चोर और जेबकतरे क्या करने आए होंगे? भगवान ने क्यों इन्हें जन्म दिया... Read More
Q. लोग हमें दुःख क्यों देते हैं?
A. न्याय ढूँढते-ढूँढते तो दम निकल गया है। इन्सान के मन में ऐसा होता है कि मैंने इसका क्या बिगाड़ा है,... Read More
A. भगवान न्याय स्वरूप नहीं है और भगवान अन्याय स्वरूप भी नहीं है। किसी को दुःख नहीं हो, वही भगवान की... Read More
Q. किसीको दिया हुआ उधार कैसे वसूल करूँ?
A. बुद्धि तो तूफान खड़ा कर देती है। बुद्धि ही सब बिगाड़ती है न! बुद्धि यानी क्या? जो न्याय ढूँढे, उसका... Read More
Q. विरासत और वसीयत को लेकर होनेवाले झगड़ों को कैसे निपटाएँ?
A. एक भाई हो, उसका बाप मर जाए तो जो सभी भाईर्यों की जमीन है, वह बड़े भाईर् के कब्ज़े में आ जाती है। अब... Read More
Q. बुद्धि से कैसे छुटकारा पाएँ?
A. प्रश्नकर्ता : बुद्धि को निकालना ही है, क्योंकि वह बहुत मार खिलाती॒है। दादाश्री : इस बुद्धि को... Read More
Q. मेरे जीवन के लिए कौन ज़िम्मेदार है?
A. यह सारा प्रोजेक्शन आपका ही है। लोगों को क्यों दोष दें? प्रश्नकर्ता : क्रिया की प्रतिक्रिया है... Read More
Q. कुदरत के न्याय का स्वरूप क्या है?
A. जो कुदरत का न्याय है, उसमें एक क्षण के लिए भी अन्याय नहीं हुआ। यह कुदरत जो है, वह एक क्षण के लिए भी... Read More
subscribe your email for our latest news and events