प्रश्नकर्ता : प्रेम में जितना पावर है, उतना सत्ता में नहीं न?!
दादाश्री : ना। पर आपको प्रेम उत्पन्न होता नहीं न? जब तक वह कचरा निकल न जाए! कचरा सब निकलता है या नहीं निकलता? कैसे अच्छे हार्टवाले! जो हार्टिली होते हैं न उनके साथ द़खल नहीं करना। तुझे उसके साथ अच्छी तरह रहना चाहिए। बुद्धिवाले के साथ द़खल करना, करना हो तो।
पौधा बोया हो तो, आपको उसे डाँटते नहीं रहना चाहिए कि देख तू टेढ़ा मत होना, फूल बड़े लाना। हमें उसे खाद और पानी देते रहना है। यदि गुलाब का पौधा इतना सब काम करता है, ये बच्चे तो मनुष्य हैं और माँ-बाप पीटते भी हैं, मारते भी है।
हमेशा प्रेम से ही सुधरती है दुनिया। उसके अलावा दूसरा कोई उपाय ही नहीं है उसके लिए। यदि धाक से सुधरता हो न, तो यह गवर्नमेन्ट डेमोक्रेसी... सरकार लोकतंत्र उड़ा दे और जो कोई गुनाह करे, उसे जेल में डाल दे और फांसी कर दे। प्रेम से ही सुधरता है जगत्।
प्रश्नकर्ता : कईबार सामनेवाला व्यक्ति, हम प्रेम करते हैं फिर भी समझ नहीं सकता।
दादाश्री : फिर हमें क्या करना चाहिए वहाँ? सींग मारें?
प्रश्नकर्ता : पता नहीं, क्या करें फिर?
दादाश्री : ना, सींग मारते हैं फिर। फिर हम भी सींग मारें तब वह भी सींग मारता है, फिर शुरू लड़ाई। जीवन क्लेशित हो जाता है फिर।
प्रश्नकर्ता : तो ऐसे संयोग में हमें किस तरह समता रखनी चाहिए? ऐसा तो हमें हो जाता है तो वहाँ पर किस तरह रहना चाहिए? समझ में नहीं आता कि तब क्या करें?
दादाश्री : क्या हो जाए तो?
प्रश्नकर्ता : हम प्रेम रखें और सामनेवाला व्यक्ति नहीं समझे, अपना प्रेम समझे नहीं, तो हमें क्या करना फिर?
दादाश्री : क्या करना है? शांत रहना है हमें। शांत रहना, दूसरा क्या करें हमें उससे क्या? क्या मारें उसे?
प्रश्नकर्ता : पर हम उस कक्षा में नहीं पहुँचे कि शांत रह सके।
दादाश्री : तो फिर कूदें हम उस घड़ी! दूसरा क्या करना? पुलिसवाला फटकारे तब क्यों शांत रहते हो?
प्रश्नकर्ता : पुलिसवाले की ऑथोरिटी है, उसकी सत्ता है।
दादाश्री : तो हमें उसे ऑथोराइज़ (अधिकृत) कर देना चाहिए। पुलिसवाले के सामने सीधे रहते हैं और यहाँ पर सीधा नहीं रह सकते!
Book Name: प्रेम (Page #33 Paragraph #7, #8; Page #34 & Page #35 Paragraph #1,#2,#3,#4)
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