प्रश्नकर्ता : मेरे बेटे का दुर्घटना में निधन हुआ है, तो उस दुर्घटना का कारण क्या होगा?
दादाश्री : इस संसार में जो सब आँखों से दिखाई देता है, कान से सुनने में आता है, वह सब 'रिलेटिव करेक्ट' (व्यवहार सत्य) है,... बिलकुल सत्य नहीं है वह बात! यह शरीर भी हमारा नहीं है, तो बेटा हमारा कैसे हो सकता है? यह तो व्यवहार से, लोक-व्यवहार से अपना बेटा माना जाता है, वास्तव में वह अपना बेटा होता नहीं है। वास्तव में तो यह शरीर भी हमारा नहीं है। इसलिए, जो हमारे पास रहे उतना ही अपना और दूसरा सभी पराया है! इसलिए बेटे को अपना बेटा मानते रहें, तो उपाधी होगी और अशांति रहेगी! वह बेटा अब गया, खुदा की ऐसी ही मरजी है, तो उसे अब 'लेट गो' कर लो।
प्रश्नकर्ता : वह तो ठीक है, अल्लाह की अमानत अपने पास थी, वह ले ली!
दादाश्री : हाँ, बस। यह सारा बा़ग ही अल्लाह का है।
प्रश्नकर्ता : इस प्रकार जो उसकी मृत्यु हुई, वे अपने कुकर्म होंगे?
दादाश्री : हाँ, लड़के के भी कुकर्म और आपके भी कुकर्म, अच्छे कर्म हों, तो उसका बदला अच्छा मिलता है।
Book Name: मृत्यु समय, पहले और पश्चात... (Page #12 Paragraph #2 to #7)
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